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देश के प्रमुख जलाशयों में भी जल संकट

मध्य क्षेत्र को छोड़कर बाकी क्षेत्रों में भारी निराशा

जलाशयों में जल संग्रहण के चिंताजनक आंकड़े

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Tuesday 19 April 2016 12:18:42 AM

water crisis in major reservoirs of the country

नई दिल्ली। भारत के 91 प्रमुख जलाशयों में जल संग्रह की स्थिति चिंताजनक है। इन जलाशयों में इस समय 35.839 बीसीएम (अरब घन मीटर) जल का संग्रह है, पिछले हफ्ते 13 अप्रैल को जल संग्रह आंका गया है। यह जल इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 23 प्रतिशत है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के कुल संग्रहण का 67 प्रतिशत तथा पिछले दस वर्ष के औसत जल संग्रहण का 77 प्रतिशत है। इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 157.799 बीसीएम है, जोकि देश की अनुमानित जल संग्रहण क्षमता 253.388 बीसीएम का लगभग 62 प्रतिशत है। इन जलाशयों में 37 जलाशय ऐसे हैं जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली लाभ देते हैं।
देश के उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा राजस्थान आते हैं। इस क्षेत्र में 18.01 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले छह जलाशय हैं, जो केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 4.15 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 23 प्रतिशत है। पिछले वर्ष इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 35 प्रतिशत थी और पिछले दस वर्ष का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 30 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में जल संग्रहण कम है और यह पिछले दस वर्ष की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी कम है।
पूर्वी क्षेत्र में झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा आते हैं। इस क्षेत्र में 18.83 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 15 जलाशय हैं, जो केंद्रीय जल आयोग की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध जल संग्रहण 6.40 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 34 प्रतिशत है। पिछले वर्ष इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 46 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्ष का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल जल संग्रहण क्षमता का 35 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कम है और यह पिछले दस वर्ष की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी कमतर है।
पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात तथा महाराष्ट्र आते हैं। इस क्षेत्र में 27.07 बीसीएम की कुल जल संग्रहण क्षमता वाले 27 जलाशय हैं, जो केंद्रीय जल आयोग की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध जल संग्रहण 4.79 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 18 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की जल संग्रहण स्थिति 36 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्ष का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 40 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कम है और यह पिछले दस वर्ष की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी कम है।
मध्य क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ आते हैं। इस क्षेत्र में 42.30 बीसीएम की कुल जल संग्रहण क्षमता वाले 12 जलाशय हैं, ये भी केंद्रीय जल आयोग की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध जल संग्रहण 12.95 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 31 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 39 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्ष का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 26 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कमतर है, लेकिन यह पिछले दस वर्ष की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से बेहतर है।
दक्षिणी क्षेत्र में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजना), कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु आते हैं। इस क्षेत्र में 51.59 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 31 जलाशय हैं, ये भी केंद्रीय जल आयोग की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध जल संग्रहण 7.55 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 15 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 24 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्ष का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 25 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कम है और यह पिछले दस वर्ष की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी कम है।
पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण की स्थिति बेहतर है, उनमें आंध्र प्रदेश और त्रिपुरा शामिल हैं। पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण की स्थिति कम है, उनमें हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश तेलंगाना (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजना), पंजाब, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, झारखंड, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल शामिल हैं। देश के कई इलाकों में जल की स्थिति और भी ज्यादा चिंताजनक है। देश में लाखों की संख्या में परंपरागत जलाशय या तो सूख गए हैं या उनका भरावकर उनपर निर्माण हो गए हैं। उदाहरण के तौर पर हरिद्वार और देहरादून में अनेक जगह गंगा के सहायक मार्गों पर कब्जा कर अवैध निर्माण हो गए हैं, जिससे जलाशयों को जाने वाले अनेक जलस्रोत अवरुद्ध हो चुके हैं।

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