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भारत-ऑस्‍ट्रेलिया एक दूसरे के काफी करीब आए

संयुक्‍त आयोग की अगली बैठक 2014 में आस्‍ट्रेलिया में होगी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 30 January 2013 09:40:54 AM

14th india-australia joint ministerial commission meeting, in new delhi

नई दिल्ली। भारत-आस्‍ट्रेलिया के मंत्रिस्‍तरीय संयुक्‍त आयोग के 14वें सत्र की बैठक कल यहां खत्म हो गई। भारत के वाणिज्‍य, उद्योग और कपड़ा मंत्री आनंद शर्मा और आस्‍ट्रेलिया के व्‍यापार और प्रतिस्‍पर्धा मंत्री तथा एशियाई शताब्दी नीति पर आस्‍ट्रेलिया के प्रधानमंत्री के सहायक मंत्री डॉ क्रेग इमरसन इस आयोग के सह-अध्‍यक्ष हैं। दोनों मंत्रियों ने भारत-आस्‍ट्रेलिया संबंधों में सकारात्‍मक प्रवाह का स्‍वागत किया। यह संबंध मिले-जुले मूल्‍यों, अभिसारित हितों और आर्थिक संबंधों में विकास पर आधारित हैं।
ऑस्‍ट्रेलिया की प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड की अक्‍तूबर, 2012 में भारत की यात्रा से दोनों देशों के बीच सामरिक भागीदारी को आगे बढ़ाने के प्रति गहरी प्रतिबद्धता का पता चलता है। इस सामरिक भागीदारी पर नवंबर, 2009 में सहमति हुई थी। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और आस्‍ट्रेलियाई विदेशी मामलों के मंत्री सिनेटर बॉब कार ने द्विपक्षीय संबंधों और प्रधानमंत्री गिलार्ड की यात्रा की प्रगति की समीक्षा करने के लिए 21 जनवरी, 2013 को विदेश मंत्रियों की 8वीं प्रारूप वार्ता हुई थी। दोनों देशों के बीच कृषि, ऊर्जा, शिक्षा और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी संबंधों को बढ़ाने के लिए भी मंत्रिस्‍तरीय बैठकें हुईं।
आनंद शर्मा और डॉ इमरसन ने सामरिक भागीदारी के महत्‍वपूर्ण कारक के रूप में घनिष्ठ व्‍यापारिक और निवेश संबंधों के महत्‍व पर जोर दिया। इस संबंध में उन्‍होंने दोनों देशों के बीच हुए आपसी लाभप्रद व्‍यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए) को प्राथमिकता देने पर भी प्रकाश डाला। दोनों मंत्रियों ने अब तक चार दौर में हुई बातचीत की प्रगति का स्‍वागत किया। उन्‍होंने निवेश के द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति का स्‍वागत किया और वे निवेश के वरीयता वाले क्षेत्रों खासकर खनन, उन्‍नत विनिर्माण, मूलभूत ढांचे, स्‍वच्‍छ प्रौद्योगिकी और पर्यटन में सुदृढ़ द्विपक्षीय प्रवाह के महत्‍व पर सहमत हुए।
उन्‍होंने वैश्विक और क्षे‍त्रीय आर्थिक संस्‍थाओं की प्रभावशीलता में भारत और आस्‍ट्रेलिया के आपसी हितों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया। डॉ इमरसन ने एशियाई शताब्‍दी में ऑस्‍ट्रेलिया पर 2012 के श्‍वेत पत्र के बारे में भी आनंद शर्मा को संक्षिप्‍त ब्‍यौरा दिया। डॉ इमरसन ने आस्‍ट्रेलिया के भारत जैसे क्षेत्रीय भागीदारों के साथ काम करने को दिए जाने वाले महत्‍व पर भी प्रकाश डाला। आनंद शर्मा ने श्‍वेत पत्र में भारत को दी गई महत्‍वपूर्ण भूमिका का भी स्‍वागत किया और क्षेत्रीय समझौतों के अपने नेटवर्क तथा बढ़ते व्‍यापार और निवेश के जरिए एशिया के साथ भारत के बढ़ते हुए आर्थिक संबंधों पर प्रकाश डाला।
दोनों मंत्रियों ने आधुनिक, व्‍यापक, उच्‍च गुणवत्‍तापूर्ण और आपसी लाभ के क्षेत्रीय आर्थिक समझौते की दिशा में शुरू हुई क्षेत्रीय चर्चा का भी स्‍वागत किया। उन्‍होंने पूर्व एशियाई शिखर सम्‍मेलन को एशिया प्रशांत क्षेत्र में प्रमुख अर्थ व्‍यवस्‍थाओं के मंच के रूप में सुदृढ़ करने की आपसी प्रतिबद्धता पर भी विचार-विमर्श किया। उन्‍होंने जी-20 को सर्वश्रेष्‍ठ वैश्विक आर्थिक मंच के रूप में सुदृढ़ करने के महत्‍व पर भी चर्चा की। उन्‍होंने जी-20 की विश्‍व के आर्थिक वातावरण में जारी मंदी के सिलसिले में आर्थिक स्थिरता और समृद्धि लाने में निभाई गई भूमिका का भी स्‍वागत किया। उन्‍होंने क्षेत्रीय सहयोग के लिए हिंद महासागर रिम एसोसिएशन को मजबूत बनाने के प्रति अपनी वचनबद्धता को भी दोहराया। दोनों मंत्रियों ने विश्‍व व्‍यापार संगठन समझौते के दोहा दौर में जारी गतिरोध को समाप्‍त करने के उपायों का पता लगाने की बात भी कही। उन्‍होंने दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क को भी महत्‍वपूर्ण बताया।
डॉ इमरसन ने कहा कि पिछले साल आस्‍ट्रेलिया में भारत से सबसे अधिक कुशल लोगों का आगमन हुआ और छात्रों के आगमन की दृष्टि से भी भारत का दूसरा स्‍थान रहा। दोनों देशों के बीच पर्यटन भी तेज गति से बढ़ रहा है और पिछले 12 महीनों के दौरान प्रत्‍येक दिशा में लगभग एक लाख 50 हजार पर्यटकों ने यात्रा की। दोनों मंत्रियों ने भारत में हुए आस्‍ट्रेलिया के अब तक के सबसे बड़े सांस्‍कृतिक समारोह की सफलता का भी जोरदार स्‍वागत किया। उन्‍होंने महसूस किया कि भारत और आस्‍ट्रेलिया के बीच सीधी उड़ाने आपसी संबंधों को और बढ़ावा देंगी। वे इस बात पर भी सहमत हुए कि मंत्रिस्‍तरीय संयुक्‍त आयोग की अगली बैठक 2014 में आस्‍ट्रेलिया में आयोजित की जाएगी।

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