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Wednesday 23 January 2013 07:13:29 AM
नई दिल्ली। भारत के गृहमंत्री ने हिंदुओं को और संघ को आतंकी, आतंकवादी ट्रेनिंग कैंप चलाने वाले एवं मुस्लिम युवकों को मासूम और बेगुनाह कहा, इस विषय को आगे ले जाते हुए विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ प्रवीण तोगड़िया ने छह अहम् सवाल किए हैं।
एक-किसी भी व्यक्ति या राजनीतिक पक्ष के और देश के संवैधानिक पद पर बैठे हुए मंत्री को या पक्ष को यह अधिकार किसने दिया कि भारत के हिंदुओं को और हिंदू संघठनों को वे आतंकी कहें? हिंदुओं का अपमान करने का और उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने का अधिकार किसी मंत्री को कौन से संविधान ने दिया है?
दो-कई राजनीतिक पक्षों के कार्यकर्ता जेहादी आतंकवाद में लिप्त पाए गए हैं, १९९३ के श्रेणीबद्ध विस्फोटों का मुख्य गुनाहगार दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान में है, किंतु उन विस्फोटों के लिए कांग्रेस की महिला सांसद के भाई गुनाहगार करार दिए गए हैं और ऊपरी न्यायालय में उनकी अपील चल रही है, मुंबई में ही हुए दूसरे विस्फोटों में शहर युवा कांग्रेस का पदाधिकारी गिरफ्तार हुआ है, समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता हों या अन्य कुछ पक्षों के, जेहादी हमले में पकड़े गए हैं। ऐसे में उन पार्टियों या पक्षों को संपूर्ण जेहादी, इस्लामी आतंकी करार क्यों न दिया जाय? कुछ हिंदू (विद्वेष से और मुसलमानों को मुक्त करने के लिए पुलिस पर दबाव डालकर) आतंकवाद में गिरफ्तार किए गए, इसलिए संगठनों को और संपूर्ण हिंदू धर्म को आतंकी कहने पर गृहमंत्री और उनका पक्ष लेने पर तुले हैं, तो उनके पक्षों को भी यही न्याय क्यों न लगे?
तीन-गृहमंत्री ने मुसलमान युवकों को बेगुनाह और हिंदुओं को आतंकी तब कहा है जब वे भारत के संवैधानिक महत्व के पद पर बैठे हैं, कई विस्फोटों के मुकदमें और कईयों का तपास जारी है, ऐसे में इतने महत्व के पद पर बैठे मंत्री का एक धार्मिक वर्ग को 'क्लीन चिट' देना और हिंदुओं को आतंकी कह गुनाहगार ठहराना यह न्यायपालिका और तपास यंत्रणाओं पर दबाव डालना ही है? यह गैरकानूनी एवं असंवैधानिक है और इनके कारण हिंदुओं को 'फ्री एंड फेअर' न्याय नहीं मिलेगा, उनके मानवी अधिकारों को कुचला जाएगा, जो आज भी हो रहा है। सर्वोच्च न्यायालय, गृहमंत्री के इस गैर कानूनी कारनामे का अपने आप संज्ञान लेकर उन पर कार्रवाई क्यों न करें?
चार-भारत की सुरक्षा अबाधित रखने में हिंदुओं का सदियों से योगदान रहा है, आज भी भारत की सेना, पुलिस और अन्य सुरक्षा सेवाओं में बहुसंख्य हिंदू हैं, गत दस वर्ष में पाकिस्तानी जेहादी हमलों में करीब बीस हजार हिंदू जवानों ने अपने प्राण गवाएं हैं। पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई की मदद से चल रहे माओवादियों के हाथों हजारों हिंदू जवान मारे गए हैं, अभी-अभी भारतीय सेना के दो जवान बर्बरता से भारत-पाक सीमा पर घुसपैठ कर पाकिस्तानी सेना ने मार डाले और उनमे से एक का सर काट ले गए। पाकिस्तान पर या बांग्लादेशी घुसपैठियों पर कार्रवाई करने की जगह, हिंदुओं को ही आतंकी करार देते हुए भारत की सेना के मनोबल पर गृहमंत्री ने कठोर आघात किया है। वे भारत की सेना और पुलिस में तैनात हिंदू जवानों से माफ़ी क्यों न मांगे?
पांच-भारत के कई राज्यों में हुए जेहादी हमले का तपास और फिर न्यायालई कार्रवाई में उन राज्यों के पुलिस और सरकारी वकील अपनी जान जोखिम में डाल कर काम करते हैं, इसीलिए मुंबई हमले के लिए कसाब को फांसी देना संभव हुआ। जिन जेहादियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है या जिन्हें सजा भी हुई हैं, उनके रिश्तेदार रास्ते पर आकर 'मेरा बेटा बेकसूर, मेरा पति बेकसूर, मेरी बेटी बेकसूर' कहते रहते हैं, उनके पीछे जमात के संगठन भी खड़े रहकर दबाव डालते रहते हैं, उनके हित में दुनिया भर के मुसलमान, हाफिज सईद जैसे भारत के गुनाहगार अभियान चलाते हैं, ऐसे में भारत के गृहमंत्री भी यह कहें कि मुसलमान युवक बेगुनाह और हिंदू आतंकी, तो जेहादियों और उनके रिश्तेदारों एवं उनके पीछे खड़े भारत-पाकिस्तान के संगठनों के हौसले बुलंद क्यों न होंगे? ऐसे में भारत की पुलिस निष्पक्ष रीति से तपास ही नहीं कर पाएगी और भारत की न्याय व्यवस्था निष्पक्ष न्याय ही नहीं दे पाएगी। बहुसंख्य हिंदुओं को आतंकी कहकर जेहादी कुतर्क को आगे ले जाने के लिए और पुलिस, वकील इन की जान को खतरा निर्माण करने के लिए गृहमंत्री और उनकी पार्टी भारत से माफ़ी क्यों न मांगे?
छह-भारत के संविधान को राजनीतिक स्वार्थ के लिए कुचलने के लिए सर्वोच्च न्यायालय अब गृहमंत्री पर क्या कार्रवाई करेगा? नहीं तो हिंदुओं को ही अपने सम्मान और मानवीय अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायालयों में दौड़ना पड़ेगा? डॉ तोगड़िया ने आगे कहा कि 'कांग्रेस पहले से ही हिंदू विरोधी और संघ जैसे राष्ट्रवादी संगठनों की विरोधी है, अब यह मुसलमान वोटों के लिए हिंदुओं को आतंकी तक कहने लगी है, ऐसे में भारत का हिंदू क्यों उसका साथ दे? भारत के कई राज्यों ने मुस्लिम मतों के लिए, तो कई राज्यों ने स्वयं को, सेक्युलर दिखाने के लिए, जेहादी विस्फोटों के केसेस केंद्रीय संस्था एनआईए को सौंपे हैं, जिन्होंने हिंदू साधू-संतों, हिंदू युवकों, हिंदू संगठनों को जान बूझकर ऐसे आतंकी केसों में फंसाया है, जिनमें उन्हीं राज्यों की पुलिस ने अच्छा तपास कर मुसलमान युवकों को गिरफ्तार किया था, कई इन केसेस में चार्जशीट हुए थे। केंद्र सरकार और कुछ राज्य सरकारों की इस नीति से हिंदुओं पर अन्याय तो हो ही रहा है, लेकिन भारत बढ़ती गति से, जेहादी सोच का शिकार हो रहा है, जहां हिंदू बेहद असुरक्षित हैं, हिंदुओं को अब एक होकर इसका लोकतांत्रिक जवाब अपने मतों से देना होगा।
डॉ तोगड़िया ने कहा कि वे जल्द ही देश के उन सभी राज्यों और केंद्र के केसेस की जानकारी देंगे, जो मुसलमानों को खुश करने के लिए एनआईए को सौंपे गए हैं, जिनमें जानबूझकर हिंदुओं को पकड़ा गया है और उन पर अमानवीय अत्याचार किए जा रहे हैं, ताकि वे अन्य हिंदुओं के और हिंदू संगठनों के नाम लें जो वास्तव में केवल समाज सेवा का और प्रबोधन का कार्य कर रहे हैं।