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कोयले का उत्‍पादन बस ठीक-ठाक ही रहा

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Thursday 03 January 2013 01:48:45 AM

नई दिल्ली। वर्ष 2012 कोयला मंत्रालय के लिए घटनामय रहा। छियासठ कोयला ब्‍लॉकों के निष्‍पादन की समीक्षा की गई, जिसमें चूककर्ताओं के आवंटन रद्द करना और पैसे घटाना तथा बैंक गारंटी के खिलाफ वसूली की कार्रवाई शामिल थी। बताया गया है कि इस प्रक्रिया से देश में कोयला उत्‍पादन ठीक-ठाक हुआ है और उसमें वृद्धि भी हुई है। कोयले के श्रेणीकरण और मूल्‍य निर्धारण में परिवर्तन किया गया है तथा टेक्‍नोलॉजी विकास और आधुनिकीकरण के अनेक उपाय किये गए हैं।
वर्ष 2012-13 के लिए कोयला उत्‍पादन का लक्ष्‍य 578.10 मिलियन टन रखा गया, जबकि सचमुच उत्‍पादन लक्ष्‍य 2011-12 में 540 मिलियन टन का था, जो प्राप्‍त कर लिया गया। इसका मतलब कि पहले वाले साल के मुकाबले यह उत्‍पादन में 7 प्रतिशत वृद्धि हुई। अप्रैल-नवंबर 2012 के दौरान वास्‍तविक उत्‍पादन 330.61 मिलियन टन रहा, जो इसी अवधि के लिए निर्धारित लक्ष्‍य के 93 प्रतिशत के बराबर था और पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 6.4 प्रतिशत ज्‍यादा था। वर्ष के दौरान 585.60 मिलियन टन कोयले के उठान का लक्ष्‍य रखा गया था। इसकी तुलना में अप्रैल, नवंबर 2012 की अवधि में 360 मिलियन टन कोयला उठाया गया जो कि लक्ष्‍य के 95 प्रतिशत के बराबर था।
कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) में कोयले का उत्‍पादन और उत्‍पादकता बढ़ाने से संबंधित अनेक कदम उठाए गए हैं, इनमें टेक्‍नोलॉजी विकास आधुनिकीकरण और माइन डेवलपर और ऑपरेटर के जरिए नये कोयला ब्‍लॉकों का विकास शामिल है। मार्च 2012 में नई आर एण्‍ड आर नीति अपनाई गई जिसका उद्देश्‍य भूमि अधिग्रहण से संबंधित मुद्दे और कोयला खान परियोजनाओं की समस्‍याएं हल करने के लिए उपयुक्‍त उपायों की व्‍यवस्‍था है। सीएमपीडीआईएल की ड्रिलिंग कैपिसिटी बढ़ा दी गई है और इस संगठन को सुदृढ़ बनाने के उपाय किये गए हैं। कोयले के श्रेणीकरण मूल्‍य निर्धारण के आधार में 1 जनवरी, 2012 से परिवर्तन किया गया है। इसके परिणामस्‍वरूप कोयला कंपनियों से मूल सुविधाएं मजबूत बनाने को कहा गया, ताकि वह गुणवत्‍ता सुनिश्चित कर सके। कोयला कंपनियों ने तदनुसार उपाय किये और विद्युत संगठनों के साथ ईंधन सप्‍लाई समझौते करना अनिवार्य बना दिया गया।
सरकार ने नेवेली लिग्‍नाइट कारपोरेशन और यूपीआरवीयूएनएल को एक संयुक्‍त उद्यम शुरू करने की अनुमति दी, ताकि उत्‍तर प्रदेश में घाटमपुर ताप बिजलीघर को कोयले की सप्‍लाई की जा सके। इस बिजलीघर की क्षमता 1980 मेगावाट (3x660 मेगावाट) है और इस पर 14,858 करोड़ रूपये पूंजीनिवेश किए जाने का प्रस्‍ताव है। सरकार इस पूंजीनिवेश प्रस्‍ताव पर विचार कर रही है। एमएमडीआर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसरण में कोयला मंत्रालय ने नियमों को अधिसूचित कर दिया और बिजली उत्‍पादकों तथा अन्‍य उपभोक्‍ताओं को कोयला ब्‍लॉकों के निर्धारण के तौर-तरीके तय किये जा रहे हैं। प्राइवेट कंपनियों को नीलामी के जरिए ब्‍लॉकों के आबंटन के संबंध में तौर-तरीके भी तय किये जा रहे है।
सरकार ने आबंटित ब्‍लॉकों की समय-समय पर समीक्षा के लिए एक अंतर मंत्रालय समूह गठित किया है। इस समूह ने 66 कोयला ब्‍लॉकों की समीक्षा की और विभिन्‍न कार्रवाईयों की सिफारिश की जो सरकार के विचाराधीन हैं। अच्‍छी संभावना वाले कोयला क्षेत्रों में महत्‍वपूर्ण रेल परियोजनाओं की शुरूआत की गई और प्राथमिकता दी गई। इन क्षेत्रों में झारखंड के उत्‍तरी करणपुरा और छत्‍तीसगढ़ में मंड-रायगढ़ तथा उड़ीसा की इब-घाटी स्थित परियोजनाएं शामिल हैं। इन्‍हें प्राथमिकता दी जा रही है और सरकार ने इनके लिए अंतर मंत्रालयी समिति गठित की है जिसके प्रमुख रेलवे बोर्ड के अध्‍यक्ष हैं। यह समिति परियोजनाओं की प्रगति पर नजर रखेगी, ताकि परियोजनाओं में उत्‍पादन और कोयले की ढुलाई के 12वीं पंचवर्षीय योजना के लक्ष्‍य पूरे किए जा सकें।

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