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Wednesday 11 December 2013 07:09:17 PM
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के नियमित सिविल कर्मचारियों के समूहवार अनुमानित 600013 पद खाली हैं। रिक्त पदों की संख्या का यह आंकड़ा 1 मार्च 2012 के अनुसार इस प्रकार है-ग्रुप ए में रिक्त पदों की सख्ंया 12909, बी में 10116, बी में 30977, सी में 546011 है जो कुल 600013 है। छठा केंद्रीय वेतन आयोग लागू होने के बाद ग्रुप डी के पद ग्रुप सी में समाहित कर दिये गये हैं।
लोकसभा में कार्मिक, जन शिकायत एवं पेंशन राज्यमंत्री वी नारायणसामी ने ए संपत, अशोक कुमार रावत, विलास मुत्तेमवार, डॉ रामचंद्र डोमे और एमवी राजेश के एक सवाल के लिखित उत्तर में बताया कि इन पदों में वार्षिक आधार पर पदों की संख्या में कमी करने का कोई फैसला नहीं लिया गया है। वित्त मंत्रालय (व्यय विभाग) के 18 सितंबर 2013 को व्यय प्रबंधन-आर्थिक उपाय और व्यय का औचित्य विषय पर जारी कार्यालय ज्ञापन के अनुसार एक वर्ष से अधिक समय से खाली पड़े पदों को यदि कोई विशेष स्थिति न हो तो, भरा नहीं जा सकता है। विशेष स्थिति में इसके लिए व्यय विभाग से मंजूरी आवश्यक है। अपने विभागों में खाली पदों को भरने के लिए मंत्रालयों विभागों को आवश्यक कार्रवाई करनी होगी।
प्रोन्नति के लिए सेवा अहर्ता
उन्होंने बताया कि केंद्रीय सचिवालय लिपिकीय सेवा (सीएससीएस) के यूडीसी को सहायक ग्रेड पर प्रोन्नति के लिए 12 जुलाई 2013 को अधिसूचित सीएसएस (सेक्शन अधिकारी और सहायक ग्रेड के लिए सूची की तैयारी) नियमन, 2013 के तहत सेवा कार्यकाल को बढ़ाकर 10 वर्ष कर दिया गया है। यह नियमन पहली जुलाई 2009 से ही लागू माना जाएगा। पोस्ट ऑफ टेलीग्राफ विभाग के 25 मार्च 1996 के ओएम का सेवा अहर्ता में इस बढ़ोतरी से कोई संबंध नहीं है। उस ओएम में कहा गया था कि जब जूनियर कर्मचारियों की प्रोन्नति पर विचार किया जा रहा हो तो सीनियर कर्मचारियों को इसके लिए सेवा अवधि में कुछ छूट दी जा सकती है।
नौकरशाहों की सतर्कता जांच
वी नारायणसामी ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई से प्राप्त एक अलग जानकारी में बताया कि 31 अक्टूबर 2013 तक भारतीय प्रशासनिक सेवा के 19, भारतीय पुलिस सेवा के 1 और संबद्ध केंद्रीय सेवाओं के 67 अधिकारियों के खिलाफ जांच लंबित है। इसके अलावा भारतीय प्रशासनिक सेवा के 154, भारतीय पुलिस सेवा के 15 और अन्य संबद्ध केंद्रीय सेवाओं के 102 अधिकारियों के खिलाफ 180 मामलों में मुकदमें चल रहे हैं। पिछले तीन वर्षों यानी 2010, 2011, 2012 और 2013 (31 अक्टूबर 2013 तक) में 14 आईएएस, 7 आईपीएस और संबद्ध केंद्रीय सेवा के 16 अधिकारी दोषी साबित हुए हैं।