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Thursday 21 August 2014 06:15:03 PM
पटना। भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिए बीस साल बाद एक दूसरे का दामन थामने वाले नीतीश कुमार और लालू यादव को एक मंच पर देखकर बिहार की चाणक्य की धरती शरमा रही है। बिहार में इन महारथियों का जल्द ही राजनीतिक पराक्रम देखने को मिलेगा। इन दोनों ने साथ-साथ अगली विधानसभा का चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है। बिहार की दस सीटों पर होने वाले उपचुनावों मे बीजेपी को धूल चटाने और अपने को चमकाने के लिए इन दोनों नेताओं ने सबसे पहले हाजीपुर में बीजेपी पर हल्ला बोला था। भाजपा को लेकर ये इतने दहशतजदा हैं कि इन्होंने एक ऐसा राजनीतिक प्रयोग कर डाला कि उसमें इन्हें अपने नफे नुकसान का भी भान नहीं रहा है और कहा जा रहा है कि इस उपचुनाव में भी इनके अपने खूंटे के वोट भाग खड़े हुए हैं। एनडीए इनको धूल चटा रहा है।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाजीपुर में कहा था कि कुछ लोगों पर सत्ता का नशा चढ़ गया है और उसे उतारने के लिए हम लोग एक साथ आएं हैं। नीतीश कुमार का कहना है कि देश किस तरह चल रहा है, आप सब देख रहे हैं, प्रचार किया गया कि अच्छे दिन आने वाले हैं और आप सबके सामने है कि आखिर कैसे अच्छे दिन आ गए हैं? देश में अफवाहें फैलाकर वोट बटोरे गए हैं। नीतीश कुमार कहते हैं कि वक्त की पुकार है, इसलिए हम लोग एकजुट हो गए हैं, इस समय पूरे देश का भगवाकरण करने की कोशिश की जा रही है, समाज को धर्म के नाम पर बांटा जा रहा है, हम सभी मिलकर बीजेपी के इरादों को असफल करेंगे। नीतीश कुमार यह भी कहते हैं कि दिल्ली में इस समय उनकी सरकार है, जिनके पुरखे जेल नहीं गए, यानी सरकार बनाने के लिए जेल जाना जरूरी है और देश में राष्ट्रवाद की बात कहना देश का भगवाकरण है।
लालू यादव आज खुद को और नीतीश कुमार को एक ही परिवार का बताते हुए नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधे हुए हैं। उन्होंने कहा कि देश गलत हाथों में चला गया है, नरेंद्र मोदी के शपथ लेते ही देश में अशुभ हो गया है, नरेंद्र मोदी जहां-जहां गए, वहां-वहां अशुभ हुआ है, मोदी के नेपाल जाते ही वहां भी अशुभ हो गया, चट्टानें गिरने लगीं। बिहार के लोगों ने इन दोनों पर सवाल दागा है कि किस अशुभ के चलते लालू यादव जेल में सड़ते रहे और किस अशुभ के चलते उनका राजनीतिक कॅरियर हमेशा के लिए चौपट हो गया, कौन से अशुभ के कारण बेटी मीसा भी चुनाव हार गई? वो कौनसा अशुभ था कि नीतीश कुमार का लोकसभा चुनाव में बैंड बज गया और क्या वो भाजपा के विरोध के नाम पर बिहार की जनता को गालियां नहीं दे रहे हैं? वे वास्तव में बिहार की जनता को भाजपा की आड़ में 'गालियां' ही दे रहे हैं। इससे विधानसभा उप चुनाव के नतीजे भी उनके खिलाफ जाने की उम्मीद की जा रही है।
लालू यादव का आगे क्या कहना है?-देश के नौजवानों को सब्जबाग़ दिखाए जा रहे हैं, नरेंद्र मोदी पूरे भारत का बजट भी झोंक देंगे तो भी यहां शंघाई जैसा कुछ भी नहीं बन सकता। कमंडल के खिलाफ मंडल का नारा देते हुए लालू यादव कहते हैं कि मोदी का महंगाई और भ्रष्टाचार खत्म करने का वादा पूरी तरह से बकवास साबित हुआ है। बीजेपी का सफाया करने के लिए लालू यादव ने बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से हाथ मिलाने की अपील की थी, सो उसपर भी वहां के नेताओं का जवाब आ गया है, जिसमें मायावती ने लालू को खरी-खरी सुना दी है और मुलायम सिंह यादव को भी जवाब दे दिया है। लालू यादव और नीतीश कुमार अपनी राजनीतिक पराजय से बौखलाए हैं और उनके राजनीतिक पराक्रम का असली सच इन उपचुनाव में नहीं, बल्कि अगले साल बिहार विधानसभा के चुनाव में सामने आएगा। लालू और नीतीश ने मोहिउद्दीननगर, नरकटियागंज, छपरा और मोहनिया में भी भाजपा के खिलाफ जहर उगलने में कोई कमी नहीं छोड़ी।
मजे की बात देखिए कि बिहार में भाजपा के खिलाफ इस महागठबंधन के इन दोनों दिग्गजों नीतीश कुमार और लालू यादव की हाजीपुर की पहली सभा हुई तो उसमें भीड़ की जितनी उम्मीद की जा रही थी, वैसी भीड़ नहीं जुटी। बिहार के इन दिग्गजों को सुनने के लिए करीब सिर्फ ढाई हज़ार लोग ही जुटे। राजनैतिक विश्लेषक बीस साल बाद इनके मिलन पर आयोजित इस शो को फ्लॉप बता रहे हैं, उनका कहना है कि लोगों ने इनका नकारात्मक असर माना। गौरतलब है कि एक दौर में लालू और नीतीश ने एक दूसरे के खिलाफ जमकर राजनीति दुश्मनी निकाली। जदयू, आरजेडी और कांग्रेस तीनों मिलकर आज बिहार में बीजेपी के खिलाफ खड़े हो गए हैं। आज यहां हुए उपचुनाव में 10 सीटों में से 6 बीजेपी विधायकों की ओर से खाली की गई हैं, जबकि 2 जदयू की सीटें हैं। एक सीट कांग्रेस और एक निर्दलीय की है। भागलपुर, बांका, छपरा, हाजीपुर, मोहनियां, नरकटियागंज, जाले, परबत्ता, मोइद्दीनगर और राजनगर में आज वोटिंग का दिन था।