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Thursday 20 February 2014 04:04:10 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या से उपजे कानून के बुनियादी मुद्दों पर उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका लगा रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय से मीडिया को जारी किए गए बयान सरकार ने स्पष्ट किया है कि उसने तमिलनाडु सरकार को यह सूचना भी दी है कि राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने की उसकी प्रस्तावित कार्रवाई कानूनन तर्कसंगत नहीं है तथा इस पर आगे नहीं बढ़ना चाहिए। प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा है कि राजीव गांधी की हत्या भारत की आत्मा पर हमला था। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और हमारे महान नेता एवं अनेक बेगुनाह भारतीयों के हत्यारों की रिहाई न्याय के सभी सिद्धांतों के विपरीत होगी। किसी सरकार या दल को आतंकवाद से हमारे संघर्ष में नरम रवैया नहीं अपनाना चाहिए। इस मामले से राजनीतिक पारा काफी गरम है और दक्षिण भारत में इसके राजनीतिक अर्थ निकाल लिए गए हैं।
कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले और इस संबंध में मुख्यमंत्री जयललिता के बयान को गैर जिम्मेदाराना बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की है। कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने मीडिया से कहा कि तमिलनाडु सरकार का फैसला और वहां की मुख्यमंत्री का बयान गैर जिम्मेदाराना है और पार्टी इसकी निंदा करती है। उनका कहना था कि क्या तमिलनाडु सरकार यह नहीं जानती कि आतंकवादी हमले में देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी तथा 17 अन्य लोग मारे गए थे, जिनमें तमिलनाडु के लोग भी थे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को रिहा करने का अधिकार है, लेकिन संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति नियमों तथा संबंधित दिशानिर्देशों के अनुरूप ही काम कर सकता है और राज्य सरकार का निर्णय संवैधानिक भावना के खिलाफ है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि ऐसे निर्णय लोगों को लुभाने के लिए नहीं लिए जा सकते हैं। ध्यान रहे कि जयललिता ने राज्य विधानसभा में कहा है कि उनके मंत्रिमंडल ने राजीव गांधी हत्याकांड के सात दोषियों नलिनी, मरूगन, पेरारीवेलन, संतन, राबर्ट पीयूष, जय कुमार तथा रविंद्रन को रिहा करने का निर्णय लिया है, इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा और यदि उसने तीन दिन में जवाब नहीं भेजा तो राज्य सरकार अपने अधिकारों के तहत उन्हें रिहा कर देगी।
राजीव गांधी के हत्यारों की सजा बदलने के बाद से देश का राजनीतिक वातावरण काफी तनावपूर्ण है। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के हत्यारों को रिहा करने के फैसले के बाद देश भर में बहस छिड़ गई है कि जब देश के पूर्व प्रधानमंत्री को न्याय नहीं मिला तो आम आदमी को कैसे न्याय मिल पाएगा। देश में लोकसभा चुनाव सर पर है और माना जा रहा है कि जयललिता ने अपना राजनीतिक फायदा देखते हुए अवसर का लाभ उठाया है। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि इसके लिए कांग्रेस ही पूरी तरह से जिम्मेदार है, क्योंकि केंद्र में अपनी सरकार के रहते उसने इस मामले की कोई पैरवी नहीं की, बल्कि वह भी अपने राजनीतिक हित साधने में लगी रही। कहा जा रहा है कि हत्यारों को सजा के लिए इतने लंबे समय तक प्रतीक्षा कराने के पीछे आखिर कौन है? राजीव गांधी के पुत्र और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आज जो कह रहे हैं, उसके लिए कौन जिम्मेदार है, इस प्रश्न का उत्तर भी इसी परिवार से मांगा जा रहा है। इस घटना में चूंकि और लोग भी मरे थे, इसलिए इस पर शोर और ज्यादा बढ़ गया है, क्योंकि मरने वालों के परिजनों को न्याय नहीं मिला है, इसलिए सरकार ने हड़बड़ी में यह कदम उठाया है।