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वीवीपीएटी मशीनों से सभी जगह वोटिंग असंभव

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 10 March 2014 10:29:21 PM

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नई दिल्‍ली। मतदाता पावती रसीद यानी वोटर वेरिफायड पेपर ऑडिट ट्रायल (वीवीपीएटी) मतपत्र रहित मतदान प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए मतदाताओं को फीडबैक देने का विश्‍वसनीय तरीका माना गया है। इसका उद्देश्य इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों की स्वतंत्र पुष्टि है। यह व्यवस्था मतदाता को इस बात की पुष्टि करने की अनुमति देती है कि उसकी इच्छानुसार मत पड़ा है या नहीं। इसे वोट बदलने या वोटों को नष्ट करने से रोकने के अतिरिक्त उपायके रूप में इस्तेमाल किया जाता है। चुनाव आयोग मानता है कि 2019 के आम चुनावों के पहले सभी संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में वीवीपीएटी मशीनें लगाना संभव नहीं होगा। आयोग ने कहा है कि वीवीपीएटी मशीनें प्राप्त करने तथा देश के सभी मतदान केंद्रों पर इसे लगाने के लिए लगभग 1500 करोड़ रूपयों की आवश्यकता होगी।
वीवीपीएटी के तहत प्रिंटर की तरह का एक उपकरण इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से जुड़ा होता है। जब वोट डाला जाता है, तब इसकी एक पावती रसीद निकलती है, इस पावती पर क्रम संख्या, नाम तथा उम्मीदवार का चुनाव चिन्ह दर्शाया जाता है। यह उपकरण वोट डाले जाने की पुष्टि करता है तथा इससे मतदाता ब्यौरों की पुष्टि कर सकता है। रसीद एक बार दिखने के बाद ईवीएम से जुड़े कंटेनर में चली जाती है। दुर्लभतम मामलों में केवल चुनाव अधिकारी की ही इस तक पहुंच हो सकती है। यह प्रणाली पहली बार प्राप्त रसीद के आधार पर मतदाता को अपने वोट को चुनौती देने की अनुमति देती है। नये नियम के अनुसार मतदान केंद्र के पीठासीन अधिकारी को मतदाता की अस्वीकृति दर्ज करनी होगी तथा इस अस्वीकृति को गिनती के समय ध्यान में रखना होगा।
वीवीपीएटी प्रणाली का निर्माण ईवीएम पर संदेहों के कारण नहीं, बल्कि प्रणाली को उन्नत बनाने के हिस्से के रूप में हुआ था। वीवीपीएटी उपयोग को बढ़ावा देने वाली घटनाओं के क्रमिक विकास में 4 अक्तूबर 2010 को आयोजित सर्वदलीय बैठक में ईवीएम के इस्तेमाल को जारी रखने के बारे में व्यापक सहमति थी तथा अनेक राजनीतिक दलों ने सुझाव दिया कि वीवीपीएटी को शामिल करने की संभावना तलाशी जानी चाहिए। निर्वाचन आयोग ने वीवीपीएटी की संभावना जानने के लिए मामले को विशेषज्ञ समिति के पास भेजा तथा इसके निर्माताओं-भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड ,बंगलौर (बीईएल) तथा इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद (ईसीआईएल) को वीवीपीएटी प्रणाली का नमूना (प्रोटोटाइप) विकसित करने का निर्देश दिया।
तकनीकी विशेषज्ञ समिति की सिफारिश पर जुलाई, 2011 में आम मतदाताओं, राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय राजनीतिक दलों, सिविल सोसाइटी संगठनों, मीडिया की मौजूदगी तथा उनकी भागीदारी के साथ फील्ड में इसका प्रयोग तिरूअनंतपुरम, दिल्ली, जैसलमेर, चेरापूंजी तथा लेह में किया गया। पहले फील्ड प्रयोग के बाद समिति की सिफारिश के आधार पर इसमें परिवर्तन किया गया। फील्ड में इसका दूसरा प्रयोग जुलाई-अगस्त 2012 में इन्‍हीं जगहों में किया गया। तकनीकी विशेषज्ञ समिति ने 19 फरवरी, 2013 को अपनी बैठक में वीवीपीएटी के अंतिम डिजाइन को मंजूरी दी। भारत सरकार ने 14 अगस्त 2013 को एक अधिसूचना के जरिए चुनाव कराने संबंधी नियम 1961 को संशोधित किया। इससे आयोग को इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों के साथ वीवीपीएटी के इस्तेमाल का अधिकार मिला। सितंबर, 2013 में नगालैंड के त्वेनसांग में नोकसेन विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए ईवीएम के साथ वीवीपीएटी का प्रयोग किया गया।
उच्चतम न्यायालय ने अक्तूबर, 2013 में सुब्रम्णयम स्वामी बनाम भारत निर्वाचन आयोग मामले में व्यवस्था देते हुए कहा कि वीवीपीएटी स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनावों के लिए अपरिहार्य है तथा भारत निर्वाचन आयोग को वीवीपीएटी प्रणाली की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए ईवीएम को वीवीपीएटी से जोड़ने का निर्देश दिया। उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को 2014 के अगले आम चुनावों के लिए चरणबद्ध तरीके से ईवीएम में पावती रसीद लागू करने का निर्देश देते हुए कहा कि इससे स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित होगा। शीर्ष न्यायालय ने वीवीपीएटी प्रणाली लागू करने के लिए केंद्र को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। निर्वाचन आयोग ने उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में वीवीपीएटी प्रणाली के इस्तेमाल का आदेश दिया। करीब 1,18,596 पंजीकृत मतदाताओं वाले 186 मतदान केंद्रों में पायलट परियोजना शुरू की गई।
निर्वाचन आयोग ने मिजोरम चुनाव विभाग को हाल में 40 सदस्यों वाली मिजोरम विधानसभा के चुनावों के दौरान 10 निर्वाचन क्षेत्रों में वीवीपीएटी प्रणाली के इस्तेमाल का आदेश दिया। वीवीपीएटी प्रणाली दिल्ली, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा राजस्थान के एक-एक निर्वाचन क्षेत्रों में भी लागू की गई। आयोग को लोकसभा चुनावों में सभी 543 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में इस प्रणाली को लागू करने के लिए लगभग 14 लाख वीवीपीएटी मशीनों की आवश्यकता होगी, लेकिन इतने कम समय में इतनी मशीनों के उत्पादन और परीक्षण को लेकर आयोग आश्‍वस्‍त नहीं है। 

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