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Friday 26 February 2016 06:07:32 AM
लखनऊ। सेव द चिल्ड्रेन संस्था की ओर से ‘स्ट्रीट चिल्ड्रेन के संरक्षण एवं उनकी देख-रेख संबंधित कंसल्टेशन वर्कशॉप‘आयोजित की गई, जिसमें सड़कों पर दिखाई पड़ने वाले बच्चों के संरक्षण पर गंभीर विचार-विमर्श किया गया। यूं तो इस प्रकार की कार्यशालाएं आए दिन सुनने को मिलती हैं, तथापि उम्मीद की जा रही है कि इस कार्यशाला का कोई निष्कर्ष इन बच्चों के काम आएगा। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष स्तुति कक्कड़, उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष जूही सिंह, विशेष सचिव गृह मनिस्तिनी नायर, पुलिस अधीक्षक रेलवे सोनिया सिंह, एनआईपीसीसीडी के निदेशक डीडी पांडेय, सुरोजीत चटर्जी, अंजलि सिंह और कई स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
वर्कशॉप में राष्ट्रीय बाल आयोग की अध्यक्ष स्तुति कक्कड़ ने कहा कि सड़कों पर रहने वाले बच्चों के बारे में जानकारी तो सबको रहती है, मगर वो कहां से आते हैं और उनका क्या होता है इसके बारे में जानकारी बहुत कम ही हो पाती है। उन्होंने सभी एनजीओ को आपस में मिलकर बात करने और एक साथ कार्य करने के लिए कहा, जिससे बच्चों के विकास और कल्याण के क्षेत्र में कार्य कर रही संस्थाओं में ताल-मेल बना रहे। उन्होंने सिविल सोसाइटी, स्वयंसेवी संस्थाओं, कॉर्पोरेट्स को आगे आकर राष्ट्रीय और राज्य बाल आयोग के साथ बच्चों के हितों के लिए कार्य करने को कहा।
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष जूही सिंह ने कहा कि राज्य बाल आयोग ने सेव द चिल्ड्रेन के साथ मिलकर बाल संसद का आयोजन किया था, जिससे बच्चों के दिल की बात को सरकार तक पहुंचाया जा सके, अगली बाल संसद में सड़क पर रहने वाले बच्चों को अधिक से अधिक संख्या में अपनी बात रखने का मौका प्रदान किया जाएगा, जिससे उनके मनोभावों को समझने के साथ उनके सुझाव प्राप्त हो सकें। उन्होंने कहा कि बाल आयोग जल्द ही इस प्रकार के बच्चों का चिन्हीकरण करने का कार्य शुरू करेगा और उनके हित के लिए कार्ययोजना तैयार करेगा।
विशेष सचिव गृह मिनिस्तिनी नायर ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी जल्दी ही एक जीओ जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को भेजा है, जिसमें मानव तस्करी एवं गुमशुदा बच्चों से संबंधित कोई भी शिकायत प्राप्त होती है तो उसमें तत्काल एफआईआर दर्ज करनी होगी, इसके अलावा स्पेशल जुवनैल पुलिस यूनिट के एक-एक अधिकारी को प्रत्येक पुलिस स्टेशन पर तैनात किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश में पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना में मिलने वाली आर्थिक सहायता का भी उल्लेख किया।