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Tuesday 28 January 2014 08:50:53 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एनसीसी रैली में कहा है कि राष्ट्रीय कैडेट कोर के युवा और उत्साही सदस्यों ने जो प्रभावशाली प्रदर्शन किया और गणतंत्र दिवस पर जो शानदार मार्च किया, उसमें सभी देखने वालों को अनुशासन, जोश और उनकी ऊर्जा ने प्रेरणा दी है। एनसीसी कैडेट नेतृत्व, कर्तव्य, साहस और सेवा के प्रतीक हैं, एनसीसी कैडेटों जैसे युवाओं के हाथों में राष्ट्र की बागडोर होने से देश का भविष्य उज्ज्वल है। उन्होंने कहा कि नेशनल कैडेट कोर पर राष्ट्र को उचित रूप से गर्व है, अपनी स्थापना के बाद से एनसीसी ने राष्ट्र निर्माण में और देश में सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देने में बहुत योगदान दिया है। एनसीसी ने विभिन्न पृष्ठभूमियों, धर्मों, संस्कृतियों और भाषाओं के लोगों को एक-साथ जोड़ा है और उनमें मानवीयता, देशभक्ति तथा नि:स्वार्थ सेवा के सांझे मूल्यों को जगाया है, इस प्रकार एनसीसी सही मायनों में विविधता में एकता के दर्शन-सिद्धांत का प्रतीक है, जो हमारी राष्ट्रीयता की नींव है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अनेक अवसरों पर एनसीसी कैडेटो ने आपदा राहत कार्यों में अनुकरणीय साहस और वीरता का परिचय दिया है। इस वर्ष उत्तराखंड और ओडिशा में प्राकृतिक आपदाओं के बाद राहत कार्यों के दौरान एनसीसी ने शानदार भूमिका निभाई, कैडेटों ने प्रधानमंत्री राहत कोष में स्वेच्छा से 50 लाख रूपए का अंशदान करके औरों को रास्ता दिखाया, कृतज्ञ राष्ट्र उनकी सेवा और बलिदान की भावना की प्रशंसा करता है। उन्होंने कहा कि सामाजिक अधिकारिता एक और क्षेत्र है, जहां एनसीसी बहुत सक्रिय रही है। एड्स, कन्या भ्रूण हत्या और पर्यावरण सुरक्षा जैसे मुद्दों पर एनसीसी ने जो जागरूकता अभियान चलाए, हम उनकी बहुत कद्र करते हैं, ये प्रयास सराहनीय हैं और इन्हें जारी रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता के लिए जो मूल्य महत्वपूर्ण हैं, नेशनल कैडेट कोर उनका मूर्त रूप है, मैं सभी छात्रों और युवाओं से आग्रह करता हूं कि वे एनसीसी में शामिल हों और मैत्रीपूर्ण सौहार्द, साहसिक कार्यों तथा अनुशासन के जीवन का अनुभव प्राप्त करें, आगे आने वाले वर्षों में युवाओं के सामने जो जिम्मेदारियां आएंगी, उनके लिए प्रशिक्षण के वास्ते एनसीसी से बेहतर कोई जगह नहीं है।
मनमोहन सिंह ने एनसीसी के उन छात्र कैडेटों को बधाई दी, जिन्होंने अपने पहले माउंट एवरेस्ट अभियान में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचने में सफलता प्राप्त की। इसका श्रेय उनके मिलकर कार्य करने की भावना, नियोजन, क्षमता और कौशल को जाता है। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम के सिलसिले में मित्र देशों से आए हुए युवा कैडेटों को भी बहुत शुभकामनाएं दीं और कहा कि वे आजीवन मित्रता के संबंध कायम करेंगे और भारत प्रवास की मधुर यादों को अपने साथ लेकर जाएंगे और उम्मीद जताई कि वे बाद के वर्षों में भारत के मित्रों के रूप में यहां आते रहेंगे। उन्होंने कहा कि हम बहुत तेजी से बदलते हुए और आपस में बहुत अधिक जुड़े हुए विश्व में रह रहे हैं, इसलिए यह बिल्कुल स्वाभाविक है कि हमारे युवाओं में समाज को बेहतर बनाने की उत्कृट इच्छा है, आज के युवा न केवल सचेत हैं और अपने विचारों को स्पष्ट रूप से रखने को तैयार हैं, बल्कि हमारे राज्यतंत्र और समाज को इस प्रकार नया रूप देने में भागीदारी करने के लिए तैयार हैं, जो उनकी आकांक्षाओं की पूर्ति में सहायक हो, यह बहुत ही सकारात्मक परिवर्तन है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जागरूक और कार्यरत युवा एक ऐसी शक्ति है, जो वास्तव में हमारे समाज को बदल सकती है और इसे गरीबी, बीमारी, अल्प-विकास और अज्ञानता से छुटकारा दिलाने के लिए सक्षम बना सकती है, इसके लिए हमें महात्मा गांधी के कथन को याद रखना होगा- हम जो परिवर्तन देखना चाहते हैं, वह हमें अपने आप में लाना होगा। उन्होंने कहा कि मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से यह अवसर पिछले 10 वर्षों से वार्षिक रस्म की तरह रहा है, इससे मेरे मन में देश के प्रति, जिनको हम मानते हैं उन मूल्यों के प्रति, अपने सामने मौजूद युवाओं के प्रति जो कल की जिम्मेदारियों को उठाने के लिए तैयार हो रहे हैं और देश के भविष्य के प्रति फिर से मेरा विश्वास जागता है, हमारे युवाओं की ऊर्जा, जीवन शक्ति और उत्साह, जिनका आज प्रदर्शन हो रहा है, देश के भविष्य के बारे में विश्वास जगाते हैं, मैं आपसे केवल यही कह सकता हूं-आगे बढ़ो और अपने लिए, अपने माता-पिता के लिए और देश के लिए गौरव प्राप्त करो।