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कुंभ में बनवाइए ‘माई स्टैंप’ डाक टिकटें

‘इलाहाबाद डाक टिकट प्रदर्शनी इलाफिलेक्स-2013’

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 14 January 2013 03:50:25 AM

डाक टिकट प्रदर्शनी-philatelic exhibition

इलाहाबाद। डाक विभाग की दो दिवसीय ‘इलाहाबाद डाक टिकट प्रदर्शनी इलाफिलेक्स-2013’ का उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की महात्मा गांधी कला वीथिका में दीप प्रज्वलित कर और फीता काटकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पंकज मिथल ने उद्घाटन किया। इस अवसर पर उनके साथ पद्मश्री शम्शुर्रहमान फारूकी, कृष्ण कुमार यादव निदेशक डाक सेवाएं और पोस्टमास्टर जनरल एके गुप्ता भी मौजूद थे। इस अवसर पर निदेशक डाक सेवाएं ने जानकारी दी कि डाक विभाग ने कुंभ मेले में ‘माई स्टैंप’ डाक टिकटें बनवाने की योजना बनाई है, जिसमें कोई भी श्रद्धालू अपनी फोटो को डाक टिकट बना कर उसे पोस्ट कर सकता है।
डाक टिकट प्रदर्शनी में शहर के फिलेटलिस्टों ने तमाम डाक टिकटों की प्रदर्शनी लगाई गई। कुल 59 फ्रेमों में हजारों की संख्या में डाक-टिकट प्रदर्शित किए गए। इनमें इलाहाबाद से संबंधित विषयों पर जारी डाक-टिकट, डाक-टिकटों के माध्यम से सिनेमा के 100 वर्ष, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, रविंद्रनाथ टैगोर, नेहरु परिवार, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, मस्जिदों से लेकर जैव विविधता, रोटरी, अग्निशमन, रेड क्रास, एड्स, मलेरिया इत्यादि पर जागरूक पैदा करते हुए तमाम रंग-बिरंगे डाक-टिकट प्रदर्शित किए गए। इनमें सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों मे जारी दुर्लभ डाक-टिकट व डाक-स्टेशनरी भी शामिल थी। प्रदर्शनी में वरिष्ठ फिलेटलिस्टों के अलावा तमाम बच्चों ने भी अपने डाक-टिकटों का प्रदर्शन किया। गौरतलब है कि इलाहाबाद में 5 वर्ष बाद इस तरह की प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। इससे पूर्व वर्ष 2007 में डाक टिकट प्रदर्शनी आयोजित हुई थी।
प्रदर्शनी के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति पंकज मिथल ने अपने डाक-टिकट संग्रह के शौक के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हर डाक टिकट की अपनी एक कहानी है और इस कहानी को वर्तमान पीढ़ी के साथ जोड़ने की जरुरत है। उन्होंने डाक टिकटों को संवेदना का संवाहक बताया, जो पत्र के माध्यम से भावनाओं को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाते हैं। न्यायमूर्ति मिथल ने इस प्रकार की प्रदर्शनियों को हर साल आयोजित करने पर जोर दिया, ताकि अभिरुचि के रूप में फिलेटली का विकास हो सके। पद्मश्री शम्शुर्रह्मान फारूकी ने कहा कि इन प्रदर्शनियों से जहां अनेक समृद्ध संस्कृतियों वाले भारत राष्ट्र की गौरवशाली परंपरा को डाक टिकटों में चित्रित करके विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संदेशों को प्रसारित किया जाता है, वहीं दूसरी तरफ यह विभिन्न लोगों के मध्य सद्भावना एवं मित्रता में उत्साहजनक वृद्धि का परिचायक है। पोस्टमास्टर जनरल एके गुप्ता ने कहा कि डाक टिकटों से ज्ञान भी अर्जित किया जा सकता है, यह हमारी शिक्षा प्रणाली को और भी मजबूत बना सकते हैं।
इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि सामान्यतः डाक टिकट एक छोटा सा कागज़ का टुकड़ा दिखता है, पर इसका महत्व और कीमत दोनों ही इससे काफी ज्यादा हैं। डाक टिकट वास्तव में एक नन्हा राजदूत है, जो विभिन्न देशों का भ्रमण करता है एवं उन्हें अपनी सभ्यता, संस्कृति और विरासत से अवगत कराता है। यह किसी भी राष्ट्र के लोगों, उनकी आस्था व दर्शन, ऐतिहासिकता, संस्कृति, विरासत एवं उनकी आकांक्षाओं व आशाओं का प्रतीक है। यह मन को मोह लेने वाली जीवन शक्ति से भरपूर है। कृष्ण कुमार यादव ने डाक-टिकटों के संग्रह की एक दिलचस्प कहानी भी सुनाई जिसमें उन्होंने बताया कि उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में यूरोप में एक अंग्रेज महिला को अपने श्रृंगार-कक्ष की दीवारों को डाक टिकटों से सजाने की सूझी और इस हेतु उसने सोलह हजार डाक-टिकट परिचितों से एकत्र किए और शेष हेतु सन् 1841 में ‘टाइम्स आफ लंदन’ समाचार पत्र में विज्ञापन देकर पाठकों से इस्तेमाल किए जा चुके डाक टिकटों को भेजने की प्रार्थना की। इसके बाद धीमे-धीमे पूरे विश्व में डाक-टिकटों का संग्रह एक शौक के रूप में परवान चढ़ता गया, जो कि बदस्तूर जारी है।
इस अवसर पर डाक विभाग की बहुप्रतीक्षित माई स्टैंप सेवा का भी शुभांरभ किया गया। न्यायमूर्ति पंकज मिथल सहित तमाम लोगों ने इसके तहत अपनी फोटो डाक टिकटों पर अंकित कराई। युवाओं में इसके तहत काफी उत्साह देखा गया। निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि इसकी लोकप्रियता के चलते माई स्टैंप सेवा को कुंभ में भी कुछेक दिनों के लिए आरंभ किया जाएगा। इस अवसर पर बच्चों हेतु फिलेटलिक वर्कशाप व डिजाइन ए स्टैंप प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। बच्चों ने जहां डाक टिकट प्रदर्शनी का आनंद लिया, वहीं फिलेटलिक डिपाजिट एकाउंट भी खोले गए।
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत प्रवर डाक अधीक्षक रहमतुल्लाह ने किया एवं आभार ज्ञापन सहायक निदेशक आरएन यादव ने किया। कार्यक्रम का संचालन राजेश वर्मा ने किया। इस अवसर पर प्रवर रेलवे डाक अधीक्षक एपी तिवारी, सीनियर पोस्टमास्टर टीबी सिंह, सहायक निदेशक मधुसूदन प्रसाद मिश्र, सहायक अधीक्षक आरएन यादव, पीसी तिवारी, विनय यादव सहित तमाम डाक विभाग के अधिकारी, फिलेटिलिस्ट आदि उपस्थित थे।

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