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Friday 01 February 2013 10:24:45 AM
कुंभ नगर, प्रयाग। विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय संरक्षक अशोक सिंहल ने प्रयाग से जारी एक महत्वपूर्ण प्रेस वक्तव्य में कहा है कि श्रीराम जन्मभूमि के विषय को अब न्यायालय के निर्णय पर नहीं छोड़ा जा सकता है, इसका निर्णय शीघ्रातिशीघ्र भारतीय संसद को ही लेना पड़ेगा, भगवान रामलला को आज कपड़े के मंदिर से मुक्त कर उनके गौरव के अनुरूप 70 एकड़ परिसर में विशाल मंदिर का निर्माण कर पुर्नप्रतिष्ठित किया जाए। महा कुंभ में संतों और धर्माचार्यों का 7 फरवरी को गंभीर चिंतन और कार्य योजना पर संकल्प होगा।
अशोक सिंहल ने कहा कि महाकुंभ आध्यात्मिक शक्तियों के परस्पर विचार-विमर्श का महा-अनुष्ठान है, जिसमें सम-सामयिक विषयों पर गहन मंथन होकर समाज के लिए अनुकरणीय आचार संहिता को भी घोषित किया जाता है। गत कुंभ पर्वों पर संतों ने राष्ट्र को दिशा देने वाले अनेक निर्णय लिए हैं। उन्होंने कहा 1966 में गोरक्षा का विराट आंदोलन, 1989 में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माणार्थ शिलापूजन का कार्यक्रम, जो 2.75 लाख गांवों में हुआ। इसी प्रकार भारत माता, गंगा माता को लेकर (एकात्मता यात्रा) निकाली गई, जिसके कारण संपूर्ण देशभर में गंगा और भारत माता के प्रति समाज में जागरूकता आई। पंजाब में आतंकवाद के विरुद्ध भी संतों ने निर्णय लेकर सद्भावना यात्रा निकाली। वर्ष 2001 के कुंभ में संपूर्ण देश में महानुष्ठान का निर्णय लिया गया जिसमें तीन लाख गांव सम्मिलित हुए थे।
उन्होंने कहा कि प्रयाग महाकुंभ में भी हिंदू समाज के समक्ष उत्पन्न अनेकों महत्वपूर्ण सम-सामायिक विषयों पर गंभीर चिंतन होने वाला है, जिसमें प्रधान विषय भगवान रामलला को कपड़े के मंदिर से मुक्त कर उनके गौरव के अनुरूप 70 एकड़ परिसर में विशाल मंदिर का निर्माण कर पुर्नप्रतिष्ठित किया जाना है।
उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण हेतु पहले भी संतों ने महा जागरण अनुष्ठान का निर्णय लिया है, पुनः संत-धर्माचार्यों का विजय महामंत्र ‘श्रीराम जय राम जय जय राम’ के अनुष्ठान करने का सुझाव आया है।
अशोक सिंहल ने कहा कि महाकुंभ में 4 फरवरी को भारत की मिट्टी में जन्में समस्त संप्रदायों के वरिष्ठ आचार्यों का परस्पर मिलन का कार्यक्रम आचार्य महामंडलेश्वर गुरू शरणानंद महाराज के शिविर स्थान-दक्षिण झूंसी, सैक्टर-12, माघ मेला क्षेत्र, प्रयाग मेंहोगा।छह फरवरी, 2013 को केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक रसिया बाबा नगर, मोरी मार्ग-मुक्ति मार्ग चौक, सैक्टर-10, माघ मेला क्षेत्र, प्रयाग मेंहोगी, जिसमें सभी विषयों की आगामी कार्य-योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा।सात फरवरी, 2013 को दोपहर दो बजे से धर्म संसद एवं संत महा सम्मेलन ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती महाराज के शिविर स्थान-शास्त्रीपुल के नीचे, मोरी मार्ग, सैक्टर-5, माघ मेला क्षेत्र, प्रयाग में होगा, जहां सभी संत महा जागरण के स्वरूप और अपने संकल्प के संबंध में विचार प्रस्तुत करेंगे।
उन्होंने कहा कि आज हिंदू समाज के सामने अनेक ज्वलंत चुनौतियां हैं। गोमांस व्यवसाय के नाम पर प्रतिवर्ष करोड़ों गायों की हत्या की जा रही है, सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2021 तक देश में एक भी देशी गोवंश नहीं बचेगा। यमुना को मृत नदी घोषित कर दिया गया है, गंगा की भी स्थिति उसी दिशा में है। पवित्र गंगा की अविरलता और निर्मलता की रक्षा संतों के लिए गंभीर चिंता का प्रमुख विषय है। हिंदुओं की घटती हुई जनसंख्या भी संतों के सामने एक बड़ी समस्या बनी हुई है, जनसंख्या विशेषज्ञों का कहना है कि 2061 तक अखंड भारत में हिंदू अल्पसंख्यक हो जाएगा। हिंदू जनसंख्या घटने का मुख्य कारण हिंदुओं का परिवार नियोजन स्वीकार करना, मुस्लिमों का उसको नकारना व समान नागरिक कानून को न मानते हुए अधिक से अधिक संतति उत्पन्न करना है।
हिंदुओं की अल्प संख्या का दूसरा बहुत बड़ा कारण इसाईयों एवं इस्लाम धर्मियों का भारी मात्रा में धर्मांतरण करना है, करोड़ों की संख्या में अवैध बंगलादेशियों की घुसपैठ, लव जेहाद जैसे अभियान, भारत में जेहादी मुस्लिम हिंसक, चर्च और माओवादियों का आक्रमण, हिंदू समाज के सामने सुरक्षा का संकट उत्पन्न कर रहे हैं, ये सभी विषय संतों के लिए अत्यंत गंभीरता वाले हैं।
भ्रष्टाचार एवं बढ़ती महंगाई, साथ ही साथ आर्थिक पराधीनता के कारण, जनमानस का जीना दूभर हो गया है, संतों के लिए यह भी विषय महत्व रखता है। हिंदू समाज के समक्ष एक बड़ी चिंता का विषय यह भी है कि उसके लाखों मंदिरों पर अतिक्रमण नास्तिक सरकारों ने किया और कराया है। मंदिरों की संपत्तियों का अनेक ऐसे विषयों पर उपयोग होता है, जिसका हिंदू समाज से कोई लेनादेना नहीं है।
उन्होंने कहा इन सभी गंभीर विषयों पर संत समाज चुप नहीं बैठ सकता, इसलिए संत, जन-जन को जागृत करने के लिए महा जागरण अभियान पर निकलेंगे। अशोक सिंहल ने कहा कि जहां एक ओर लाखों संत धार्मिक प्रवचन, राष्ट्रचिंतन और साधना के पवित्र कार्य में लगे हैं, वहीं जयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर में हुए विचार मंथन से पूरे भगवा समाज को हिंदू और भगवा आतंकवादी घोषित करने का जो राग भारत के गृहमंत्री सुशील शिंदे ने अलापा है, वह संपूर्ण संत जगत एवं हिंदू समाज का घोर अपमान है। इस पर संत-धर्माचार्य कोई गंभीर निर्णय लेंगे।