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Saturday 15 March 2014 03:10:09 AM
नई दिल्ली। भारतीय नागरिक लेखा सेवा के 16 परिवीक्षाधीन अधिकारियों के समूह ने कल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की। परिवीक्षाधीन अधिकारियों से राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय नागरिक लेखा सेवा को भारतीय सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली में सुधारों के एक भाग स्वरूप 1976 में भारतीय लेखा परीक्षा तथा लेखा सेवा से लिया गया है। वैधानिक लेखा परीक्षा तथा लेखा कार्यों को संघीय स्तर पर पृथक करना इसका उद्देश्य था। राष्ट्रपति ने कहा कि इस प्रणाली की सफलता पर उन्हें खुशी है। बीते वर्षों में नागरिक लेखा संगठन ने सही दिशा में प्रगति की है तथा प्रणालियों को विकसित किया है, जिससे न केवल सूचना तथा संचार तकनीकी में हुई प्रगति के साथ ताल में ताल मिला है, बल्कि आम जनता की आकांक्षाओं की भी पूर्ति हुई है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय नागरिक लेखा सेवा ने कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ से सही मायनों मे अपने उद्देश्य ‘कोषपूर्वाः समारंभः’ का चुनाव किया है। एक मजबूत तथा सुप्रबंधित कोषागार प्रणाली, शासन तथा विकास में सभी तरह की योजनाओं का आधार है; साथ ही अच्छी शासन प्रणाली का परिणाम भी है। उन्होंने कहा कि आज जनता में शासन प्रणाली संबंधी कार्यों में श्रेष्ठ योग्यता को लेकर अपेक्षाएं बढ़ी हैं, इन चिंताओं का समाधान करने के लिए सरकारी विभागों को अपनी प्रणालियों का आधुनिकीकरण करना तथा उन्हें नागरिक केंद्रित बनाना आवश्यक हो गया है। उन्होंने कहा कि संगठन के सुधार सही दिशा में बढ़ रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च योग्यता को प्राप्त करने के लिए तथा उपलब्ध मानव संसाधन के अधिकतम उपयोग के लिए सभी सरकारी एजेंसियों के आधुनिक आईसीटी उपकरण का प्रयोग प्रमुख है।
नागरिक लेखा संगठन भारत के पहले संगठनों में से एक था, जिसमें सरकारी कार्यों के लिए शुरू में कंप्यूटरों का प्रयोग किया गया। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री के पद पर रहते हुए 31 अक्तूबर 2011 को नागरिक लेखा संगठन में विकसित ‘सरकारी ई-भुगतान गेटवे’ (जीईपीजी) का उद्घाटन करने का उन्हें अवसर मिला था। ई-भुगतान प्रणाली को विकसित करने के पीछे सरकारी कार्यालयों तथा अधिकारियों के ऊपर लाभार्थी आश्रित होने को हटाया जाना तथा उसकी जगह उनके खातों में सीधे पैसों का भुगतान किया जाना उद्देश्य था। ई-भुगतान की पहल के साथ भुगतान जीवन चक्र सिकुड़ गया है जिससे प्रणालीगत योग्यता में सुधार हुआ है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे वित्त तथा बजट की बेहतर आयोजना तथा प्रबंधन के लिए वित्तीय तथा लेखा के संबंधित आंकड़े समय पर उपलब्ध होना सरकार के लिए बहुत जरूरी है।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि संसद में केंद्रीय वित्त तथा विनियोजन लेखों के समय पर प्रस्तुत करने में सिविल लेखा संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सिविल मंत्रालय तथा विभागों में आंतरिक लेखा परीक्षा करने की जिम्मेदारी सिविल लेखा संगठनों की है। आंतरिक लेखा परीक्षकों के रूप में सिविल लेखा अधिकारी मंत्रालय तथा विभागों के जोखिम प्रबंधन, जोखिम निवारण, आंतरिक नियंत्रण तथा सुशासन प्रक्रियाओं के लिए प्रणालीबद्ध तथा अनुशासित पद्धति अपनाने में उनके उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं। सिविल लेखा संगठन सभी सिविल मंत्रालयों के सरकारी कर्मचारियों की पेंशन के भुगतान का प्रबंधन, वितरण तथा लेखांकन करता है। केंद्रीय पेंशन लेखा कार्यालय (सीपीएओ) के माध्यम से अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों तथा स्वतंत्रता सेनानियों का यह कार्य किया जाता है। यह दुष्कर जिम्मेदारी सिविल लेखा सर्विस को सौंपी गयी है। वर्ष 2012 बैच के आईसीएएस परिवीक्षाधीन अधिकारी सरकारी लेखा तथा वित्त संस्थान, नई दिल्ली में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं तथा 2013 बैच के आईसीएएस परिवीक्षाधीन अधिकारी वित्तीय प्रबंधन संस्थान, फरीदाबाद में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।