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Thursday 26 December 2013 01:41:27 AM
नई दिल्ली। क्या आप जानते हैं कि भारत में चमड़ा उद्योगपति बड़े धनवानों में शामिल हैं और चमड़ा उद्योग भारत के 8 बड़े उद्योगों में से एक है और यही नहीं, भारतीय चमड़ा उद्योग का वार्षिक कारोबार आज 8.5 अरब अमरीकी डॉलर से भी कहीं अधिक है। रोज़गार, विकास और निर्यात की व्यापक संभावनाओं की दृष्टि से चमड़ा उद्योग का इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान है। इस उद्योग में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 25 लाख लोगों को रोज़गार मिल रहा है, जिनमें अधिकतर समाज के कमजोर वर्गों के रूप में चिन्हित हैं। चमड़ा उत्पाद क्षेत्र में महिला रोज़गार की हिस्सेदारी लगभग 30 प्रतिशत है। कुशल और अर्धकुशल कामगारों की संख्या लगभग 50 प्रतिशत है। चमड़ा उद्योग के लिए कच्चा माल यहां भरपूर मात्रा में उपलब्ध है, क्योंकि भारत में विश्व के मवेशियों और भैंसों की कुल संख्या में से 21 प्रतिशत और बकरियों तथा भेड़ों की संख्या में से 11 प्रतिशत संख्या उपलब्ध है। इसके अलावा भारत में इस उद्योग के लिए कुशल मानवशक्ति, नवीन प्रौद्योगिकी, अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणीय मानकों का अनुपालन और संबद्ध उद्योगों का समर्पित सहयोग जैसे मजबूत मददगार साधन उपलब्ध हैं।
भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय और भारत व्यापार संवर्धन संगठन के पास उपलब्ध अधिकृत नवीनतम जानकारी के अनुसार भारतीय चमड़ा क्षेत्र की शक्ति के स्रोत हैं-कच्चे माल का प्रतिवर्ष 2 अरब वर्ग फुट चमड़े का उत्पादन, बकरी बछड़ा भेड़ के खाल की कुछ किस्मों की पर्याप्त उपलब्धता, मजबूत और पर्यावरण स्थिरता के अनुरूप रंगाई सुविधाएं, आधुनिक विनिर्माण इकाईयां, प्रशिक्षित और कुशल मानवशक्ति सस्ते वेतन स्तरों पर उपलब्ध,डिजाइन एवं उत्पाद विकास, मानव संसाधन विकास तथा अनुसंधान और विकास के लिए विश्वस्तरीय संस्थागत सहायता, चर्म रसायनों एवं परिष्करण सहायक उद्योगों की उपलब्धता, प्रमुख बाजारों में उपस्थिति, यूरोप के बाजारों का लंबे समय से अनुभव, एशिया भू-भाग में महत्वपूर्ण स्थिति, चमड़ा उद्योग की बढ़ती मजबूती, संस्थाओं और व्यक्तियों के डिजाइन विकास के प्रयास, निरंतर आधुनिकीकरण और प्रौद्योगिकी उन्नयन, विनिर्माण इकाईयों की बेहतर आर्थिक स्थिति, उत्पादकता बढ़ाने के लिए मानव संसाधन विकास का सतत कार्यक्रम, उत्तम गुणवत्ता के कलपुर्जों के उपयोग में वृद्धि, नमूनों के विकास में कम समय खर्च, आपूर्ति व्यवस्था में कुशलता और भारत में फुटवियर और चमड़े की वस्तुओं का बढ़ता घरेलू बाजार।
भारतीय चमड़ा उद्योग मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में फैला हुआ है। इस उद्योग के नियोजित विकास पर अधिक जोर दिया जाता रहा है, ताकि अधिक लाभ और विशेष रूप से निर्यात से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए उपलब्ध कच्चे माल का बेहतर इस्तेमाल हो सके। भारतीय चमड़ा उद्योग का वार्षिक कारोबार 8.5 अरब अमरीकी डॉलर से अधिक का है। यह उद्योग निर्यात से राजस्व प्राप्ति की दृष्टि से भारत के 8 सबसे बड़े उद्योगों में से एक है। विश्व में इस उद्योग के लिए उपलब्ध कच्चे माल का 10 प्रतिशत भारत में उपलब्ध है और चमड़ा उद्योग के विश्व व्यापार में भारत का हिस्सा 2 प्रतिशत है। अप्रैल से अक्तूबर, 2013 तक चमड़ा उद्योग का निर्यात 3 अरब अमरीकी डॉलर का हुआ, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 14.48 प्रतिशत अधिक है। चमड़ा और चमड़ा उत्पादन के निर्यात में पिछले दो दशकों में तेजी आई है। भारतीय चमड़ा उद्योग का आज अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ऊंचा और बड़ा नाम है और यह उद्योग देश के सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा कमाने वाले 7 उद्योगों में से एक है।
एक समय यानी वर्ष 1960 के दशक में चमड़ा उद्योग केवल कच्चे माल का निर्यात करता था, लेकिन 1990 के दशक में यह उद्योग मूल्य संवर्धित उत्पाद निर्यात करने वाला उद्योग बन गया है। वर्ष 1973 के बाद से भारत सरकार ने चमड़ा उद्योग के लिए जो नीतिगत प्रयास किए हैं, उनके कारण आज यह बड़ा परिवर्तन आया है। भारत में चमड़ा उद्योग खासतौर से अल्पसंख्यकों के रूप में चिन्हित एक समुदाय की आर्थिक संपन्नता की बाधाओं रहित उत्तरोत्तर प्रगति का एक बेहतरीन उत्तरदान है। भारतीय अर्थव्यवस्था के वैश्वीकरण और 1991 के बाद से अपनाई जा रही उदार आर्थिक और व्यापार नीतियों के परिणाम स्वरूप ही विश्व व्यापार में भारतीय चमड़ा उद्योग की हिस्सेदारी और बढ़ने की संभावना है। इस उद्योग में निर्यात वृद्धि और रोज़गार पैदा करने की अत्यधिक संभावनाओं को देखते हुए भारत सरकार ने चमड़ा क्षेत्र को 2004-09 की विदेश व्यापार नीति में एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में मान्यता दी थी। उसी के अनुसार चमड़ा क्षेत्र के विकास के लिए विदेश व्यापार नीति के अंतर्गत सरकार ने चमड़ा उद्योग को प्रमुखता देते हुए कई विशेष कदम उठाए हैं।
आमतौर पर जनसामान्य को यह जानकारी नहीं है कि कि भारत में चमड़ा उद्योग और मांस के व्यवसाय को टैक्सों में बहुत बड़ी छूट और सहूलियतें हांसिल हैं, जिससे इसमें बड़ा लंबा मुनाफा है। भारत सरकार जिस प्रकार औद्योगिक विकास और निर्यात संवर्धन गतिविधियों के लिए विभिन्न कार्यक्रम चला रही है और चमड़ा उद्योग की पिछले वर्षों में जो उपलब्धियां रही हैं तथा जिस प्रकार से इस उद्योग के लिए कुशल मानवशक्ति, नवीन प्रौद्योगिकी, अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणीय मानकों का अनुपालन और संबद्ध उद्योगों के समर्पित सहयोग जैसे मजबूत मददगार साधन उपलब्ध हैं, उसे देखते हुए भारतीय चमड़ा उद्योग का लक्ष्य, उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ निर्यात बढ़ाना भी है, जिससे कुल मिलाकर 10 लाख लोगों के लिए अतिरिक्त रोज़गार के सीधे अवसर प्राप्त हो रहे हैं, जिनमें इससे तीन गुना ज्यादा अप्रत्यक्ष रूप से लाभांवित हैं और इनमें भी मामूली से मामूली व्यक्ति की मासिक नगदी आय रोज़मर्रा के खर्च पूरे करने के बाद, दस अंकों से कम नहीं है।