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Thursday 31 January 2013 06:38:33 AM
लखनऊ। सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक रिट याचिका दायर करके प्रार्थना की है कि उत्तर प्रदेश में सीआरपीसी की धारा 25ए के खुले-आम उल्लंघन को तत्काल रोका जाए। सीआरपीसी की धारा 25ए में निर्धारित किया गया है कि प्रदेश में अभियोजन निदेशक दस साल से अधिक अनुभव के अधिवक्ता हों, जिनकी नियुक्ति उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस की अनुमति से की जाए, साथ ही यह अभियोजन निदेशक हाई कोर्ट और सत्र न्यायालय के अभियोजन अधिकारियों पर भी नियंत्रण रखें, ये प्रावधान बेहतर अभियोजन की दृष्टि से बनाए गए थे, किंतु उत्तर प्रदेश में इसकी स्पष्ट अवहेलना की जा रही है।
नूतन ठाकुर ने रिट याचिका में कहा है कि उत्तर प्रदेश में अभियोजन निदेशक दस साल से अधिक अनुभव के अधिवक्ता ना हो कर आईपीएस अधिकारी हैं, जिनकी नियुक्ति बिना हाई कोर्ट चीफ जस्टिस की अनुमति के की जा रही है, इसी प्रकार से यहां हाई कोर्ट और सत्र न्यायालय के अभियोजन अधिकारी अभियोजन निदेशक के नियंत्रण में नहीं हैं। नूतन ठाकुर ने रिट याचिका में धारा 25ए, सीआरपीसी का उत्तर प्रदेश में पूर्ण अनुपालन कराए जाने का अनुरोध किया है। इस प्रकरण की बेंच के सामने सुनवाई हो रही है।
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से दो सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है साथ ही न्यायमूर्ति उमा नाथ सिंह और न्यायमूर्ति वीके दीक्षित की बेंच ने राज्य सरकार से इस संबंध में अन्य राज्यों में अपनाई जा रही व्यवस्था का अध्ययन कर इस बारे में जानकारी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।