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मुख्यमंत्री सुरक्षा की भी हुई कड़ी परीक्षा!

साहस और सुरक्षा रणनीति की अनुकरणीय सफलता

सीएम सुरक्षा दस्ते को मिली मुख्यमंत्री से सराहना

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 20 December 2015 06:02:24 AM

cm security

लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की विधानभवन की वीआईपी लिफ्ट उस रोज उन्हें भले ही जवाब दे गई, किंतु उस समय मुख्यमंत्री के सुरक्षा दस्ते की भी जबरदस्त परीक्षा हुई, जिसमें धैर्य, साहस और संकटकाल प्रबंधन की अचूक और अनुकरणीय सफलता देखने को मिली। जी हां! वीवीआईपी लिफ्ट प्रबंधन फेल होने पर मुख्यमंत्री सुरक्षा ने यह प्रमाणित किया कि आपातकालीन स्थिति में उसके सुरक्षा उपाय उच्चकोटि के और भरोसेमंद हैं। सुरक्षा दस्ते ने ही कसकर बंद हुई लिफ्ट को खोलकर मुख्यमंत्री को लिफ्ट से सुरक्षात्मक बाहर निकालकर सुरक्षा के प्रशिक्षण पक्ष और विश्वास को और भी ज्यादा मजबूत किया। लिफ्ट में मुख्य सुरक्षा अधिकारी शिव कुमार को मुख्यमंत्री के साथ छोड़कर बाकी सभी सुरक्षाकर्मी दूसरी लिफ्ट से भूतल पर पहुंच चुके थे, मुख्यमंत्री के इंतजार में कुछ सुरक्षाकर्मी पहले ही ग्राउंड फ्लोर पर लिफ्ट के पास तैनात थे, लेकिन मुख्य सुरक्षा अधिकारी शिव कुमार ने कुछ ही क्षणों में सुरक्षा दस्ते को लिफ्ट फंस जाने की सूचना दी और उनके दिशानिर्देश के अनुसार सुरक्षाकर्मियों ने सभी तलों पर लिफ्ट के आस-पास का इलाका घेर लिया और सुरक्षा का यह पक्ष मजबूत कर करीब आधे घंटे में यह ऑपरेशन सिक्यूरिटी सक्सेज़ हुआ। इस सकुशल सफलता के लिए न केवल मुख्यमंत्री के मुख्य सुरक्षा अधिकारी शिवकुमार ने अपनी सुरक्षा टीम को बधाई दी, अपितु मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी अपने सुरक्षा दस्ते पर गर्व करते हुए सुरक्षा टीम के प्रयासों की जोरदार सराहना की।
विधानभवन सचिवालय की वीवीआईपी लिफ्ट की विफलता पर जहां सभी का ध्यान है और लिफ्ट प्रबंधन की आलोचना हो रही है, वहीं मुख्यमंत्री के सुरक्षा प्रबंध की भी खूब चर्चा हो रही है, जिसमें वीवीआईपी सुरक्षा में इस अनपेक्षित घटनाक्रम से और स्‍थानों पर भी ऐसी ही सतर्कता बरतने और उससे निपटने की रणनीति का सफल अनुभव सामने आया। यह वीवीआईपी सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती थी, जिसका मुख्यमंत्री सुरक्षा ने सफलता से सामना किया। मुख्यमंत्री के लिए यह बेहद संतोष और प्रसन्नता की बात है कि उनकी सुरक्षा न केवल अभेद्य है, अपितु ऐसी तकनीकि खामियों से भी निपटने में पीछे नहीं है। इस घटना से वीवीआईपी स्‍थानों की और भी खामियां उजागर हुईं। इस घटना के अनुसार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, उनकी सांसद पत्नी डिंपल यादव शुक्रवार को विधानभवन के सेंट्रल हॉल में बच्चों के कार्यक्रम में शामिल होकर लौटते हुए जब लिफ्ट में दाखिल हुए तो तकनीकि खराबी के साथ लिफ्ट का दरवाजा बंद हो गया। बहुत कोशिश करने पर भी लिफ्ट का दरवाजा नहीं खुला। ‌भूतल पर लिफ्ट के आसपास सचिवालयकर्मियों की भीड़ और उसे भी नियंत्रित करने की चुनौती का सामना करते हुए मुख्यमंत्री के सुरक्षा दस्ते ने मुख्यमंत्री की सुरक्षा को अभेद्य रखते हुए सावधानीपूर्वक लिफ्ट के दरवाजे को तोड़कर मुख्यमंत्री को सकुशल बाहर निकाला। दरअसल मुख्यमंत्री सुरक्षा के सामने यहां दोहरी चुनौती थी, जिसमें एक यह कि मुख्यमंत्री लिफ्ट में फंस गए और दरवाजा नहीं खुल रहा है, दूसरे यह कि ऐसी आपातस्थिति में अपने वीआईपी को किसी भी संकट से सुरक्षित और सहज रखना।
लिफ्ट घटनाक्रम का एक गंभीर पक्ष यह था कि लिफ्ट के फेल होने पर लिफ्टमैन के अलावा लिफ्ट का अनुरक्षण देखने वाले लोक निर्माण विभाग और लिफ्ट की अनुरक्षण कंपनी थायसन क्रुप की ओर से कोई भी आपातकालीन व्यवस्‍था मौजूद नहीं थी। यदि मुख्यमंत्री के सुरक्षा दस्ते ने तुरंत प्रयास शुरू न किए होते तो मुख्यमंत्री और भी ज्यादा देर तक लिफ्ट में फंसे रह सकते थे। कल्पना कीजिएगा कि यदि यह ग्रीष्मकाल होता तो केवल पांच लोगों की क्षमतावाली इस लिफ्ट में कितनी देर तक रुका जा सकता था? जिस समय यह घटना हुई उस समय मुख्यमंत्री के साथ लिफ्ट में मुख्य सुरक्षा अधिकारी शिव कुमार थे और बाहर भूतल पर पुलिस उपाधीक्षक गोविंद सिंह, इंस्पेक्टर जगदीश प्रसाद, इंस्पेक्टर विष्‍णुदेव, सबइंस्पेक्टर शिवशंकर यादव और बाकी सहायकों का सुरक्षा घेरा था, जिसने घटनाक्रम शुरू होते ही मुख्यमंत्री सुरक्षा के सारे पक्ष अभेद्य किए और एंबुलेंस एवं आक्सीजन को वहां तक पहुंचाकर लिफ्ट के स्टील के मजबूत दरवाजे को तोड़कर समन्वयपूर्वक संकटकाल खत्म करने में अपनी अदम्य भूमिकाएं निभाईं। इस संकट का सबसे खतरनाक पक्ष यह था कि लिफ्ट का दरवाजा काटकर खोलने के प्रयास करते समय कहीं लिफ्ट में विद्युत करेंट का प्रवाह न हो जाए, इसलिए मुख्यमंत्री सुरक्षा दस्ते ने मुख्यमंत्री और लिफ्ट में फंसे बाकी सभी लोगों को इसके प्रति जागरूक किया कि वे लिफ्ट की स्टील की दीवार को कतई स्पर्श न करें, क्योंकि इस ऑपरेशन में लिफ्ट की बिजली भी बंद नहीं की जा सकती थ‌ी। इस विषम स्थिति से सुरक्षा दस्ते ने ग़ज़ब का संतुलन स्‍थापित किया और मुख्यमंत्री की सुरक्षा का संकट खत्म हुआ।

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