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Tuesday 15 January 2013 09:21:07 AM
नई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्य मंत्री मायावती ने आज यहां अपना जन्मदिन मनाया और इस मौके पर एक प्रेस कांफ्रेंस करके देश के विभिन्न ज्वलंत मामलों पर अपनी राय प्रकट की। मायावती ने सबसे पहले यह कहकर उत्तर प्रदेश सरकार को निशाने पर लिया कि उसने मेरी सरकार के समय में शुरू हुईं करोड़ों रूपयों की लागत की अनेक जन-कल्याणकारी योजनाओं को बदले की भावना से बंद कर दिया है। उन्होंने करीब एक घंटे अपनी बात रखने के साथ-साथ मीडिया कर्मियों के विभिन्न सवालों का भी विस्तार से जवाब दिया, जिनमें भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव, तमिलनाडु राज्य में दलितों पर जुल्म-ज्यादती और बहुजन समाज पार्टी के यूपीए और एनडीए से संबंधित मामले प्रमुख हैं। प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया कर्मियों की भारी भीड़ थी और हर कोई मीडियावाला मायावती से अपने सवाल का उत्तर पाने को उतावला था। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी ने देशभर में अपनी नेता का जन्मदिन जन-कल्याणकारी दिवस के रूप में मनाया। उत्तर प्रदेश में तो मायावती के जन्म दिन की काफी धूम रही, जहां बसपा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने विशेष कार्यक्रम आयोजित करके अपनी क्षमता के हिसाब से ग़रीब, पीड़ित, असहाय, विकलांग, जरूरतमंद लोगों की विभिन्न रूपों में मदद की।
मायावती ने जन्म-दिन पर बहुजन समाज पार्टीमूवमेंट से संबंधित उनकी लिखी पुस्तक-मेरे संघर्षमय जीवन एवं बहुजन समाज पार्टीमूवमेंट का सफरनामा के नए संस्करण को जारी किया। मायावती हर साल आज के दिन ही इस पुस्तक के संस्करण को रिलीज किया करती हैं। इस पुस्तक में खासतौर से पिछले एक वर्ष में बहुजन समाज पार्टी की मूवमेंट के रास्ते में आने वाली सभी प्रकार की चुनौतियों और उनका सामना किये जाने के लिए उठाये गये विशेष कदमों के साथ-साथ सामाजिक परिवर्तन के क्षेत्र में पार्टी मूवमेंट की भूमिका आदि का भी लेखा-जोखा होता है। इस पुस्तक को बसपा के लोग बहुजन समाज पार्टी की ब्लू बुक के नाम से भी जानते हैं। इस पुस्तक के महत्व को प्रकट करते हुए वो कहती हैं कि जिस समाज या मूवमेंट का अपना इतिहास नहीं होता है, तो वह समाज पूरे तौर से आगे तरक्की नहीं कर सकता है, और यह बात वास्तव में मैंने अपने पूर्वजों से ही सीखी है, जिनका यह कहना था कि किसी भी समाज या मूवमेंट के इतिहास को केवल जिंदा व बरकरार ही नहीं रखना है, बल्कि उसे सुरक्षित भी रखना बहुत जरूरी है।
मायावती ने यह भी कहा कि अपने ही देश में जातिवादी मानसिकता के तहत अब तक दलित एवं अन्य पिछड़े वर्गों में जन्में महान् संतों, गुरूओं व महापुरूषों खासतौर से महात्मा ज्योतिबा फूले, छत्रपति शाहूजी महाराज, श्रीनारायणा गुरू, पेरियार, भीमराव अंबेडकर एवं मान्यवर कांशीराम आदि की हर स्तर पर उपेक्षा की गयी है। उन्होंने कहा कि सब जानते हैं कि समतामूलक एवं मानवतावादी समाज व्यवस्था की स्थापना के लिए उनके संघर्ष, त्याग व तपस्या को किस प्रकार से तोड़-मरोड़ कर पेश करके लोगों को मूवमेंट के प्रति गुमराह करने की पूरी-पूरी कोशिश की गयी है। इस सबका लेखा-जोखा इसी पुस्तक में हर वर्ष दर्ज किया जाता है, ताकि देश में वर्तमान व आने वाली पीढ़ी को, बहुजन समाज पार्टी के सामाजिक परिवर्तन एवं मानवतावादी मूवमेंट से संबंधित समकालीन इतिहास के बारे में सही जानकारी मिल सके। उन्होंने कहा कि वर्ष सन् 2012 उनकी पार्टी और मूवमेंट के लिए एक बड़ी चुनौती का वर्ष रहा है, जिसमें खासतौर से उत्तर प्रदेश में हुये विधानसभा चुनाव में विरोधी पार्टियों के साम, दाम, दंड, भेद आदि के अनेक प्रकार के हथकंडों वाली सामूहिक साजिशों का कुछ ज्यादा ही सामना करना पड़ा है। इस कारण ही उत्तर प्रदेश में एकदम से अप्रत्याशित एवं अभूतपूर्व रूप से उस पार्टी का भला हो गया जिसके बारे में आज देश भर में चर्चा है कि कानून-व्यवस्था के मामले में अब उत्तर प्रदेश एक क्राइम प्रदेश बन गया है, जहां जंगलराज व अराजकता कायम है।
मायावती ने कहा कि इस विधानसभा चुनाव में इस बार पिछली बार की तुलना में बहुजन समाज पार्टी को पहले से ज्यादा वोट प्राप्त हुये हैं, जो समाजवादी पार्टी से मात्र साढ़े चौबीस लाख यानि की लगभग 3 प्रतिशत वोट कम मिले हैं। उत्तर प्रदेश में सपा सरकार के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी बहुजन समाज पार्टी मूवमेंट से जुड़े लोगों को देश व आम-जनहित में कांग्रेस के यूपीए व बीजेपी के एनडीए के साथ भी काफी ज्यादा संघर्ष करना पड़ रहा है, यही कारण है कि चाहे देश में एससी/एसटी वर्ग के सरकारी कर्मचारियों का प्रोन्नति में आरक्षण व खुदरा बाजार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का मामला हो या फिर गरीबी, बेरोजगारी व महंगाई आदि का मामला हो, इस प्रकार के हर राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे पर बसपा को काफी सोच-समझकर व दूरगामी प्रभाव वाले महत्वपूर्ण निर्णय, अपने मूवमेंट के हित को ध्यान में रखकर लेने पड़े हैं, जिनके बारे में विस्तार से पुस्तक में जानकारीदी गयी है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में चार बार मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने ऐतिहासिक महत्व के अनेक ऐसे कार्य किये हैं, जिनकी शायद ही यहां दूसरी मिसाल बहुत मुश्किल है। उत्तर प्रदेश के साथ-साथ, देश की राजनीति व सामाजिक जीवन में बहुजन समाज पार्टी मूवमेंट का सकारात्मक दखल व प्रभाव काफी ज्यादा मजबूती के साथ बढ़ा है और मानवतावादी विचारधारा वाला यह कारवां आज इतना आगे बढ़ गया है कि अब इसकी अनदेखी व उपेक्षा आसानी से कोई नहीं कर सकता है।
मायावती ने कहा कि जब तक मुझमें सांस रहेगी, उनका यह कारवां किसी भी कीमत पर हर मुश्किल की घड़ी में भी पीछे मुड़कर देखने वाला नहीं है, ऐसी मेरी दिली तमन्ना है और इसके लिये मेरी पूरी कोशिश भी रहेगी, चाहे उसे रोकने के लिये, सभी विरोधी ताकतें मेरे रास्ते में कितनी भी कठिन बाधाएं क्यों ना पैदा करती रहें। उनके ऊपर आय से अधिक संपत्ति का गलत मामला दर्ज कराया गया और फिर आगे चलकर इस मामले में मुझे सुप्रीम कोर्ट में सही न्याय मिला और विरोधियों की इस साजिश को काफी जबरदस्त झटका लगा है। विरोधी लोग मेरे मां-बाप, भाई-बहिन व नजदीकी रिश्तेनातों एवं मिलने वालों की खुद के कारोबार व नौकरी आदि के जरिये अर्जित की गई, उनकी संपत्ति को गलत तरीके से प्रचार करके मेरी एवं पार्टी की इमेज पर बुरा प्रभाव डालने की भी, पूरी कोशिश में लगे रहते हैं, लेकिन मुझे अपने खुद के समाज व अपनी पार्टी के लोगों पर पूरा भरोसा व नाज भी है, वे एक मजबूत चट्टान की तरह, मेरे साथ खड़े हैं और इसी प्रकार आगे भी खड़े रहेंगे।
मायावती ने दिल्ली गैंगरेप की हुई जघन्य घटना की चर्चा की और केंद्र में यूपीए सरकार में अब तक हुये रिकार्डतोड़ भ्रष्टाचार को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि आज देश की संपत्ति और देश का स्वाभिमान दांव पर लगा है, जिससे समाज के हर वर्ग व धर्म के लोगों को भीतर आक्रोश है। राष्ट्रीय मामले में गलत नीति, गरीब एवं आम जन-विरोधी गलत आर्थिक नीतियों के कारण देश का सामान्य जन-जीवन काफी ज्यादा प्रभावित हुआ है। एससी/एसटी पदोन्नति आरक्षण संशोधन विधेयक का लोकसभा में पारित नहीं होना तथा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा गारंटी विधेयक, भूमि सुधार विधेयक, लोकपाल विधेयक आदि के लंबित रहने से देश की जनता को काफी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है। देश की हर स्तर पर बिगड़ती हुई कानून-व्यवस्था ने विशेषतौर से महिलाओं के सम्मान एवं स्वाभिमान को काफी ज्यादा चिंताजनक बना दिया है। भारत-पाकिस्तान की सीमा पर आतंकवादियों व अन्य अपराधिक तत्वों के घुसपैठ से देश की जनता बेहद दुःखी व चिंतित भी है। देश को साफ-सुथरे, ठोस, कारगर एवं सिद्धांतवादी विकल्प की सख्त जरूरत है, जो बिना किसी पक्षपात बीएसपी दे सकती है, इस संदर्भ में अब फैसला, हमने देश की आम जनता पर ही छोड़ दिया है।