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Wednesday 15 January 2014 12:50:24 AM
नई दिल्ली। महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने कल शिक्षा का अधिकार कानून के पूरा होने के तीन वर्ष के अवसर पर यहां दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि 6-14 वर्ष के आयु के सभी बच्चों को नि:शुल्क एवं प्रारंभिक शिक्षा प्रारंभ करने का दायित्व सरकार पर है। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा आयोग (एन.सी.पी.सी.आर.) और राज्य बाल अधिकार सुरक्षा आयोगों को स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों की स्कूली शिक्षा प्रणाली तथा इस तक पहुंच बनाने की प्रक्रिया पर निगरानी रखनी चाहिए, इसमें वे बच्चे भी शामिल होंगे, जिन्होंने अपना नाम कभी स्कूल में दर्ज नहीं कराया है या बीच में ही स्कूल छोड़ दिया। इसके अलावा ऐसे बच्चे जो थोड़े समय के लिए अनुपस्थित रहते हों या प्रवासी मजदूरों के बच्चे जो श्रमिक सीजन के बाद अपने माता-पिता के साथ वापिस घर लौट जाते हैं, भी शामिल हैं।
इस अवसर पर शिक्षा एवं साक्षरता सचिव आर भट्टाचार्य ने कहा कि शिक्षा के अधिकार कानून के कार्यक्रम में तय मानकों के मद्देनजर सभी राज्यों तथा संघ शासित प्रदेशों ने उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने कहा कि देश की 98 फीसदी आबादी की बसावट के एक किलोमीटर के दायरे में एक प्राथमिक स्कूल है और 92 फीसदी आबादी की बसावट के तीन किलोमीटर के दायरे में एक उच्च प्राथमिक स्कूल है। इस दौरान राष्ट्रीय बाल सुरक्षा आयोग की अध्यक्ष सुश्री कुशल सिंह ने सम्मेलन में हिस्सा ले रहे सभी प्रतिभागियों से सकारात्मक विचारों तथा उपयुक्त विचार-विमर्श से इस सम्मेलन को सार्थक एवं सफल बनाने का आग्रह किया। सम्मेलन का आयोजन राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा आयोग एवं यूनिसेफ ने संयुक्त रूप से किया है।