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घाटी में और सुरक्षा बल भेजने का फैसला

महबूबा मुफ्ती पर अलगाववादियों ने कसा शिकंजा

केंद्रीय गृह सचिव की घाटी के हालात पर समीक्षा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 16 April 2016 06:58:55 AM

home secretary rajiv maharishi

नई दिल्ली/ श्रीनगर। कश्मीर घाटी में हाल की हिंसक घटनाओं और उनमें अलगाववादियों की सक्रिय संलिप्पता को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा इं‌तजाम और ज्यादा मजबूत करने के लिए वहां अतिरिक्त केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल भेजे जा रहे हैं। केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि ने खुफिया ब्यूरो, रक्षा मंत्रालय, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ घाट‌ी के ताजा हालात पर एक बैठक कर यह निर्णय लिया है। बैठक में जम्मू-कश्मीर की कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की गई और उसमें राज्य सरकार की तुरंत आवश्यकताओं का आकलन किया गया, जिससे कि राज्य में बिना और किसी जनहानि के स्थिति नियंत्रण में आ सके। केंद्र सरकार ने पिछले चार दिन में जम्मू-कश्मीर में मारे गए लोगों को लेकर भी चिंता जताई है।
केंद्रीय गृह सचिव की बैठक में निर्णय लिया गया कि जम्मू-कश्मीर के हालात जानने के लिए गृह मंत्रालय नियमित रूप से राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ संपर्क में रहेगा तथा नियमित तौर से हालात की निगरानी भी की जाएगी। गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर की सरकार को आश्वासन दिया कि उसे केंद्र सरकार का पूरा सहयोग और समर्थन मिलेगा, जिससे कि आगे और किसी भी नागरिक के जीवन को नुकसान न पहुंचे। केंद्र सरकार की ओर से यह भी जानकारी दी गई है कि पिछले वर्ष नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर यात्रा के दौरान जम्मू-कश्मीर के लिए जिस राहत पैकेज की घोषणा की थी, उसे भी जम्मू-कश्मीर के समग्र विकास के लिए तेजी से क्रियांवित किया जा रहा है, इससे स्थानीय युवाओं को रोज़गार मिलने के साथ राज्य में भी समग्र रूप से विकास हो सकेगा। सवाल खड़ा हो गया है कि महबूबा मुफ्ती अलगाववादियों से भी सहानुभूति रखकर ऐसा कर पाएंगी? शायद कदापि नहीं।
महबूबा मुफ्ती के मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद से कश्मीर घाटी में कानून और व्यवस्था की स्थिति बुरी तरह बिगड़ गई है। श्रीनगर में आईआईटी कैंपस में भारत विरोधी घटनाओं, जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा गैर कश्मीरी छात्रों की बर्बर पिटाई और उसके विरोध में छात्रों के आंदोलन और उसके बाद हंदवाड़ा में सैनिक पर कश्मीरी लड़की से छेड़छाड़ के झूंठे आरोप के बाद हुई हिंसा के कारण स्थिति जटिल हुई है। इस मामले की जांच में वास्तविकता यह सामने आई कि कश्मीरी लड़की ने सैनिक पर नहीं, बल्कि स्थानीय लड़कों पर ही छेड़छाड़ आरोप लगाया है, जिससे अफवाह फैलाने वाले बेनकाब हुए और स्थिति कुछ संभली, लेकिन इस घटनाक्रम में अलगाववादियों के शामिल होने व हिंसा में दो लोगों की जान जाने से हालात ज्यादा बिगड़ गए हैं। महबूबा मुफ्ती सरकार इन हालात पर काबू पाने में असमर्थ दिख रही है, क्योंकि इन घटनाओं के बहाने घाटी में महबूबा सरकार को अस्थिर करने की कोशिशें भी की जा रही हैं, जिनमें नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के साथ अलगाववादी भी शामिल माने जा रहे हैं।
कश्मीर घाटी में भाजपा-पीडीपी गठबंधन में दरार डालने की कोशिशों के कारण ही महबूबा मुफ्ती सरकार के गठन में इतनी देर हुई है। दरअसल यह महबूबा मुफ्ती की अलगाववादियों से निरंतर सहानुभूति और निकटता का दुष्परिणाम है, जिसका सामना महबूबा मुफ्ती को ही करना पड़ रहा है। महबूबा मुफ्ती की शुरू से ही सोच रही है कि वह घाटी में अलगाववादियों के साथ खड़े रहकर ज्यादा प्रभावशाली बनी रहेगी, लेकिन उनकी यह योजना अब उनको ही भारी पड़ रही है, अलगाववादियों का एक धड़ा अब उनके ही खिलाफ मोर्चा खोले बैठा है। अलगाववादियों की महबूबा मुफ्ती से इस बात पर नाराज़गी है कि उन्हें घाटी में भाजपा के साथ खड़े होने का जनादेश नहीं दिया गया था। अलगाववादी भाजपा-पीडीपी गठबंधन को नहीं चाहते, लिहाजा उन्होंने घाटी में हिंसात्मक रुख अख्तियार कर लिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय अलगाववादियों की इस योजना को समझ गया है, इसीलिए नए हालात पर काबू पाने के लिए घाटी में अतिरिक्त सुरक्षा बल भेजे जा रहे हैं।

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