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Thursday 30 January 2014 10:10:48 PM
नई दिल्ली। यूपीए सरकार ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों के तहत सच्चर समिति की सिफारिशों के अनुसार, मुसलमानों की वक्फ संपत्तियों को पांच सौ करोड़ रुपए से विकसित करने के लिए कल राष्ट्रीय वक्फ विकास निगम स्थापित करने के बाद आज अन्य पिछड़ा वर्ग को भी केंद्रीय अनुसूची में शामिल कर लिया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 13 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग की केंद्रीय अनुसूची में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। ये 13 राज्य आंध्र प्रदेश, बिहार, गोवा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल तथा तीन केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़, दिल्ली और पुदुचेरी हैं। यह संशोधन राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) की सिफारिशों के अनुपालन में जातियों, समुदायों के समावेश, सुधार, अपमार्जन के जरिए किया जाएगा। संशोधनों में एनसीबीसी के सुझावों पर 115 बदलावों को अधिसूचित किया जाएगा।
प्रस्तावित परिवर्तनों से इन जातियों, समुदायों के लोग सरकारी सेवाओं और पदों पर आरक्षण सुविधा के लाभ प्राप्त करने में सक्षम होंगे। इसके साथ ही मौजूदा नीति के तहत उन्हें केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण सुविधा प्राप्त होगी। उपरोक्त सभी लोगों को केंद्र सरकार से प्रदत्त विभिन्न छात्रवृत्तियों और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी प्राप्त होगा, जो अब तक अन्य पिछड़ा वर्ग के व्यक्तियों को प्राप्त होता रहा है। एनसीबीसी का गठन इंदिरा साहनी मामले पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के आधार पर किया गया था। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1993 की धारा 9 में उल्लिखित 'आयोग के कार्यकलाप' में कहा गया है-'आयोग किसी भी नागरिक समूह को पिछड़े वर्ग की अनुसूची में शामिल करने के निवेदन पर विचार करेगा और अनुसूची में किसी भी पिछड़ा वर्ग के अधिक समावेश या कम समावेश संबंधी शिकायतों को सुनेगा तथा तद्नुसार केंद्र सरकार को सलाह देगा। आयोग की सलाह केंद्र सरकार के लिए साधारणत: बाध्य होगी।'
सात राज्यों ने 58 समुदायों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने संबंधी सिफारिशें की हैं। केंद्र सरकार को दिसंबर 2013 तक सात राज्यों की ओर से 58 समुदायों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किए जाने संबंधी प्रस्ताव मिले हैं। इनमें सबसे अधिक 39 समुदायों की सिफारिश असम सरकार ने भेजी है। इसके बाद सिक्किम से 11 समुदायों और झारखंड से चार समुदायों को इस सूची में शामिल किए जाने संबंधी सिफारिशें भेजी गई है। केंद्र सरकार ने इन सिफारिशों की जांच के बाद इन्हें भारत के महापंजीयकों के पास भेज दिया। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की सूची में किसी भी समुदाय या वर्ग को शामिल करने या हटाने संबंधी सिफारिशें राज्य सरकार, केंद्र शासित प्रदेश द्वारा की जाती है। भारत के महापंजीयक एवं भारतीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सहमति से इन वर्गों को हटाने या शामिल करने के बारे में संबंधित कानून में संशोधन किया जाता है।
एनसीबीसी केंद्र सरकार को समय-समय पर सलाह देता रहा है। अब तक कुल 30 अधिसूचनाएं जारी की जा चुकी हैं और 24 राज्यों तथा छह केंद्र शासित प्रदेशों के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग की केंद्रीय अनुसूची में अद्यतन कुल 2,343 "प्रविष्टियों" ("प्रविष्टि" का अर्थ जाति, उसके उपनाम, उपजातियां आदि हैं) को अधिसूचित किया जा चुका है। इस तरह की अंतिम अधिसूचना 8 दिसंबर 2011 को जारी की गई थी। इसके बाद से अन्य पिछड़ा वर्ग की मौजूदा अनुसूची में जातियों, समुदायों के समावेश,अपमार्जन संबंधी कई सलाहें एनसीबीसी को प्राप्त हुई हैं।