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Thursday 12 February 2015 01:00:45 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों के 46वें सम्मेलन की शुरूआत करते हुए कहा है कि भारतीय संविधान एक ऐसा मार्गदर्शक दस्तावेज है, जो शासन के लिए एक संरचनात्मक कार्यक्रम उपलब्ध कराता है, प्रत्येक भारतीय देश के संविधान को अपनी स्वतंत्रता और समानता का संरक्षक मानता है, इसलिए संविधान में शामिल सिद्धांतों और प्रावधानों से किसी प्रकार के विचलन की स्थिति में देश का लोकतांत्रिक ताना-बाना कमजोर होगा और हमारे नागरिकों के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हितों के प्रति खतरा उत्पन्न होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मामले का संचालन भारतीय संविधान की भावनाओं के अनुसार सुनिश्चित करना राज्यपालों और उप-राज्यपालों का प्राथमिक उत्तरदायित्व है। सम्मेलन में 21 राज्यपाल और दो उप-राज्यपालों ने भाग लिया। सम्मेलन में भाग लेने वालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, वित्तमंत्री अरुण जेटली, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री, जनजातीय कार्य मंत्री, श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और नीति आयोग के उपाध्यक्ष शामिल थे।
राज्यपालों के दो-दिवसीय सम्मेलन के दौरान विचार-विमर्श के मुद्दों में प्रमुख बिंदु हैं-सुरक्षा, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की साझेदारी वाले राज्यों में सीमा सुरक्षा पर विशेष रूप से ध्यान देते हुए आंतरिक और बाहरी सुरक्षा। वित्तीय समावेशन, जिसमें रोज़गार सृजन। नियोजनीयता, जिसमें कौशल विकास कार्यक्रमों को प्रभावी बनाना। स्वच्छता, जिसमें महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ पर 2019 तक स्वच्छ भारत के लक्ष्य तक पहुंचना और भारतीय संविधान की पांचवी और छठी अनुसूची से संबंधित मुद्दे और पूर्वोत्तर क्षेत्रों का विकास करना।