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Saturday 30 November 2013 04:59:36 AM
गंगटोक। कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री शरद पवार ने देश के पूर्वोत्तर राज्यों में पशुपालन क्षेत्र में सहयोग की जोरदार वकालत की। उन्होंने कहा कि इससे न केवल क्षेत्र के लोगों को बढ़िया पोषण मिलेगा, बल्कि ग्रामीण इलाकों के ग़रीबों की आय में भी वृद्धि होगी। सिक्किम की राजधानी गंगटोक में पूर्वोत्तर राज्यों के पशुपालन, डेयरी उद्योग और मत्स्य पालन मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पशुपालन, ग्रामीण क्षेत्रों में विकास लाने वाले कुछ क्षेत्रों में शामिल है और देश के कृषि विकास में इसकी 32 प्रतिशत से अधिक की भागीदारी है।
शरद पवार ने बताया कि पशुपालन से होने वाला लाभ गेहूं और गन्ने दोनों को मिलाकर मिलने वाले लाभ से अधिक है। वर्ष 2012-13 में दुग्ध उत्पादन 132.43 मिलियन टन पहुंचने के साथ ही आज भारत, दुनिया में सबसे बड़े दुग्ध उत्पादन करने वाले देशों की श्रेणी में आ गया है, जबकि 8.6 मिलियन टन मछली के उत्पादन के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है। दुनिया में सबसे अधिक पशुधन भी भारत में है, जिनमें भैंसों की संख्या करीब आधी और बकरियों की संख्या 1/6 है। शरद पवार ने कहा कि करीब 70 मिलियन ग्रामीण किसी-न-किसी तरह से पशुपालन करते हैं, जिनमें से 60 मिलियन मवेशी या भैंसे पालते है, जबकि 2/3 लघु और सीमांत किसान तथा भूमिहीन कृषि मजदूर हैं।
दुग्ध सहकारिता को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर देते हुए शरद पवार ने कहा कि देश में दुग्ध सहकारिता का बड़ा नेटवर्क है, जिससे संगठित क्षेत्र में दुग्ध उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ी है। देश की 1.5 मिलियन ग्रामीण स्तरीय दुग्ध सहकारिता समितियों के तहत करीब 15 मिलियन किसान संगठित हैं। शरद पवार ने कहा कि भारत सरकार, पशु प्रजनन और दुग्ध उत्पादन के राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीबीबीडी), दुग्ध उद्यमिता विकास योजना और विश्व बैंक के सहयोग से चल रही राष्ट्रीय दुग्ध योजना के तहत 12वीं परियोजना में राज्य सरकारों के प्रयासों में मदद करेगी। उन्होंने चिंता जताई कि अच्छे प्रयासों के बावजूद पूर्वोत्तर क्षेत्रों में दूध देने वाले पशुओं का औसत उत्पादन है, जो अभी भी देश में सबसे कम हैं। उन्होंने कहा कि एनपीबीबीडी इस मामलें मे और अधिक ध्यान केंद्रित करेगा। सिक्किम के राज्यपाल श्रीनिवास पाटिल और मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने भी सम्मेलन को संबोधित किया।