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Saturday 21 November 2015 04:01:47 AM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में एनॉटामिकल सोसायटी ऑफ इंडिया के 63वें राष्ट्रीय एनॉटामी अधिवेशन का उद्घाटन किया। राज्यपाल ने इस मौके पर कहा है कि चिकित्सकों को आधुनिक शोध एवं अनुसंधान का अधिक से अधिक उपयोग कर मरीजों को सस्ता इलाज उपलब्ध कराने पर जोर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि रोगी एवं परिजनों को चिकित्सक पूर्ण विश्वास में लेकर उपचार करें तो निश्चित ही अधिक लाभ होगा। उन्होंने कहा कि 21 वर्ष पूर्व जब वे कैंसर रोग से पीड़ित थे तो चिकित्सकों ने उनकी इच्छाशक्ति बढ़ाकर स्वस्थ होने में सहयोग किया था।
राज्यपाल ने कहा कि देहदान हमारी सनातन परंपरा है, महर्षि दधीचि ने अपना देहदान देकर त्याग की अनुपम परंपरा का निर्वहन किया था। उन्होंने कहा कि शरीर का उपयोग समाज के लिए होना चाहिए तथा समाज में देहदान की चर्चा होनी चाहिए, जिस प्रकार रक्तदान से शरीर में कोई कमी नहीं होती, इसका प्रचार हुआ है, उसी प्रकार देहदान के विषय में भी व्यापक प्रचार-प्रसार होना चाहिए। उन्होंने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व वे भी देहदान हेतु वसीयत कर चुके हैं। राज्यपाल ने कहा कि जीवित रहकर तो समाज की सेवा करना महत्वपूर्ण है, परंतु मृत्यु के बाद देहदान कर किसी का कल्याण करना अनुकरणीय कदम है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान के लिए कोई प्रस्ताव हो तो उन्हें विस्तृत रूप से तैयार कर भेजें, आवश्यकतानुसार वे पूर्ण सहयोग करेंगे।
राष्ट्रीय एनॉटामी अधिवेशन में किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रविकांत ने राज्यपाल को स्मृति चिन्ह देकर उन्हें सम्मानित किया। कार्यक्रम में राज्यपाल ने प्रोफेसर कृष्णमूर्ति, प्रोफेसर पुष्पा, प्रोफेसर सुशीला, प्रोफेसर तूलिका गुप्ता और अन्य चिकित्सकों को सम्मानित किया। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष एनॉटामी विभाग के प्रोफेसर एके श्रीवास्तव और बड़ी संख्या में चिकित्सक एवं विशेषज्ञ उपस्थित थे। प्रोफेसर पीके शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।