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शिक्षा की गुणवत्‍ता में सुधार की जरूरत

कुलपतियों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने कहा

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Tuesday 05 February 2013 07:54:01 AM

president pranab mukherjee and prime minister manmohan singh

नई दिल्ली। राष्ट्रपति भवन में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का मंगलवार सम्मेलन को हुआ, जिसने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि बीते एक दशक में हमारे देश का शैक्षिक परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है। यह बदलाव शिक्षा के सभी क्षेत्रों-प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च तथा व्यवसायिक शिक्षा और कौशल विकास में हुआ है, आज हमारे सामने नई चुनौतियों के साथ नए अवसर भी हैं, हमारी सामूहिक जिम्मेदारी ऐसी शिक्षा प्रणाली बनाने की है जो 21वीं सदी में भारत में आधुनिक, समृद्धशाली और प्रगतिशील अर्थव्यवस्था और समाज बनाने में सहायक हो।
प्रधानमंत्री ने देश में सभी प्रकार की शिक्षाओं में भारत सरकार के योगदान की चर्चा करते ‌हुए आगे के मार्ग का उल्लेख किया। उन्होंने 12वीं योजना में पिछले दस वर्षों के दौरान प्राप्‍त गति को अगले पांच वर्षों में भी जारी रखने और उत्‍कृष्‍टता पर लगातार ध्‍यान रखने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि उच्‍च शिक्षा की बढ़ती मांग को ध्‍यान में रखते हुए उच्‍च शिक्षा प्रणाली का विस्‍तार करना आवश्‍यक है, लेकिन गुणवत्‍ता में सुधार लाए बिना शिक्षा के विस्‍तार का कोई लाभ नहीं है, हमें अब गुणवत्‍ता पर अधिक ध्‍यान देना होगा। हमें यह समझना चाहिए कि हमारे अधिकतर उच्‍च शिक्षा संस्‍थान अपेक्षित स्‍तर के नहीं हैं, उनमें से अधिकतर हाल के वर्षों में विश्‍व में तेजी से हुए परिवर्तनों के अनुरूप बदलाव नहीं ला पाए हैं, वे अभी भी उन विषयों में स्‍नातक तैयार कर रहे हैं, जिनकी रोज़गार बाज़ार में कोई मांग नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए गंभीर सोच का विषय है कि आज विश्‍व के 200 शीर्ष विश्‍वविद्यालयों में भारत का एक भी विश्‍वविद्यालय शामिल नहीं है। हमारे उच्‍च शिक्षा संस्‍थानों में गुणवत्‍ता सुधारना और उत्‍कृष्‍टता को बढ़ावा देना एक गंभीर चुनौती है, जिसका हमें मिल-जुलकर सामना करना चाहिए। हमारी उच्‍च शिक्षा प्रणाली की अक्‍सर शिक्षकों और छात्रों, दोनों के लिए अनावश्यक रूप से कठोर होने के लिए आलोचना की जाती है, यह पता लगाना आवश्‍यक है कि हम कैसे अपने संस्‍थानों में लचीलापन लागू करें, ताकि वे अच्‍छे शिक्षकों को आकर्षित करने, शिक्षा स्‍तरों को ऊंचा करने, अतिआधुनिक अनुसंधान को प्रोत्‍साहित करने और प्रतिभा विकसित करने में समर्थ हो सकें। इस सम्‍मेलन की कार्य सूची में एक बिंदु केंद्रीय विश्‍वविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्‍ता सुधारने और अच्‍छे शिक्षकों के विकास के बारे में है। आगामी विचार-विमर्श में इस बारे में कुछ अच्‍छी सिफारिशें सामने आएंगी।
उन्होंने कहा कि हम जैसे आगे बढ़ेंगे, तो हमें शिक्षा में समरूपता के बारे में चिंता को भी ध्‍यान में रखना होगा। हम राज्‍यों, क्षेत्रों और अपने समाज के सभी वर्गों में असंतुलनों को दूर करने के लिए काम करेंगे, उच्‍च शिक्षा के क्षेत्र में समरूपता लाने से संबंधित अपनी योजनाओं को कारगर बनाएंगे, उन पर बेहतर ध्‍यान देंगे और उनके लिए अधिक बजट सहायता उपलब्‍ध कराएंगे।
देशभर में उच्‍च शिक्षा के लिए मानक स्‍थापित करने में केंद्रीय विश्‍वविद्यालय महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, विश्‍वविद्यालय आदर्श और प्रतिमान स्‍थापित करें और आसपास के क्षेत्र में उच्‍च शिक्षा के अन्‍य संस्‍थानों को मजबूती प्रदान करने में योगदान दें। दूरदराज के क्षेत्रों में स्थित कुछ केंद्रीय विश्‍वविद्यालय हमारे देश में शैक्षिक असंतुलनों को दूर करने में भी योगदान दे सकते हैं। हम केंद्रीय विश्‍वविद्यालयों से गुणवत्‍ता वाले शीर्ष संस्‍थान बनने की उम्‍मीद रखते हैं और चाहते हैं कि 12वीं योजना में सभी केंद्रीय संस्‍थान वैसे बनें।
यहां एकत्र केंद्रीय विश्‍वविद्यालयों के कुलपति प्रतिभा के बड़े समूह का प्रतिनिधित्‍व करते हैं। आप सब देश में उच्‍च शिक्षा के क्षेत्र में जानेमाने बुद्धिजीवी हैं। विश्‍वास है कि आगामी विचार-विमर्श में आप केंद्रीय विश्‍वविद्यालयों में शिक्षा और अनुसंधान का स्‍तर सुधारने के नये और अभिनव तरीकों को खोजने में अपनी योग्‍यता और विशेषज्ञता का उपयोग करेंगे। उन्होंने इस आयोजन की पहल के लिए राष्‍ट्रपति को धन्‍यवाद दिया।

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