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Friday 20 November 2015 06:13:00 AM
पटना। महागठबंधन के नेता नीतीश कुमार के पटना के गांधी मैदान पर मुख्यमंत्री पद के शपथ ग्रहण में आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव का मुसलमान प्रेम आज धड़ाम से औंधे मुंह गिरते देखा गया। नीतीश मंत्रिमंडल में लालू यादव के दोनों बेटों तेजस्वी और तेज के सामने लालू यादव के बड़े खास माने जानेवाले मुसलमान नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी को मंत्रिमंडल वरिष्ठता में न केवल तीसरे नंबर पर धकेल दिया गया, अपितु तेजस्वी यादव को उप मुख्यमंत्री भी घोषित करके संदेश दे दिया गया कि बिहार में असली मुख्यमंत्री तेजस्वी हैं, जिनकी महत्वपूर्ण विभागों के साथ पहले नंबर पर खास ताजपोशी की गई है। बिहार में सांप्रदायिक शक्तियों को सत्ता से बाहर रखने के लिए मुसलमानों का वोट लेकर उनके मुंह पर इस तरह जो तमाचा मारा गया है, उसकी तिलमिलाहट अब्दुल बारी सिद्दीकी सहित और भी मुसलमान नेताओं के चेहरों पर देखी गई। कई नेताओं और महागठबंधन कार्यकर्ताओं को यहां तक कहते सुना गया कि लालू यादव से कहीं लाख गुना मुसलमान प्रेम तो सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव का है, जो उत्तर प्रदेश में महसूस होता है और दिखता भी है, जिसका साक्षात प्रमाण है कि अखिलेश यादव मंत्रिमंडल में मोहम्मद आज़म खां नंबर एक स्थान पर हैं और वास्तव में वे सपा प्रमुख के प्रिय भी हैं, जबकि उनके सगे भाई शिवपाल यादव और बाकी चहेतों का मोहम्मद आज़म खां के बाद नंबर है।
जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता नीतीश कुमार ने आज गांधी मैदान में बिहार के मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण में कई विपरीत नज़ारे भी देखने के मिले। मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करने को लेकर दोनों ओर से खूब नाराज़गी दिखी तो लालू यादव के बेटों की ताजपोशी सभी जगह चर्चा में रही। यह शपथ ग्रहण समारोह ही जैसे लालू यादव के परिवार के लिए था। लालू यादव सारे नाते-रिश्तेदारों के साथ मौजूद थे। राबड़ी देवी के लिए तो यह खास अवसर था, इसकी खुशी में लालू परिवार को महसूस नहीं हुआ कि कहीं कुछ और भी नकारात्मक प्रतिक्रियाएं हो रही हैं, जो समयानुसार अपना गुल जरूर खिलाएंगी। गांधी मैदान पर भी शपथ में आमंत्रित किए गए मेहमानों की नज़र गई जो काफी खाली दिखाई दिया। शपथ ग्रहण में वो भीड़ नहीं दिखी। बिहार के लोगों ने महागठबंधन को सत्ता सौंपकर उससे ऐसा किनारा क्यों कर लिया? बहरहाल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव ने भी मंत्री पर पद और गापनीयता की शपथ ली। तेजस्वी यादव अब नीतीश सरकार में उपमुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री भी कहलाएंगे। लालू प्रसाद यादव के बेटों के बाद नीतीश मंत्रिमंडल में वरिष्ठताक्रम में अब्दुल बारी सिद्दीकी तीसरे नंबर पर होंगे। वह लालू यादव के बेहद करीबी माने जाते हैं।
जेडीयू नेता बिजेंद्र प्रसाद, जय कुमार सिंह और आरजेडी नेता आलोक मेहता को भी मंत्री बनाया गया है। नीतीश कुमार ने शपथ ग्रहण समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी को भी न्योता भेजा था, लेकिन उनकी जगह राजीव प्रताप रूड़ी और एम वैंकेया नायडु ने शपथ ग्रहण में भाग लिया। नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई, सिक्किम के मुख्यमंत्री पीके चामलिंग, मणिपुर के मुख्यमंत्री ओ इबोबी सिंह और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री नबाम तुकी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा के डी राजा और द्रमुक के टीएमके स्टालिन, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला, दिल्ली की पूर्वी सीएम शीला दीक्षित, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, राकांपा प्रमुख शरद पवार, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कई हस्तियां पटना के गांधी मैदान पहुंची।
लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव शुक्रवार को जब पटना के गांधी मैदान में मंत्री पद की शपथ लेने में अपेक्षित की जगह जब उपेक्षित बोल गए तो राज्यपाल रामनाथ कोविद ने उन्हें फिर से पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप के बारे में कहा जाता है कि वह राजनीति में अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव जैसे तेज़तर्रार नहीं माने जाते हैं। चुनाव के दौरान दोनों भाइयों में कौन बड़ा है, इसे लेकर भी विवाद रहा। तेज प्रताप के नामांकन पत्र में उनकी उम्र 25 और तेजस्वी की उम्र 26 साल बताई गई थी। तेजस्वी यादव राघोपुर विधानसभा क्षेत्र से जीतकर आए हैं। राजनीति में छोटे-बडे़ का धर्म कितना निभेगा, यह भी समय ही बताएगा, फिलहाल चर्चा इसी बात की ज्यादा है कि लालू यादव के किसी एक बेटे की लालू यादव के प्रतिनिधि के रूप में ताजपोशी समझ में आती है, लेकिन मुख्यमंत्री के बाद तेजस्वी का नाम आना इस बात का संकेत है कि बिहार की कुर्सी की दिशा क्या होगी।
आरजेडी में यादव जाति से कुल 42 एमएलए चुनकर आए हैं। अल्पसंख्यक तबके से 12 और दलित-महादलित तबके से 13 एमएलए चुनकर आए हैं। महागठबंधन की सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी आरजेडी है। लालू यादव ने चुनाव प्रचार के दौरान ही ऐलान कर दिया था कि अगर उनकी पार्टी सबसे ज्यादा सीटें जीतती है, तब भी सीएम नीतीश कुमार ही बनेंगे। इसके बावजूद बिहार की सत्ता के खेल में लालू प्रसाद यादव का ही बोलबाला होगा और इसका संदेश स्पष्टरूप से सामने आया है। मंत्रिमंडल विस्तार में नाराज़गी के स्वर भी सुने गए। वित्तमंत्री बनाए गए अब्दुल बारी सिद्दीकी तो शुरू में बहुत नाराज़ दिखे कि उनका नाम लालू यादव के दोनों पुत्रों के बाद क्यों है? क्योंकि लालू यादव बहुत अल्पसंख्यक प्रेम दिखाते हैं, इनसे अच्छे तो समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव हैं, जिन्होंने अखिलेश यादव मंत्रिमंडल में मोहम्मद आजम खां को पहले स्थान पर रखा है। कहने को अब्दुल बारी लालू यादव के बेहद करीबी माने जाते हैं। शपथ ग्रहण के बाद नीतीश कुमार की पार्टी में भी विरोध के स्वर उठे।