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Tuesday 1 March 2016 06:35:28 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज विज्ञान भवन नई दिल्ली में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक कार्यालय में भारतीय सिविल लेखा सेवा के 40वें वार्षिक समारोह में शिरकत की। भारतीय लेखा व्यवस्था और उससे जुड़े हितधारकों के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय सिविल लेखा सेवा की स्थापना से अब तक इसमें सुधारों की महत्वपूर्ण पहलें हुई हैं और इस सेवा ने बहुत प्रगति की है। उन्होंने महालेखा नियंत्रक और भारतीय सिविल लेखा सेवा के अधिकारियों तथा स्टॉफ को इस बात की बधाई दी कि उन्होंने देश की सेवा में अभूतपूर्व योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि महालेखा नियंत्रक के कार्यालय ने 40 वर्ष के दौरान मानव संसाधन के प्रशिक्षण के लिए महत्वपूर्ण काम किया है, इसमें सूचना प्रौद्योगिकी भी शामिल है। ज्ञातव्य है कि इस रिपोर्ट में लेखा संबंधी महत्वपूर्ण कंटेंट हैं, जो लेखा क्षेत्र से जुड़े प्रशिक्षुओं और हितधारकों के लिए उपयोगी हो सकते हैं।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सरकार प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) संबंधी भुगतान प्रणाली को महत्व देती है, ताकि आर्थिक रूप से वंचित और कमजोर वर्गों तक उसके लाभ पहुंच सकें। डीबीटी प्रणाली के तहत समस्त भुगतान सीधे हितधारकों के बैंक खातों में जाता है और इससे पारदर्शिता सुनिश्चित होती है तथा किसी प्रकार का विलंब नहीं होता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सरकार जल्द ही अन्य कल्याणकारी योजनाओं को भी पीएफएमएस पोर्टल पर ले आएगी। सिविल लेखा सेवा के अधिकारियों से राष्ट्रपति ने कहा कि उनके संगठन के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि किस तरह सार्वजनिक वित्त के संबंध में कारगर और भरोसेमंद वित्तीय व्यवस्था संभव की जा सकती है, क्योंकि यह प्रभावशाली और ठोस वित्तीय प्रबंधन प्रणाली की रीढ़ है।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि परियोजनाओं के कार्यांवयन की निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अंदरुनी लेखा परीक्षण केवल अनुपालन परीक्षण तक सीमित है, जिसमें बदलाव की आवश्यकता है, ताकि कार्यक्रमों का समुचित कार्यांवयन हो सके तथा खर्च में कमी आ सके। उन्होंने कहा कि अनुपालन के बजाय जोखिम प्रबंधन, शमन और नियंत्रण पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए, इस दिशा में महालेखा परीक्षक ने कई कदम उठाए हैं और इस प्रक्रिया को जारी रखना चाहिए। वित्त मंत्री अरुण जेटली भी इस अवसर पर उपस्थित थे। उन्होंने सिविल लेखा संगठन के इतिहास पर एक पुस्तक का विमोचन किया और पुस्तक की प्रथम प्रति राष्ट्रपति को भेंट की। समारोह में भारत के महानियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक शशिकांत शर्मा, वित्त सचिव रतन पी वटल और महालेखा नियंत्रक एमजे जोसफ भी उपस्थित थे।
लोक लेखा दिवस पर परंपरा अनुसार प्रधान लेखा अधिकारी और लेखा अधिकारियों को उनके बेहतरीन कामकाज के लिए पुरस्कार प्रदान किए गए। इसके अलावा कार्यालय के विभागों को भी पुरस्कृत किया गया, जिनमें-सर्वश्रेष्ठ कार्यों के लिए प्रधान लेखा कार्यालय, वेतन और लेखा अधिकारियों वाली इकाई, सर्वोत्तम आंतरिक लेखा परीक्षण इकाई और विशेष पहलों के लिए पुरस्कार शामिल हैं। भारतीय प्रशासनिक लेखा सेवा 1976 में अस्तित्व में आई थी और इसने लोक वित्त प्रशासन के क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार किए, बाद में केंद्र सरकार ने लेखा परीक्षा को इससे अलग कर दिया। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की इस विभाग से जुड़ी कई जिम्मेदारियां हैं। सन् 1976 में दो अध्यादेश लाए गए और विभाग के कामकाज को बेहतरीन बनाने के लिए इन्हें अलग-अलग कार्य करने की जिम्मदारियां सौंपी गईं। संसद ने 6 अप्रैल 1976 को दोनों अध्यादेशों से इनका बंटवारा कर दिया।
नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की मदद के लिए भारतीय लोक लेखा सेवा के अधिकारी होते हैं और इसका प्रधान सलाहकार केंद्र सरकार के लेखा-जोखा मामले देखता है। नियंत्रक और महालेखा परीक्षक कार्यालय ने अपनी विभिन्न इकाइयों के कामकाज को बेहतर बनाने के लिए अभी हाल में कई सुधार किए हैं, जिनमें लोक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली को फिर से डिजाइन किया जाना शामिल है। लोक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली ऑनलाइन सॉफ्टवेयर प्रणाली है, जो बेहतरीन लोक वित्तीय प्रणाली को सुगम बनाती है, इसका उद्देश्य व्यापक वेतन, प्राप्तियां और लेखा नेटवर्क की स्थापना करना है। यह पोर्टल डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के लिए मुख्य धुरी का काम करता है। इसकी उपलब्धियों में कोर बैंकिंग सिस्टम है, जिसके तहत 93 बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक और इंडिया पोस्ट जुड़े हैं। पोर्टल में करीब 17.8 लाख एजेंसियां कोष जारी करने के लिए पंजीकृत हैं। इस नेटवर्क से प्रत्यक्ष कर की योजनाओं में 50 हजार करोड़ रुपए का भुगतान किया गया, जिससे करीब 7 करोड़ लोगों को फायदा हुआ। ग्रामीण विकास मंत्रालय, इंदिरा आवास योजना और जन वितरण प्रणाली में दी जाने वाली सब्सिडी इसी सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से संभव होती है।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने हाल ही में गैर टैक्स राजस्व पोर्टल की शुरूआत की है, जिसका काम रिज़र्व बैंक में सरकार के खाते से गैर टैक्स राजस्वों को इकट्ठा करना और छूट देना आसान हो गया है। इससे गरीबों को जो लाभ हुए वे हैं- नागरिकों और कॉरपोरेट को विभागीय सेवाओं और भुगतान को ऑनलाइन फायदा पहुंचाना, प्राप्तियों का बेहतर लेखाजोखा, सरकार के खाते में राजस्व का त्वरित जमा संबंधी कामकाज। यह सरकार की लोक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली है, जो आंतरिक लेखा परीक्षा का कामकाज संभालती है। वर्षों से इसके व्यापक कामकाज से वित्तीय जोखिमों पर आधारित बेहतर कार्य संपादन को दिशा मिली है। भारत सरकार की योजनाओं और परियोजनाओं को लागू करने के लिए इसी का नजरिया काम आ रहा है। वर्ष 2015-16 के कामकाज के लिए पहचाने गए मंत्रालयों ने लेखा परीक्षण कार्यालय के तकनीकी मार्गदर्शन में काम शुरू किया है। कई सुधार पहलों से आंतरिक लेखा परीक्षण और इसकी प्रक्रियाओं को मजबूती मिली है।
सरकारी लेखा और वित्तीय संस्थान लेखा और महापरीक्षक कार्यालय के प्रशिक्षण का जिम्मा संभालता है। इस तरह संस्थान लोक लेखा अधिकारियों के संगठन को वित्तीय प्रबंधन प्रशिक्षण का कार्यक्रम चलाता है। इस प्रबंधन से जुड़े नियमित कार्यक्रमों के अलावा संस्थान अपनी तकनीकों के लिए गतिशील प्लेटफार्म भी उपलब्ध कराता है, जिससे आंकड़ों के वितरण में सुगमता आती है। राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान फरीदाबाद संस्थान लोक लेखा संगठन के समूह ‘क’ और ‘ख’ के अधिकारियों की क्षमता निर्माण संबंधी कई कार्यक्रम संचालित करता है, इसमें हाल ही में आईसीएएस के अधिकारियों की नियुक्ति की गई है, जो प्रशासनिक अधिकारियों को प्रशिक्षण देते हैं। पिछले कई वर्ष से आईसीएएस अधिकारी अमरीका के अटलांटा और ड्यूक विश्वविद्यालयों के अंतर्राष्ट्रीय वित्त प्रबंधन कार्यक्रमों में प्रशिक्षण हासिल करते रहे हैं।