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Monday 18 April 2016 12:24:51 AM
मुंबई। समुद्री भारत शिखर सम्मेलन में राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना जारी की गई है, जिसमें ‘सागरमाला’ की रूपरेखा का ब्यौरा दिया गया है। सागरमाला भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य देश में बंदरगाहों की अगुवाई में विकास की गति तेज करना है। केंद्र एवं राज्य सरकारों के अहम हितधारकों और शिपिंग, बंदरगाह, जहाज निर्माण, विद्युत, सीमेंट एवं इस्पात क्षेत्रों की सार्वजनिक और निजी कंपनियों के साथ व्यापक सलाह-मशविरा करने के बाद राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना तैयार की गई है। न्यूनतम निवेश के साथ निर्यात-आयात एवं घरेलू व्यापार की लागत काफी हद तक कम करने संबंधी सागरमाला के विजन को इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
शिपिंग सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि जल परिवहन को बढ़ावा देना सरकार की प्राथमिकता है, क्योंकि इससे लॉजिस्टिक्स लागत में खासी कमी करने में मदद मिलेगी, जो चीन एवं यूरोपीय देशों की तुलना में भारत में बहुत ज्यादा है। रिपोर्ट में अनुमान व्यक्त किया गया है कि इस कार्यक्रम से लॉजिस्टिक्स लागत में तकरीबन 35,000 करोड़ रुपये की सालाना बचत संभव हो सकती है और इसके साथ ही वर्ष 2025 तक भारत के व्यापारिक निर्यातबढ़कर 110 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच जाने की संभावना है, इसमेंलगभग 1 करोड़ नए रोज़गार सृजित होने का अनुमान है, जिनमें से 40 लाख प्रत्यक्ष रोज़गार होंगे। यह योजना चार रणनीतिक पहलुओं पर आधारित है-घरेलू कार्गो की लागत घटाने के लिए मल्टी-मोडल ट्रांसपोर्ट का अनुकूलन करना, निर्यात-आयात कार्गो लॉजिस्टिक्स में लगने वाले समय एवं लागत को न्यूनतम करना, बल्क उद्योगों को लागत के और करीब स्थापित कर लागत को घटाना और बंदरगाहों के पास पृथक विनिर्माण क्लस्टरों की स्थापना कर निर्यात के मामले में प्रतिस्पर्धी क्षमता बेहतर करना।
सागरमाला का लक्ष्य चार व्यापक क्षेत्रों में 150 से भी ज्यादा परियोजनाओं और पहलों के जरिए आवश्यक सकारात्मक असर सुनिश्चित करना है। भारत के बंदरगाह ढांचे के आधुनिकीकरण के लिए 5-6 नए बंदरगाह बनाने का प्रस्ताव किया गया है, इसके अलावा बंदरगाहों की क्षमता बढ़ाने वाली 40 से अधिक परियोजनाओं पर काम शुरू किया जाएगा। ये परियोजनाएं बर्थों के यंत्रीकरण और बड़े जहाजों के समायोजन हेतु तलछटों की ज्यादा गहराई सुनिश्चित करके बंदरगाह ढांचे को और ज्यादा आधुनिक बनाने में मददगार साबित होंगी। इस मामले में विशेष ध्यान वाला दूसरा क्षेत्र बंदरगाहों की कनेक्टिविटी है, जिसके लिए 80 से भी ज्यादा परियोजनाओं पर विचार किया जा रहा है। परियोजनाओं के तीसरे समूह का उद्देश्य बंदरगाहों की अगुवाई में औद्योगीकरण की संभावना का दोहन करना है, ताकि तटीय रेखा के साथ-साथ औद्योगिक एवं निर्यात विकास को नई गति प्रदान की जा सके। तटीय रेखा के पास अवस्थित 14 तटीय आर्थिक क्षेत्रों (सीईजेड) के जरिये इस उद्देश्य की पूर्ति की जाएगी।
नितिन गडकरी ने बताया कि कौशल विकास पर फोकस करते हुए तटीय समुदायों की संभावनाओं का दोहन किया जाएगा, ताकि बंदरगाहों की अगुवाई में औद्योगीकरण में सहूलियत हो सके। इसके अंतर्गत उठाए जाने वाले कदमों के तहत मछुआरों एवं अन्य तटीय समुदायों के लिए भी अवसर सृजित किए जाएंगे और भारत की तटीय रेखा के आसपास कई द्वीपों का विकास भी किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संपूर्ण रूपरेखा को समुद्री भारत शिखर सम्मेलन में जारी किया।