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स्वर्ण जयंती मना रहा है केंद्रीय विद्यालय संगठन

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Wednesday 06 February 2013 08:25:11 AM

manmohan singh at the golden jubilee celebrations of the kendriya vidyala sangathan

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को केंद्रीय विद्यालय संगठन के स्वर्ण जयंती समारोह का शुभारंभ किया और संगठन के शिक्षकों एवं छात्रों को शुभकामनाएं और बधाई दी। केंद्रीय विद्यालय संगठन 1963 में 20 रेजीमेंटल विद्यालयों के साथ शुरू होकर आज लगभग 1100 केंद्रीय विद्यालयों का प्रशासन संभालता है। यह लगभग 11 लाख बच्चों को शिक्षा प्रदान करता है और इसके शिक्षकों सहित 46,000 से अधिक कर्मचारी हैं। यह संगठन केंद्र सरकार के स्थानांतरणीय केंद्रीय कर्मचारियों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के अपने दायित्व को विशिष्टता से साथ निभा रहा है। पचास वर्ष की इसकी यात्रा वास्तव में अत्यधिक सफल मानी जाती है।
केंद्रीय विद्यालय संगठन में जुड़े सभी लोगों की देश के विभिन्न भागों में अतिरिक्त केंद्रीय विद्यालयों को खोलने की जोरदार मांग है और मौजूदा विद्यालयों में दाखिला प्रक्रिया में भी अत्यधिक प्रतिस्पर्धात्मक है। केंद्रीय विद्यालय संगठन के शिक्षा के उच्च मानक का भी संकेत है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं में केंद्रीय विद्यालयों के छात्रों ने लगातार बहुत बेहतर प्रदर्शन किया है, यही नहीं, इन विद्यालयों ने अपने छात्रों की पढ़ाई के अलावा अन्य गतिविधियों में भाग लेकर उनके व्यक्तित्व विकास की आवश्यकता के प्रति की सजगता दिखाई है। केंद्रीय विद्यालयों में छात्राओं का अनुपात 43 प्रतिशत है और संगठन के शिक्षकों में महिलाओं का बहुमत है।
केंद्रीय विद्यालयों की एक बड़ी संख्या इस समय रक्षा और अर्ध-सैनिक संस्थानों के परिसरों में स्थित है। इससे रक्षा और अर्ध-सैनिक बलों के कर्मचारियों, जिनकी जोखिम भरी ड्यूटियां उन्हें अपने परिवारों के साथ अक्सर कम समय बिताने का मौका देती हैं, केंद्रीय विद्यालय बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता प्राप्त करते हैं। सरकार ने सदा इस बात को स्वीकारा है कि भारत आधुनिक, प्रगतिशील और समृद्ध देश के रूप में तभी उभर सकता है, जब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक नागरिकों की आसान पहुंच होगी। भारत एक युवा देश है और एक शिक्षित एवं कुशल कार्यबल के होने पर ही जनांकिक लाभांश प्राप्त किया जा सकता है, जो देश की अर्थव्यवस्था का विस्तार करने और अधिक उत्पादक बनने में सहायक होगी।
भारत में आज प्राथमिक शिक्षा की पहुंच लगभग सार्वभौमिक है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम भी सुनिश्चित करता है कि देश के प्रत्येक बच्चे को प्राथमिक शिक्षा के 8 वर्ष का अधिकार प्राप्त हो। मध्याह्न भोजन की योजना, जो हर रोज 11 करोड़ बच्चों को स्कूलों में भोजन उपलब्ध कराती है, ने बच्चों के स्कूलों में बने रहने में उल्लेखनीय सहायता तो की है, लेकिन शिक्षकों और शिक्षण का मानक उचित स्तर का नहीं है, जिस कारण परिणाम अपेक्षा से बहुत नीचे हैं। स्कूलों में प्राथमिक स्तर के बाद बच्चों का बीच में पढ़ाई छोड़ जाने वालों की संख्या अधिक बनी हुई है। निष्पक्षता से संबंधी भी कुछ बड़ी समस्याएं हैं।
प्रधानमंत्री का कहना है कि 12वीं पंचवर्षीय योजना में इन चुनौतियों का समाधान करने में केंद्रीय विद्यालय अन्य स्कूलों के लिए मानक और बेंचमार्क तय करने में बड़े पैमाने पर सहायक हो सकते हैं। यह केंद्रीय विद्यालों के लिए 12वीं योजना में निर्धारित लक्ष्यों में से एक है। उन्हें अपने पड़ोस के विद्यालयों के साथ सर्वोत्तम युक्तियों को बांटने में रोल-मॉडल के रूप में कार्य करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने केंद्रीय विद्यालय संगठन से आग्रह किया कि वह इन अपेक्षाओं को कारगर रूप में पूरा करने के उपायों का पता लगाएं।
केंद्रीय विद्यालय संगठन ने आसपास तेजी से बदलती हुई स्थिति के साथ गति बनाये रखने के लिए कई नये कदम उठाये हैं, इनमें शिक्षा प्रदान करने, शिक्षकों और छात्रों के लिए विदेशों के साथ आदान-प्रदान कार्यक्रम चलाने और विदेशी भाषाओं के शिक्षण में सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग शामिल हैं। यह सभी सराहनीय कदम हैं, जिनसे केंद्रीय विद्यालयों को अपना स्तर सुधारने में सहायता मिलेगी, लेकिन केंद्रीय विद्यालय संगठन को श्रेष्ठता प्राप्त करने में अभी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।

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