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राष्ट्रपति ने स्त्री शक्ति पुरस्कार प्रदान किए

'नैतिक मूल्यों के बिना महिला कानून ही काफी नहीं '

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Saturday 8 March 2014 08:14:33 PM

devi ahilyabai holkar award to dr. seema sakhare

नई दिल्‍ली। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मुख्य अतिथि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज छह महिलाओं को विशिष्ट उपलब्धियों के लिए स्त्री शक्ति पुरस्कार प्रदान किए। स्त्री शक्ति पुरस्कार पाने वालों को राज्य सरकारें, सांसद, अति विशिष्ट व्‍यक्ति और स्व प्रेरणा पर मनोनित करते हैं और राष्ट्र स्तरीय एक स्क्रीनिंग कमेटी उनका चुनाव करती है। भारत की प्रतिष्ठित महिलाओं के नाम पर छह पुरस्कारों की शुरुआत की गई थी। पुरस्कार के तौर पर तीन लाख रुपये नकद और सम्मान-पत्र दिया जाता है।
इस वर्ष की पुरस्कार विजेताओं का विवरण है-ओडिशा की मानसी प्रधान को महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में कार्य करने के लिए रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार 2013 से सम्मानित किया गया। आंध्र प्रदेश की डॉ एम वेंकैया को महिलाओं के स्वास्थ्य के क्षेत्र में योगदान के लिए रानी रुद्रम्मा देवी पुरस्कार 2013 से सम्मानित किया गया। महाराष्ट्र की बीना शेठ लश्करी को शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में योगदान के लिए माता जीजाबाई पुरस्कार 2013 से सम्मानित किया गया। आंध्र प्रदेश की टी राधा के प्रशांति को अनाथों, दृष्टिबाधितों, विकलांगों और बेसहारा महिलाओं की सहायता करने के लिए कन्नगी पुरस्कार 2013 से सम्मानित किया गया। दिल्ली की डॉ वर्तिका नंदा को मीडिया के माध्यम से महिलाओं से जुड़े मुद्दों के विषय में जागरूकता पैदा करने के लिए रानी गायडिन्ल्यू ज़ेलियांग पुरस्कार 2013 से पुरस्कृत किया गया और महाराष्ट्र की डॉ सीमा सखारे को महिलाओं और लड़कियों को महिला अधिकार, लैंगिक मुद्दों, कानूनी परामर्श और संस्थागत सहायता के लिए देवी अहिल्याबाई होल्कर पुरस्कार 2013 प्रदान किया गया।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस अवसर पर कहा कि महिलाएं गृहणी, माता और शिक्षक के रूप में देश की भावी पीढ़ी तैयार करती हैं, वे कॉरपोरेट वर्ल्ड में व्यवसायी और सहायक रूप में कार्य करती हैं, वे अपने प्रयासों से राष्ट्र निर्माण में बड़े और छोटे योगदान देती हैं, जीवन के सभी क्षेत्रों में एक सम्मानित पेशेवर के रूप में महिलाएं किसी से कम नहीं हैं, वे विज्ञान, अंतरिक्ष और अनुसंधान सभी क्षेत्रों में योगदान दे रही हैं। राष्ट्रपति ने खाद्य सुरक्षा सहित कृषि क्षेत्र में महिलाओं के योगदान का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि देश में निर्माण क्षेत्र में पुरुष से कंधे से कंधा मिलाकर भी महिलाएं अपना योगदान दे रही हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि नए कानूनों को हमें उचित रूप से लागू करना होगा, कानून अकेले महिलाओं को बंधन मुक्त नहीं कर सकता है, इसलिए हमें अपने मानसिक और नैतिक मूल्यों में आधारभूत परिवर्तन करना होगा, हमें हमारी नागरिक सूझबूझ और सामाजिक व्यवहार में भी बदलाव लाना होगा, इसके लिए हमारी माताओं और बहनों को हमारी परंपरा के अनुसार सम्मान और इज्जत देनी होगी, इस तरह हम खुद भी सम्मानित होंगे। इस मौके पर महिला और बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ, योजना आयोग की सदस्य सईदा हामिद, समाज सेविका मोहिनी गिरि और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। 

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