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Tuesday 4 March 2014 03:58:19 AM
नई दिल्ली। पोलियो के विषाणु (वाइरस) से बचाव के उपाय के तहत भारत आने वाले और जाने वाले पोलियो प्रभावित देशों के यात्रियों के लिए पोलियो की खुराक लेना अनिवार्य कर दिया गया है। ये देश हैं-अफगानिस्तान, इथोपिया, सीरिया, केन्या, सोमालिया, नाइजीरिया और पाकिस्तान। इन देशों से आने वाले सभी यात्रियों को अपने देश से भारत रवाना होने के छह सप्ताह पहले यह खुराक लेनी होगी। भारत से इन देशों की यात्रा पर जाने वालों को भी पोलियो की दवा लेनी पड़ेगी। यह व्यवस्था 1 मार्च 2014 से प्रभावी हो गयी है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की अपर सचिव अनुराधा गुप्ता ने कहा है कि 'भारत में पोलियो को समाप्त करने के वर्षों के प्रयासों और भारी वित्तीय संसाधनों के निवेश के बाद हम पोलियो के विषाणु के दोबारा फैलने का खतरा नहीं उठा सकते। पश्चिम एशिया और अफ्रीका के कई क्षेत्रों में यह विषाणु एक बार दोबारा तेजी से फैल रहा है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ निकायों और विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा निर्देशों के अनुसार इन सुरक्षात्मक उपायों को लागू किया गया है।'
भारत में पिछले तीन वर्षों में पोलियो का कोई भी नया मामला सामने नहीं आया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन से जुड़े दक्षिण पूर्व एशिया के देशों और भारत को पोलियो से मुक्त घोषित किया जा चुका है। अफगानिस्तान, पाकिस्तान और नाइजीरिया से इस महामारी के 2013 में छह देशों में दोबारा फैलने के बाद खतरा लगातार बना हुआ है। पोलियो के वाइरस के फैलाव के खतरे के चलते स्वतंत्र निगरानी के बोर्ड ऑफ द ग्लोबल पोलियो इरेडिकेशन इनीसियेटिव ने अक्टूबर 2013 में अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनुशंसा रिपोर्ट में पोलियो प्रभावित सभी देशों के यात्रियों को इस बीमारी से मुक्त घोषित किये जा चुके देशों की यात्रा से पहले दवा लेने की सलाह जारी की थी।
डब्ल्यू एच ओ के दिशा निर्देशों के अनुसार जब तक पूरी दुनिया से पोलियो का उन्मूलन नहीं हो जाता, तब तक इस वाइरस से मुक्त क्षेत्रों में इसके दोबारा फैलने का खतरा लगातार बना हुआ है। भारत में डब्ल्यू एच ओ के प्रतिनिधि डॉ नाता मेनाब्दे ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन पोलियो प्रभावित देशों से भारत आने वाले और जाने वाले यात्रियों को दवा लेने की पहल में पूरा सहयोग दे रहा है। यह कार्य बोर्ड ऑफ द ग्लोबल पोलियो इरेडिकेशन इनीसियेटिव के सुझावों के अनुसार भी उचित है। इससे पहले मई 2013 में पोलियो उन्मूलन पर भारतीय विशेषज्ञ सलाहकार समूह ने डब्ल्यू एच ओ के सुझावों का समर्थन किया था। विशेषज्ञ समूह के अनुसार प्रभावित देशों से इस बीमारी के पुन: फैलने का खतरा सबसे अधिक है और यह वाइरस भारत को किसी तरह की छूट नहीं देगा।
भारत ने इस महामारी को रोकने के लिए कुछ अन्य उपाय भी किये है। जैसे-पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, म्यामार और भूटान के साथ लगने वाली अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर प्रतिरक्षण चौकियों का निर्माण करना वर्ष 2011 में शुरू किये गये इस कार्यक्रम के तहत इन चौकियों की संख्या इस वर्ष बढ़ाकर 102 कर दी गई। पिछले 2 वर्षों में इन चौकियों से 42 लाख बच्चों को दवा पिलाई गई है। इस बीमारी को रोकने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली दवा का उपयोग कर और बड़ी संख्या में अभियान चलाते हुए सभी आवश्यक उपाय किये जा रहे हैं। पिछले साल 2 राष्ट्रीय और 6 उप-राष्ट्रीय अभियान चलाये गये। भारत में पोलियो वाइरस के किसी भी अवांछित प्रवेश को रोकने के लिए निगरानी की कड़ी व्यवस्था की गई है। केंद्र ने पोलियो के किसी भी केस को इमरजेंसी के रूप में लेने की घोषणा की है। इसके लिए 200 रैपिड रिस्पांस टीम को प्रशिक्षित किया गया है और तैयारियों का मूल्यांकन लगातार किया जा रहा है।