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निर्वाचन प्रणाली की सीमाओं पर ध्‍यान जरूरी

सर्वेश्रेष्‍ठ निर्वाचन कार्य प्रणाली के लिए राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 25 January 2013 09:08:05 AM

national awards for best electoral practice

नई दिल्ली। उपराष्‍ट्रपति एम हामिद अंसारी ने तीसरे राष्‍ट्रीय मतदाता दिवस पर सर्वश्रेष्‍ठ निर्वाचन कार्यप्रणाली के लिए राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार प्रदान किए। इस मौके पर उपराष्‍ट्रपति ने इस बात पर चिंता व्‍यक्‍त की है कि चुनाव प्रबंधों में अपनी उपलब्धियों के बावजूद हम अपनी वाह-वाही नहीं कर सकते। चुनाव आयोग के तीसरे राष्‍ट्रीय मतदाता दिवस पर आयोजित एक राष्‍ट्रीय समारोह में 'सर्वेश्रेष्‍ठ निर्वाचन कार्य प्रणाली के लिए राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार' प्रदान करते हुए उन्‍होंने कहा कि छह दशकों का अनुभव हमें सिखाता है कि इसका सही तरीके से विश्‍लेषण किया जाना चाहिए।
उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि इससे पता चलता है कि प्रत्‍येक नागरिक जिसे मत देने का अधिकारी मिला हुआ है, इसका इस्‍तेमाल नहीं करता और दूसरा हमारे द्वारा अपनाई गई प्रणाली में अक्‍सर विजेता कुल डाले गये मतों के मुकाबले बहुमत से कम मत हासिल कर विजय प्राप्‍त करता है। पहले भी और हाल के वर्षों में लोकसभा के निर्वाचित अधिकतर सदस्‍यों ने अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में डाले गये कम मतों के आधार पर चुनाव जीता। राज्‍य विधानसभा चुनाव में भी स्थिति बदतर हुई है, यह प्रणाली उम्‍मीदवारों का ध्‍यान एक खंड के मतदाताओं के मत हासिल करने में केंद्रित करती है, जिससे सामाजिक विभाजन पैदा होता है।
चुनाव आयोग के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्‍होंने कहा कि आयोग के तय उच्‍च मानदंडों को विश्‍व स्‍तर पर मान्‍यता मिली है। सच्‍चाई यह है कि आयोग भारतीय अंतरराष्‍ट्रीय लोकतांत्रिक संस्‍थान और चुनाव प्रबंध के जरिये अन्‍य देशों के साथ चुनाव प्रबंधन के बारे में अपने संसाधनों का आदान-प्रदान कर रहा है। राष्‍ट्रीय मतदाता दिवस का मकसद 18-19 वर्ष के मतदाताओं को मतदाता सूची में लाना है।

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