माजिद मुश्ताक पंडित
Thursday 13 March 2014 03:35:12 AM
नई दिल्ली। भारत में प्रत्येक 10 व्यक्तियों में से एक किडनी की बिमारियों से ग्रस्त है। दुर्भाग्य से आधे से अधिक मरीज अपनी बिमारी के बारे में तब जान पाते हैं, जब उनकी किडनियां 60 प्रतिशत से अधिक क्षतिग्रस्त हो चुकी होती हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा संस्थान के अध्ययन के अनुसार लगभग 1.50 लाख नए किडनी मरीज़ों की संख्या हर वर्ष बढ़ जाती है, जिनमें से बहुत थोड़े से लोगों को किसी प्रकार का इलाज मुहैया हो पाता है। यह समस्या दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है। आरंभिक चरण में बिमारी का पता न चल पाने, धन की कमी या फिर सही मिलान वाली किडनी के दानकर्ता के अभाव के कारण हर वर्ष अनेक मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हो पाता और ये मरीज लाइलाज रह जाते हैं। भारत में हर साल लगभग पांच लाख किडनी ट्रांसप्लांट किए जाने की आवश्यकता है, लेकिन इस मंहगी प्रक्रिया के माध्यम से कुछ हज़ार मरीज ही नया जीवन प्राप्त कर पाते हैं।
आज 13 मार्च को सारे विश्व में विश्व किडनी दिवस है। किडनी स्वास्थ्य की महत्ता, किडनी तथा इससे जुड़ी बिमारियों का खतरे से बचाव के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए वर्ष 2006 से प्रतिवर्ष इसे मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष इसके लिए विशेष विषय शीर्षक तय किया जाता है। इस वर्ष का विषय शीर्षक है 'बढ़ती उम्र तथा लंबी किडनी बिमारियां'। हाइपरटेंशन तथा मधुमेह के बाद लंबी किडनी बीमारी तीसरी सबसे बड़ी गैर संक्रमणकारी बिमारी है। इतना ही नहीं ऊपर की दोनों बीमारियां भी किडनी को प्रभावित करती हैं और अक्सर लंबी किडनी बिमारी में परिणित हो जाती हैं। आंकड़ों के अनुसार लंबी किडनी बिमारी के 60 प्रतिशत मरीज पूर्व में या तो मधुमेह के मरीज रहे हैं या फिर उच्च रक्तचाप के मरीज रहे हैं और अनेक मामलों में इन दोनों ही बीमारियों से पूर्व में ग्रस्त रहे हैं। किडनी की बिमारी का यदि आरंभिक चरण में ही पता चल सके तो उसका इलाज समय से किया जा सकता है और इसके साथ जुड़ी दूसरी जटिलताओं से बचा जा सकता है। परिणामस्वरूप मूत्र संबंधी तथा कार्डियो-वैस्कूलर बीमारियों के कारण होने वाली मौतों की संख्या में भी काफी कमी आ सकती है।
किडनी की लंबी बीमारी से जुड़े खतरों को समझना ज़रूरी है। यह ध्यान में रखना आवश्यक है कि अपने शुरूआती चरण में बिमारी के लक्षण नहीं दिखाई देते, इसलिए शुरूआती चरण में इलाज भी संभव नहीं हो पाता। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो स्वास्थ्य सेवाओं को लंबी किडनी बिमारी के बढ़ते जा रहे मरीज़ों की बड़ी संख्या का सामना करना होगा। विश्व किडनी दिवस लंबी किडनी बिमारी के खिलाफ कदम उठाए जाने की आवश्यकता याद दिलाता है, ताकि शरीर के इस महत्वपूर्ण अंग के स्वास्थ्य का महत्व समझा जा सके और उस पर लगातार नज़र रखी जा सके। यह दिन हम सभी के लिए इस जटिल अंग को स्वस्थ्य रखने की जानकारी जुटाने के लिए एक अवसर है। किडनी से जुड़ी बिमारियों की समय से जानकारी मिलने से समय पर हस्तक्षेप और इस बिमारी के खिलाफ लड़ाई में निश्चय ही मदद मिलेगी। विश्व किडनी दिवस मनाए जाने का उदे्दश्य हर व्यक्ति को इस विषय में जागरूक करना है कि मधुमेह तथा उच्च रक्तचाप किडनी के स्वास्थ्य के लिए खतरा हैं, अत: मधुमेह और उच्च रक्तचाप के सभी मरीज़ों को किडनी की नियमित जांच करानी चाहिए। इस विषय में विशेषकर गंभीर खतरे वाले क्षेत्रों में रहने वाली जनसंख्या के बीच जागरूकता फैलाने में चिकित्सा बिरादरी की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
लंबी किडनी बिमारियों को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। इस दिवस के माध्यम से सभी सरकारी प्राधिकारियों को किडनी की जांच-सुविधाओं में निवेश करने और इस विषय में विभिन्न कदम उठाए जाने के लिए संदेश दिया जाता है। किडनी फेल होने जैसी आपातकाल स्थिति में किडनी ट्रांसप्लांट ही सबसे बेहतर विकल्प है। अत: अंग दान को जीवनदायी कदम के रूप में प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है। भारत सरकार ने मानव अंग स्थानांतरण (संशोधन) अधिनियम, 2011 लागू किया है, जिसमें किडनी दान तथा मृत्य व्यक्तियों की किडनी दान को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक प्रावधान हैं। अभी तक सरकार ने लंबी किडनी बिमारियों के रोकथाम और इलाज के लिए अनेक कदम उठाएं हैं। सभी बड़े सरकारी अस्पतालों में डायलिसिस सुविधा उपलब्ध है। भारत सरकार ने कैंसर, मधुमेह, कार्डियो-वेस्कूलर बीमारियों तथा स्ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम आरंभ किया है, जिससे गुर्दे संबंधी लंबी बीमारियों और गुर्दे फेल होने से बचाव संभव हो सका है।
जनता के बीच स्वास्थ्य संबंधी और विशेषकर लंबी किडनी बीमारी सहित गैर-संक्रामक रोगों के विषय में जागरूकता फैलाने के लिए दूरदर्शन तथा ऑल इंडिया रेडियो पर विशेष कार्यक्रमों का प्रसारण किया जा रहा है। लंबी किडनी बिमारी के मरीजों को समय पर इलाज न मिलने के कारण उनका तथा उनके परिवार का पूरा जीवन दयनीय हो सकता है। ऐसे में आज यह आवश्यकता है कि हम सभी स्वस्थ्य जीवन शैली को अपनाएं। बिमारी के खतरे से ग्रस्त व्यक्तियों को नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की जांच करवाने एवं निगरानी रखने की आवश्यकता है। इस महत्वपूर्ण दिवस पर आइये हम सभी इसके विषय में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करने और उन्हें सांझा करने का संकल्प लें !