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Tuesday 13 October 2015 05:58:32 AM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज रेजीडेंसी, बड़ा इमामबाड़ा और छोटा इमामबाड़ा का भ्रमण किया। राज्यपाल ने रेजीडेंसी परिसर स्थित '1857 स्मृति संग्रहालय' की प्रशंसा की। उन्होंने रेजीडेंसी में राष्ट्रीय ध्वज फहराए जाने की सराहना करते हुए कहा कि राष्ट्रीय ध्वज चढ़ाते एवं उतारते समय सम्मान गार्ड की भी व्यवस्था की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि उचित समय पर एक व्यापक कार्यक्रम का आयोजन किया जाए, जिससे रेजीडेंसी का इतिहास केवल लखनऊ तक सीमित न रहे, बल्कि पूरे देश में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में उत्तर प्रदेश की भागीदारी की जानकारी आम लोगों तक पहुंचे।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि 1857 का पहला स्वतंत्रता समर, जिसको अंग्रेजों ने बगावत बताया था, सही तथ्यों के साथ देश के सामने आना चाहिए। राज्यपाल ने सुझाव दिया कि पर्यटकों की जानकारी के लिए जैसे अंडमान एवं निकोबार के सेल्यूलर जेल में डिजिटल पद्धति से लाईट एवं साउंड कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, उसी प्रकार यहां भी डिजिटल पद्धति से कार्यक्रम दोबारा शुरू किया जाए। उन्होंने कहा कि रेजीडेंसी राष्ट्रीय महत्व की इमारत है, जहां बड़ी संख्या में देश एवं विदेश से लोग आते हैं, इसलिए देश के राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के चित्र भी कार्यालय में लगाए जाने चाहिएं। उन्होंने वहां उपस्थित पुरातत्व विभाग के अधिकारियों से एक प्रस्ताव बनाने की भी बात कही, जिससे रेजीडेंसी को पर्यटन मानचित्र पर लाया जा सके। राज्यपाल ने बड़ा इमामबाड़ा एवं छोटा इमामबाड़ा भी देखा तथा वहां उपस्थित पर्यटकों से भी भेंट की।
इमामबाड़े की स्थापत्य कला की प्रशंसा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि इमामबाडे़ की ऐतिहासिक इमारत आधुनिक स्थापत्यशास्त्र से जुड़े लोगों के देखने लायक है, हमें ऐसी स्थापत्य कला पर गौरव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यटन की दृष्टि से पर्यटकों की मूलभूत सुविधाओं में सुधार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इमामबाड़ा क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है, इसलिए निर्माणाधीन रास्ते का कार्य जल्द से जल्द पूरा किया जाए। उन्होंने इस अवसर पर इमामबाड़े के सभी हाल, झाड़फानूस और अन्य धरोहरों के बारे में बारीकी से जानकारी ली।