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लावारिस शवों का अपमान देख लोग भड़के

दिल्ली में भी इन शवों का संस्कार पुलिस की बड़ी समस्या

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 7 March 2015 12:51:27 PM

dead body

नई दिल्ली। लावारिस शवों को ठिकाने लगाने का काम सभी जगह पुलिस के लिए बड़ा कठिन होता जा रहा है। लावारिस शवों के मिलने की तादाद भी दिनो दिन बढ़ती ही जा रही है, ऐसे में उस शव का अंतिम संस्कार आसान नहीं रह गया है। दिल्ली में बुलवर रोड के लोगों ने कल लावारिस मानव शवों के साथ अमानवीय व्यवहार से क्षुब्‍ध होकर सड़क पर उतरकर डॉ अरुणा आसफ अली अस्पताल और दिल्ली पुलिस के खिलाफ गंभीर आक्रोश व्यक्त किया।
मामला था कि कश्मीरी गेट थाने से 37 लावारिस शव डॉ अरुणा आसफ अली अस्पताल की मोर्चरी में जमा करवाए गए थे, जो पुलिस के ले जाने के इंतजार के बाद अस्पताल ने मोर्चरी से बाहर करवा दिए। मामले का जिक्र अखबारों में हुआ तो थाने से कई पुलिस वाले अपनी-अपनी सुपुर्दगी के शव के लिए अस्पताल की मोर्चरी पहुंच गए। पुलिस ने अस्पताल के संबंधित डॉक्टर पर आरोप लगाया कि उन्होंने शवों को मोर्चरी के गेट से बाहर करवा दिया है। अमानवीय तरीके से इतनी लाशों को सड़क पर पड़े देख आम जनता वहां जमा हो गई और अस्पताल एवं पुलिस के खिलाफ भयंकर रूप से आक्रोशित हो गई। किसी में 100 नंबर भी डायल कर दिया कि इतनी सारी लाशें मोर्चरी के सामने सड़क पर पड़ी हुई हैं!
कश्मीरी गेट पुलिस का कहना था कि आम जनता पुलिस को वे शव उठाने नहीं दे रही है। पुलिस और मोर्चरी के अधिकारियों के बीच तू-तू मै-मै होने लगी। लावारिश शवों के साथ इस प्रकार कई घंटे तक अमानवीय लापरवाही बरती गई। इस पर दिल्ली सरकार से सवाल हो रहे हैं और साथ ही उच्च न्यायालय के उस आदेश की अनदेखी भी हो रही है, जिसमें कहा गया है की 72 घंटे से ज्यादा मोर्चरी में शव नहीं रखा जाना चाहिए और किसी भी शव को किसी भी हालत में ज़मीन पर नहीं रखा जाना चाहिए। शवों को इस प्रकार देखकर जनता क्या आक्रो‌शित नहीं होगी? शवों के साथ ऐसी अमानवीय लापरवाही करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई होती है? वह जनता यही पूछ रही थी।
मोर्चरी के प्रभारी डॉक्टर का कहना था कि संबंधित पुलिस ने लाशों को खुद मोर्चरी के गेट से बाहर किया था और पोस्टमार्टम के बाद लाश की मोर्चरी के किसी भी कर्मचारी की कोई जिम्मेदारी भी नहीं होती है, लावारिस लाशों को ठिकाने लगाने का काम पुलिस का है, जो उस समय उसने नहीं किया और मोर्चरी के गेट के बाहर अमानवीय तरीके से शव देखकर जनता भड़क गई। बाद में पुलिस उन शवों को वहां से ले गई। इस मामले का एक पक्ष पुलिस की अकथनीय लाचारी को भी बयान करता है, जिसमें उसे जनता का भी सहयोग नहीं मिल पाता है और लावारिस शव को तुरंत ठिकाने लगाने की सारी अपेक्षाएं पुलिस से ही होती हैं।

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