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Monday 26 October 2015 02:42:59 AM
लखनऊ। सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के 62वें वार्षिक दिवस समारोह में देश के जाने-माने वनस्पति विज्ञानियों ने भाग लिया। इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय साउथ कैंपस के प्रोफेसर जेपी खुराना मुख्य अतिथि एवं सीएसआईआर-केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ वीपी कांबोज विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस अवसर पर सर्वोत्तम शोध पत्रों के लिए संस्थान के वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया।
संस्थान के निदेशक डॉ सीएस नौटियाल ने संस्थान के पिछले वर्ष के कार्यों एवं उपलब्धियों के विषय में विस्तारपूर्वक बताया। प्रोफेसर जेपी खुराना ने पौधों के विकास में प्रकाश की महत्ता को देखते हुए प्रकाश के अधिकाधिक दोहन हेतु आणुविक ढांचे की संकल्पना पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि पौधों के पूरे जीवनकाल में विभिन्न अवस्थाओं के दौरान प्रकाश इन्हें नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, प्रकाश के दोहन हेतु पौधों में प्रकाश संवेदी यौगिकों का एक जटिल तंत्र विकसित होता है, जो विभिन्न रासायनिक क्रिया-तंत्रों से संबंधित होता है।
प्रोफेसर जेपी खुराना ने बताया कि ये तंत्र अपने प्रकाश संवेदी यौगिकों के माध्यम से न सिर्फ इन रासायनिक क्रिया-तंत्रों अपितु आनुवांशिक जींस के प्रदर्शन को भी प्रभावित करता है, बल्कि इस पूरे जटिल प्रकाश तंत्र एवं इसके संघटकों की क्रियाविधि की समझ पौधे की कार्यिकी, पुष्पन, वृद्धि, उपज आदि से संबंधित जटिल प्रश्नों के उत्तर तलाशने में सहायक सिद्ध हो सकती है। डॉ वीपी कांबोज ने जैव संसाधनों के तकनीक की सहायता से संदोहन एवं समाज को इसके लाभों को प्रदान करने की दिशा में संस्थान के कार्यों एवं उपलब्धियों की प्रशंसा की।
डॉ वीपी कांबोज ने कहा कि विभिन्न पादप आधारित उत्पादों में प्रयुक्त होने वाले पौधों की कृषि प्रौद्योगिकी को भी विकसित किए जाने की आवश्यकता है, ताकि उत्पादों के निर्माण हेतु उद्योगों को उच्च गुणवत्ता के पौधे प्राप्त हो सकें। उन्होंने पौधों की क़िस्मों के विकास में किसानों के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि सदियों से किसान बिना किसी तकनीकी ज्ञान के केवल पारंपरिक कृषि ज्ञान की सहायता से उन्नत क़िस्मों का चयन एवं विकास करते आए हैं। उन्होंने कहा कि एक प्रकार से किसान सर्वोत्तम वैज्ञानिक हैं, ऐसे में किसानों एवं वैज्ञानिकों का आपस में सहयोग आवश्यक है एवं इसी से देश का विकास संभव है।
सीएसआईआर-एनबीआरआई के वार्षिक प्रतिवेदन, वार्षिक विज्ञान पत्रिका ‘विज्ञानवाणी’ एवं बोगेनविलिया की बागवानी पर लिखी गई एक पुस्तक का विमोचन किया गया साथ ही बोगेनविलिया की एक नई किस्म डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नाम जारी की गई। सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान एवं सीएसआईआर-सीमैप के संयुक्त रूप से विकसित एवं एमिल फार्मा. प्राईवेट लिमिटेड के निर्मित किए जा रहे मधुमेह रोधी वैज्ञानिक उत्पाद ‘BGR-34’ को जारी किया गया। कार्यक्रम में संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ डीके उप्रेती ने उपस्थितजनों को धन्यवाद दिया।