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Friday 01 February 2013 09:47:30 AM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के वर्ष 2012-13 के बजट का आकार 2 लाख 10 हज़ार करोड़ रूपए था, जिसमें मात्र 35 से 40 प्रतिशत ही पैसा विभिन्न योजनाओं के मद में निर्गत हुआ है, जोकि एक चिंता का विषय है और प्रदेश सरकार की विकास विरोधी नीति दर्शाता है। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अमरनाथ अग्रवाल ने यहां जारी बयान में कहा है कि राज्य सरकार के पास पर्याप्त धन मौजूद है, किंतु राज्य सरकार की कोई ठोस नीति एवं योजनाओं के अभाव में पूर्व की योजनाएं भी लंबित पड़ी हुई हैं, जैसा कि बजट में प्रावधान था कि 138 ब्लाकों में विद्यालय बनेंगे, 1लाख 40 हज़ार निःशुल्क नलकूप लगेंगे, हैंडपंप एवं पाइप वाटर सप्लाई, लखनऊ में 5 लाख लीटर क्षमता की दूध डेयरी एवं आईटी हब का विकास, स्टेडियम बनाए जाने तथा उच्च स्तरीय कैंसर अस्पताल खाले जाने के लिए भी बजट में प्रावधान था, जो कि अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि खेद का विषय है कि प्रदेश के गरीबों एवं बीपीएल परिवारों के लिए दो-दो साड़ी एवं वृद्धजनों को कंबल वितरित किए जाने हेतु बजट में 200 करोड़ रूपए का प्रावधान था, जिसकी खरीद अभी तक नहीं हो सकी है और सर्दी का मौसम समाप्त होने को है। प्रदेश के कब्रिस्तानों की चौहद्दी जैसी योजनाएं, अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण के लिए 2 हज़ार 74 करोड़ रूपए तथा मुस्लिम बाहुल्य जिलों में शैक्षिक संस्थाओं की स्थापना का प्रावधान था, 36 जनपदों में माडल डिग्री कालेज खोले जाने की योजना एवं असेवित जनपदों में पालीटेक्निक खोले जाने की योजना को भी नहीं पूरा किया जा सका। गरीबों को सौर ऊर्जा चलित रिक्शे के लिए 100 करोड़ रूपए, मनरेगा योजना में 4200 लाख मानव दिवस का रोज़गार उपलब्ध कराए जाने का लक्ष्य भी बजट में रखा गया था, 3466 नवीन प्राथमिक, 421 नवीन उच्च प्राथमिक विद्यालय खोले जाने तथा 52 हज़ार 834 विद्यालयों की चारदीवारी का निर्माण कराए जाने की योजना भी पूरी नहीं हो पाई।
बयान में कहा गया है कि यह विडंबना ही है कि मुख्यमंत्री के आग्रह पर केंद्र सरकार ने उप्र के विकास में धन की कोई कमी आड़े न देने के लिए विशेष आर्थिक पैकेज भी उपलब्ध कराया था। ग्रामीण सड़कों के लिए केंद्र ने 13 हज़ार करोड़ रूपए निर्गत किए, किंतु प्रदेश सरकार की अदूरदर्शिता के कारण इन सड़कों के रखरखाव के लिए बनाया जाने वाला विशेष फंड, जो कि मात्र 270 करोड़ रूपए था, उसकी भी व्यवस्था नहीं की गई और समुचित रखरखाव के अभाव में सड़कें उखड़ती चली गईं। राज्य सरकार की लोहिया ग्रामीण आवास योजना के लिए 395 करोड़ रूपए तथा लोहिया नवीन राजकीय नलकूप निर्माण योजना के तहत 748 नवीन नलकूपों के निर्माण के लिए बजट में व्यवस्था की गई थी, जिसकी स्वीकृतियां अभी जनवरी माह में ही कुछ जिलों में पहुंची हैं, यह कार्य कब शुरू होंगे, अभी पता नहीं है। बुंदेलखंड में विकास की योजनाएं भी अभी तक पूरी नहीं हो सकी हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि जब इन योजनाओं के लिए उपलब्ध धन ही खर्च नहीं हो पाया तो प्रदेश सरकार का 10 प्रतिशत विकास दर का लक्ष्य कैसे पूरा होगा, इसकी संभावना दूर-दूर तक दिखाई नहीं पड़ रही है। नए रोज़गारों का सृजन न हो पाने के कारण बेरोज़गारी बढ़ी है और प्रदेश के विकास की गति पर विपरीत असर पड़ा है। उत्तर प्रदेश का पूरा विकास इस सरकार में भी भ्रष्टाचार और गुटबाजी का शिकार हो चुका है। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव का अपने मंत्रियों और अधिकारियों को काम करने के लिए बार-बार सचेत करना यह दर्शाता है कि वह इस सच्चाई को स्वीकार कर रहे हैं कि प्रदेश में विकास कार्य एवं कानून व्यवस्था ठीक नहीं है। लंबे समय से जनता इंतजार कर रही है कि इस प्रकार के अक्षम मंत्रियों एवं अधिकारियों पर कार्रवाई कब होगी, प्रदेश कब विकास की गति पकड़ेगा और कानून व्यवस्था कब सुधरेगी ?