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सपा सरकार वादों पर श्वेत पत्र जारी करे-कांग्रेस

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Sunday 20 January 2013 08:07:30 AM

लखनऊ। समाजवादी पार्टी की कार्यसमिति की बैठक सिर्फ और सिर्फ राज्य सरकार की विफलता और प्रदेश की जनता को एक बार फिर गुमराह करने तक ही सीमित होकर रह गयी है। समाजवादी पार्टी की प्रदेश के राजनैतिक हालात पर चिंतन के लिए बुलायी कार्यसमिति की बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की एक बार फिर सपा कार्यकर्ताओं, विधायकों एवं मंत्रियों को अनुशासन की नसीहत एवं राज्य सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर करने के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के कार्यक्रम प्रभारी हरीश बाजपेयी ने कहा कि एक ओर जहां सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष खुद ही अपने बयानों से बार-बार प्रदेश सरकार की विफलता स्वीकार करते हैं और सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हुए पूरी सरकार को कठघरे में खड़ा करतें हैं तो दूसरी ओर सपा सरकार को बार-बार शाबाशी भी देना हास्यप्रद ही नहीं, बल्कि एक गंभीर मामला है।
हरीश बाजपेयी ने कहा कि प्रदेश की जनता वर्तमान सरकार से विकास चाहती है, भयमुक्त माहौल, छात्रों की अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य के संबंध में केंद्र सरकार की योजनाओं का तत्काल क्रियान्वयन चाहती है, न कि रोज़-रोज़ समाजवादी पार्टी का हर मोर्चे पर विफल होने का रोना-रोना। बाजपेयी ने कहा कि कई बार सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, अपनी सरकार एवं प्रदेश के सपा नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को अगाह कर चुके हैं, फिर भी सरकार की कार्यप्रणाली में सुधार न होता देख, बार-बार आगाह करने का ढोंग करके प्रदेश सरकार की विफलताओं पर पर्दा डालने का प्रयास करते हैं, जिसको उत्तर प्रदेश की जनता पूरी तरह से जान चुकी है, इसलिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव, पार्टी कार्यकर्ताओं के नाम पर, जनता को भ्रमित करने का कार्य बंद करें, क्योंकि सरकार लगातार अपनी विश्वसनीयता खोती जा रही है।
बाजपेयी ने कहा कि बजट में मात्र दो माह बचे हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने विभिन्न योजनाओं में जो धन उपलब्ध कराया है, उसमें प्रदेश सरकार ने आधा भी खर्च नहीं किया है, जो कि प्रदेश सरकार की विकास के प्रति लापरवाही को दर्शाता है।हरीश बाजपेयी ने कहा कि कांग्रेस मांग करती है कि प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार के नेताओं को अपने चुनाव घोषणा-पत्र में जनता से किये गये वादों के प्रति श्वेत पत्र जारी करके पूरी जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए, जिससे कि जनता यह जान सके कि जिस विश्वास के तहत इस पार्टी को सरकार चलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उस पर क्या हो रहा है, हॉलाकि इसका हिसाब 2014 में होने संसदीय चुनाव में हो जाएगा।

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