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चिकित्सा शिक्षक उपेक्षा से आक्रोशित

पदोन्नति एवं वेतनमान से जुड़ी समस्याएं लंबित

कार्मिक और पीएमओ राज्यमंत्री को ज्ञापन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 13 April 2016 04:53:06 AM

memorandum to the minister of personnel and pmo

नई दिल्ली। केंद्रीय चिकित्सा शिक्षक अपनी मांगों और समस्याओं की उपेक्षा से आक्रोशित और आंदोलित हैं। चिकित्सा शिक्षकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह से भेंट की और पदोन्नति एवं वेतनमान से जुड़ी अपनी लंबित मांगों को पूरा करने के लिए उनके हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के संकाय कल्याण संघ, सफदरजंग अस्पताल के संकाय संघ और नई दिल्ली में डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल के चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान स्नातकोत्तर संस्थान के शिक्षण संकाय कल्याण संघ की ओर से उनको एक ज्ञापन भी सौंपा।
प्रतिनिधिमंडल के प्रतिनिधियों ने डॉ जितेंद्र सिंह से अनुग्रह की मांग इस आधार पर की कि वे खुद एक चिकित्सा शिक्षक और शैक्षणिक संकाय के एक सदस्य हैं और इसके नाते वह उनसे जुड़े मसलों को कहीं बेहतर ढंग से समझ सकेंगे और सरकार में समुचित स्तर पर इन बातों को पेश कर सकेंगे। उन्होंने पदोन्नति एवं वेतनमान से जुड़ी प्रक्रियाओं के बारे में विस्तार से बताते हुए इनमें विरोधाभास होने का उल्लेख किया। प्रतिनिधिमंडल के यह आरोप लगाया कि वैसे तो वे ही मूलत: चिकित्सा शिक्षण के शिक्षक कैडर से वास्ता रखते हैं, लेकिन उन्हें मिलने वाले कुछ लाभ केंद्रीय स्वास्थ्य सेवाओं के गैर-शिक्षक विशेषज्ञ कैडर के खाते में जा रहे हैं।
चिकित्सा शिक्षकों ने कहा कि वे गैर-शिक्षक कैडर की सेवानिवृत्ति की आयु को 62 साल से बढ़ाकर 65 साल करने की मांग के पक्ष में नहीं हैं, जबकि उनका भी वास्ता मूल शिक्षक कैडर से है। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने यह भी दावा किया कि यह सुझाव सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के विरुद्ध है। प्रतिनिधिमंडल के ज्ञापन में सुझाव दिया गया है कि चिकित्सा विशेषज्ञों की किल्लत को अनुबंध के आधार पर पुर्ननियुक्ति के जरिए समाप्त किया जा सकता है, अत: ऐसे में सेवानिवृत्ति आयु में वृद्धि को टाला जा सकता है, यही नहीं इससे दूसरों को मिलने वाले मौके भी खतरे में पड़ सकते हैं।

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