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Tuesday 26 April 2016 07:27:47 AM
लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान से जुड़े बौद्ध भिक्षुओं ने संस्थान के पदेन सदस्य एवं उत्तर प्रदेश शासन में आवास विभाग के प्रमुख सचिव सदाकांत पर आरोप लगाया है कि उन्होंने सरकार की ओर से नियुक्त किए गए संस्थान के सदस्यों को चार साल बीत जाने पर भी उनके नियुक्तिपत्र जारी नहीं किए हैं, इस प्रकार वे इस संस्थान की घोर उपेक्षा कर रहे हैं। यूपी प्रेस क्लब लखनऊ में एक प्रेस वार्ता में संस्थान के अध्यक्ष भिक्षु बोधिरत्न ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार तथा बौद्ध भिक्षु संघ की मीटिंग में प्रबंध कमेटी में शामिल किए गए सदस्यों के नाम पर सहमति बनी थी, जिसके बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रमुख सचिव आवास को पदाधिकारियों के यथाशीघ्र नियुक्ति पत्र जारी करने हेतु कार्रवाई करने का आदेश दिया था, परंतु 4 वर्ष की लंबी अवधि के बाद भी प्रमुख सचिव आवास ने नियुक्ति पत्र नहीं जारी किए हैं, जिसके कारण संस्थान में अव्यवस्था और अनिश्चितता का बोझ बढ़ता चला जा रहा है।
भिक्षु बोधिरत्न ने कहा कि प्रमुख सचिव आवास पुष्पमित्र सुंश की भूमिका में काम कर रहे हैं, वे संस्थान को नष्ट करने की दिशा में ले जा रहे हैं, उच्च न्यायालय और सरकार के फैसले को न मानते हुए अपनी मनमानी कर रहे हैं। अपने स्वार्थ को पूरा करने की लंबी साजिश कर रहे हैं। गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान का उद्देश्य बौद्ध धर्म से संबंधित साहित्य का संकलन, विभिन्न भाषाओं में अनुवाद तथा उसका प्रचार-प्रसार करना है, जिसके हेतु पुस्तकालयों की स्थापना, व्याख्यान मालाएं एवं जन जागरूकता अभियान चलाना है। संस्थान के उद्देश्यों के क्रियांवयन के लिए प्रबंध कमेटी का गठन संस्थान की नियमावली के तहत किया जाता है, जिसके अनुसार संस्थान का अध्यक्ष राज्य सरकार का नामित बौद्ध भिक्षु होता है तथा उपाध्यक्ष राज्य सरकार का नामित बौद्ध उपासक होता है और अन्य 11 गैर सरकारी सदस्य भी राज्य सरकार से नामित किए जाते हैं।
संस्थान के उपाध्यक्ष राजेंद्र बौद्ध ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान गोमतीनगर ने तीन विषयों पर शिक्षण कार्य शुरू किया है और वीआईपी रोड स्थित बुद्ध विहार शांति उपवन परिसर में भिक्षु आवास, बौद्ध उपासकों, आगंतुक देशी-विदेशी बौद्ध धर्म के अनुयायियों के ठहरने, भोजन आदि की व्यवस्था की जिम्मेदारी प्रमुख सचिव आवास की है, मगर बुद्ध विहार में अव्यवस्था का आलम यह है कि चारों ओर लगी अधिकतर कीमती लाइटें बंद पड़ी हैं तो 70 कर्मचारियों की नियुक्ति के बाद भी पार्क में अव्यवस्थाओं का अंबार है। बौद्ध भिक्षुओं ने मांग की है कि संस्थान के पदाधिकारियों को नियुक्ति पत्र जारी कर उनकी शक्तियां बहाल की जाएं। संस्थान परिसर में मूलभूत सुविधाएं पानी, भोजन, सफाई आदि की व्यवस्था कर संस्थान को पूर्ववत स्थिति में लाया जाए। संस्थान के पदेन सदस्य संस्थान के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु कार्य करते हैं, लेकिन वे मनमानी पर उतारू हैं, इसलिए इस संबंध में उनकी कार्यप्रणाली की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।