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Thursday 12 November 2015 06:21:27 PM
उन्नाव। बाबू जयशंकर गयाप्रसाद विधि महाविद्यालय सुमेरपुर में जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें जिला विधिक प्राधिकरण उन्नाव के अध्यक्ष और जिला जज तूफानी प्रसाद, अपर सिविल जज और राष्ट्रीय लोक अदालत के नोडल अधिकारी डॉ सुनील कुमार सिंह, विधि प्रवक्ता और छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। महिलाओं के साथ कार्य क्षेत्र में अक्सर यौन उत्पीड़न तथा शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाने, जागरूक करने और कानूनी पहलुओं से अवगत कराने के उद्देश्य से निःशुल्क लीगल एड एवं सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं के तौर पर विशाल सभा एवं लीगल एड की स्थापना की गई। इसमें पारा विधिक स्वयं सेवकों के संबंध में जानकारी दी गई।
उन्नाव जिले में यह चौथा विधिक महाविद्यालय है, जहां पर पारा विधिक स्वयं सेवकों की सूची महाविद्यालय से आमंत्रित की गई, जिससे 50 पारा विधिक स्वयं सेवक प्रशिक्षित करके उनको लीगल रिटेनरों से जोड़ा जा सके। इस संबंध में विशाका बनाम राजस्थान राज्य के मामले में उच्चतम न्यायालय की पीठ के श्रमजीवी महिलाओं के प्रति काम के स्थान में होने वाले यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए निर्देशों की भी जानकारी दी गई। विशाका केस के बाद 9 दिसंबर 2013 को पारित महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम की जानकारी, प्री लिटिगेशन, मध्यस्थता, केंद्रीय लोकहित एवं राज्य कल्याणकारी योजनाओं से भी अवगत कराया गया। महिलाओं को जानकारी दी गई कि यौन उत्पीड़न में शारीरिक संबंध या प्रस्ताव, उसके लिए आगे बढ़ना, यौन संबंध के लिए मांग या प्रार्थना करना, यौन संबंधी छींटाकसी करना, अश्लील साहित्य या कोई अन्य शारीरिक मौखिक या यौन संबंधी मौन आचरण दिखाना आदि दंडनीय है।
जागरुक कार्यक्रम में 24 घंटे उपलब्ध राज्य विधिक प्राधिकरण के हेल्पलाइन नंबर 1800-419-0234 के संबंध में श्रमजीवी महिलाओं को जानकारी दी गई।कैदियों, विचाराधीन अभियुक्तों को पारा विधिक स्वयं सेवकों द्वारा कैसे निःशुल्क कानून सहायता प्रदान की जाए, इसकी जानकारी दी गई। ग़रीब तथा आम व्यक्तियों को न्याय शुल्क सहित वकील की फीस एवं अन्य सभी आवश्यक वाद व्यय मुहैया कराने को भी अवगत कराया गया। गुमशुदा बच्चों एवं व्यक्तियों के मामले में किस प्रकार एफआईआर दर्ज की जाए एवं निःशुल्क वकील सेवाएं दी जाएं, यह भी बताया गया। कार्यक्रम में मनुष्यों का अवैध व्यापार किए जाने आहत व्यक्तियों, स्त्री, बच्चों, अंधापन, कुष्ठ रोग, एक स्थान से दूसरे स्थान चले जाने वाले खानाबदोशों, बहरापन, सामूहिक आपदा, जाति हिंसा से ग्रस्त वर्ग विशेष, अत्याचार, बाढ़ अकाल, भूकंप अथवा औद्योगिक आपदा से ग्रस्त व्यक्तियों एवं अन्य औद्योगिक श्रमिकों और ऐसे व्यक्तियों, जिनकी वार्षिक आय एक लाख रूपए से कम है, उन्हें निःशुल्क विधिक सहायता प्राप्त कराने के उद्देश्य से महाविद्यालय में पारा विधिक स्वयं सेवकों को प्रशिक्षित किए जाने के लिए ठोस कदम उठाए गए।