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Wednesday 1 January 2014 02:56:25 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मनीष तिवारी ने कल भारत सरकार के दीवार कैलेंडर 2014 का विमोचन तथा लोकार्पण किया। इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में सचिव बिमल जुल्का, प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज पचौरी तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। कैलेंडर का मूल विषय है, 'भारत निर्माण तथा भारत सरकार की अन्य फ्लैगशिप योजनाएं'। मनीष तिवारी ने कहा कि यह कैलेंडर सरकार की नीतियों के बारे में लोगों तक जानकारी पहुंचाने का बेहतर माध्यम है। हालांकि मीडिया डिजिटल माध्यमों से सूचनाओं का दूर-दूर तक प्रसार करती है, फिर भी भारतीय परिस्थितियों में कैलेंडर का अपना महत्व है, कैलेंडर के माध्यम से प्रत्येक नागरिक के घर तक फ्लैगशिप योजनाओं की जानकारी पहुंचती है, विशेषकर जहां भी नागरिकों के अधिकारों की बात है, जैसे कि 'आम आदमी का हक'। भारत सरकार की इस पहल से लोगों को नीतियों के बारे में जानकारी देना है, ताकि समावेशी विकास को बढ़ावा दिया जा सके।
सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग दीवार कैलेंडर बहुत पसंद करते हैं। यह कैलेंडर न सिर्फ दिल्ली के सरकारी दफ्तरों के लिए प्रस्तुत किया गया है, बल्कि इसे देश की प्रत्येक पंचायत को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। सूचना मंत्रालय के सचिव बिमल जुल्का ने पिछले एक वर्ष में मंत्रालय की मुख्य गतिविधियों की चर्चा की। इनमें नए राष्ट्रीय मीडिया केंद्र की स्थापना, मंत्रालय की सोशल मीडिया में पहल फेज-I तथा फेज-II के दौरान भारत निर्माण अभियान, डिजिटलाइजेशन, सिनेमेटॉग्राफी अधिनियम की समीक्षा तथा राष्ट्रीय फिल्म विरासत मिशन शामिल है। पिछले कई वर्षों में डीएवीपी ने एक व्यापक सामाजिक विज्ञापन ब्रांड 'भारत निर्माण' स्थापित किया है, यह विभिन्न फ्लैगशिप योजनाओं तथा भारत सरकार की उपलब्धियों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। वर्ष 2014 का यह कैलेंडर इसी व्यापक ब्रांडिंग का एक हिस्सा है।
'भारत निर्माण-सबका हित, सबका हक'–इस विषय पर बने इस कैलेंडर को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय (डीएवीपी) ने प्रस्तुत किया है। नए वर्ष के कैलेंडर में भारत सरकार की भारत निर्माण तथा अन्य फ्लैगशिप योजनाओं के अंतर्गत लक्षित लाभार्थियों (आम आदमी) के अधिकारों (हक) के लिए वैविध्यपूर्ण रंगमयी छवियों को उकेरा गया है। कैलेंडर में जनवरी माह 'सूचना का अधिकार अधिनियम 2005' को प्रदर्शित करता है, जिससे नागरिक मात्र दस रुपये के मामूली शुल्क से सरकारी जानकारी के बारे में समयबद्ध सूचना प्राप्त कर सकते हैं। फरवरी माह 'महात्मा गांधी ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, 2005' को प्रदर्शित करता है। यह कार्यक्रम कम से कम 100 दिन का सुनिश्चित रोज़गार प्रदान करते हुए आजीविका सुरक्षा को बढ़ाता है।
मार्च माह 'आधार' को प्रदर्शित करता है, जो कि एक ऐसी महत्वपूर्ण योजना है, जिससे सरकारी योजनाओं तक आसान पहुंच सुनिश्चित बनाने के लिए जीवनभर के लिए एक 12 अंक का विशिष्ट पहचान नंबर प्रदान किया जाता है। अप्रैल माह 'खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 को समर्पित है, जो कि 81 करोड़ लोगों को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है। मई माह 'भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को प्रदर्शित करता है, जिसके तहत प्राप्त की गई भूमि के मालिकों को युक्तिसंगत व उचित मुआवजा प्रदान किया जाता है। बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार, अधिनियम 2009 जून माह में वर्णित है। यह अधिकार सीखने का वातावरण प्रदान करता है, जो कि पक्षपात रहित हो। जुलाई माह में अनुसूचित जनजाति और अन्य वनवासी अधिनियम 2006 के प्रदर्शन करता है। यह अधिनियम अनुसूचित जनजाति व अन्य वनवासियों की आजीविका व भूमि स्वामित्व के अधिकारों को सुनिश्चित बनाता है। अभी तक अनुसूचित जनजाति को 18.8 लाख हैक्टेयर वन भूमि के लिए 13 लाख स्वामित्व के पट्टे दिये जा चुके हैं।
शहरी भारत में आधारभूत ढांचा एक महत्व भूमिका निभाता है। अगस्त माह में मैट्रो रेल की यात्रा का वर्णन किया गया है, जो कि आज के शहरी भारत की जीवन रेखा बन चुकी है। मैट्रो रेल शुरू से कई शहरों में विश्व स्तरीय सार्वजनिक आवागमन सेवा शुरू हो सकी है। इससे शहर की सड़कों पर ट्रैफिक जाम से राहत मिली है व पर्यावरण मुखी आवागमन सेवा मिल सकी है। सितंबर माह 'कनेक्टिंग इंडिया' को समर्पित है। भारत में 2004 से लेकर अब तक संचार घनत्व 25 गुणा बढ़ चुका है। वर्ष 2012-13 के दौरान ग्रामीण टेलीफोन कनेक्शनों की गिनती बढ़कर एक करोड़ हो गई है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अक्तूबर माह का विषय है। इस योजना से सुदूर इलाकों को जोड़ने के लिए सभी तरह मौसम के अनुकूल उच्च गुणवत्ता सड़कों का निर्माण किया गया है। नवंबर माह प्रत्यक्ष लाभ हस्तानांतरण योजना डीबीटी पर प्रकाश डालता है, जिसके अंतर्गत छात्रवृत्तियां, रसोई गैस सब्सिडी, वृद्धावस्था पेंशन व अन्य लाभ, लाभार्थियों के खातों में सीधे हस्तानांतरित किये जाते हैं। 'आप का पैसा आपके हाथ' डीबीटी का आदर्श वाक्य है। 'हम सब भारतीय हैं' दिसंबर के विषय के रूप में वर्णित है, जो कि हमसे अलग विचारधाराओं के लिए सहिष्णुता व आदर को प्रोत्साहित करना सिखाने वाली हमारी देश की संस्कृतियों पर केंद्रित है।