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Monday 3 March 2014 11:49:45 PM
लखनऊ। लखनऊ में कल हुई भाजपा की ‘विजय शंखनाद महारैली’ में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र भाई मोदी की मौजूदगी में औपचारिक रूप से भाजपा में लौटे उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने अपनी घोषणा के अनुसार आज पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त कर दिया। राजनाथ सिंह ने विजय शंखनाद महारैली को संबोधित करने के बाद कल्याण सिंह को भाजपा की सदस्यता प्रदान करते हुए घोषणा की थी कि कल्याण सिंह को पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी दी जाएगी। अगले ही दिन यानी आज कल्याण सिंह को वह जिम्मेदारी भी दे दी गई। उत्तर प्रदेश में पिछड़ों का और ज्यादा साथ मिलने से भाजपा की ताकत भी बढ़ गई है।
कल्याण सिंह की भाजपा के बहुत बड़े नेताओं में गिनती होती थी। उत्तर प्रदेश के पिछड़े वर्ग के जनाधार वाले नेताओं में भी वे सबसे आगे हुआ करते थे, लेकिन भाजपा नेताओं से अलगाव होने के कारण वे पार्टी से अलग हो गए और उन्होंने राष्ट्रीय क्रांति पार्टी के नाम से अलग राजनीतिक दल बना लिया। कल्याण सिंह उसमें खुद तो सांसद बन गए, किंतु राकापा को उत्तर प्रदेश में किसी भी राजनीतिक दल का विकल्प नहीं बना सके और एक प्रकार से राज्य की राजनीति की मुख्यधारा से ही अलग-थलग पड़ गए। कल्याण सिंह ने अपने राजनीतिक संक्रमण काल में कई बार भाजपा में लौटने की कोशिश भी की, मगर कभी भाजपा के शीर्ष नेताओं ने उन्हें भाजपा में लौटने का अवसर नहीं दिया तो कभी उन्होंने भाजपा में अपने अनुकूल वातावरण नहीं पाकर भाजपा की ओर रुख नहीं किया। उनकी राकापा में दो ही प्रमुख चेहरे रहे-एक वो खुद और दूसरे उनके पुत्र राजवीर सिंह।
कल्याण सिंह ने भाजपा से अलग होने के बाद कई जोखिमभरे राजनीतिक फैसले और प्रयोग किए, जिनमें उनका एक प्रयोग समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह यादव के साथ चले जाना है। कल्याण सिंह को यह प्रयोग इतना महंगा पड़ा कि मुलायम सिंह यादव ने उनका इसलिए साथ छोड़ दिया, क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में सपा को उनके कारण मुसलमानों ने वोट नहीं दिया, इसपर सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कल्याण सिंह का साथ लेना अपने राजनीतिक जीवन की बड़ी भूल बताया और मुसलमानों से इसके लिए माफी भी मांगी। पिछले लोकसभा चुनाव के बाद कल्याण सिंह का मुलायम सिंह यादव से मोहभंग भी हो गया था। एक समय ऐसा आया कि कल्याण सिंह के चाहने वालों का भी राजनीतिक भविष्य अंधकारमय हो गया, जिससे उनका उनसे विश्वास भी टूट गया और कई महत्वपूर्ण साथी उन्हें छोड़कर भाजपा में वापस लौट गए। कल्याण सिंह को इस बार कोई ना कोई फैसला करना ही था और वे अपने घर यानी भाजपा में सपरिवार वापसी के अवसर में थे, जो उनको सम्मान के साथ मिल गया। उनके चाहने वालों में खुशी है और वे भी अपनी विचारधारा से जुड़ गए हैं।
कल्याण सिंह ने भाजपा से लंबे समय बाहर रहने का भारी राजनीतिक नुकसान उठाया है। वे उत्तर प्रदेश में भाजपा की पहली सरकार के मुख्यमंत्री बने थे और उसके बाद कहा जाने लगा था कि वे भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान हासिल कर चुके हैं, मगर कुछ गलतियों ने उन्हें बहुत पीछे कर दिया। माना जाता है कि कल्याण सिंह यदि भाजपा से अलग ना हुए होते तो वे आज राष्ट्रीय राजनीति में ही नरेंद्र मोदी की जगह पर होते। वे राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और भाजपा के तत्कालीन शीर्ष नेतृत्व से मतभेद पर काबू पाने में विफल रहे और अंततः उन्हें न केवल भाजपा से बाहर जाना पड़ा, अपितु जीवन की राजनीतिक सफलताओं पर पानी फिर गया। भाजपा में उनकी अब वापसी हो चुकी है और भाजपा में उनका इकबाल बहाल करते हुए उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बना दिया गया है। कल्याण सिंह की घर वापसी पर जहां उनका स्वागत हो रहा है, वहीं यह भी कहा जा रहा है कि उनकी वापसी यूं तो देर आयद दुरस्त आयद है, किंतु कल्याण सिंह को बहुत संभलकर चलना होगा, क्योंकि भाजपा में बहुत कुछ बदल गया है।