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Wednesday 27 April 2016 02:12:08 AM
नई दिल्ली। संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार एवं नागरिक उड्डयन मंत्रालय में राज्यमंत्री डॉ महेश शर्मा ने राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के ऑनलाइन वेबपोर्टल ‘एनओसी ऑनलाइन एप्लीकेशन एंड प्रोसेसिंग सिस्टम’ का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री के ‘ई गवर्नेंस’ और ‘कारोबार करने की सुगमता’ संबंधी निर्देश को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण ने यह ऑनलाइन वेब पोर्टल विकसित किया है। इस पोर्टल ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञता का उपयोग किया है, जो एएसआई के संरक्षित 3686 स्मारकों और स्थलों के मानचित्रण की प्रक्रिया में है।
राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण ने उपयोग सुलभ मोबाइल ऐप्प तैयार किया है, जिसे आवेदक नि:शुल्क डाउनलोड कर सकता है और इसका उपयोग संरक्षित स्मारक के निषिद्ध और नियंत्रित क्षेत्र के दायरे में आने वाली अपनी जमीन के जिओ कोऑर्डनेट्स को अपलोड करने में कर सकता है। इसमें एनएमए को सौंपे गए दायित्वों में नियंत्रित क्षेत्र में प्रस्तावित सार्वजनिक परियोजनाओं सहित बड़े पैमाने की विकास संबंधी परियोजनाओं के प्रभाव पर विचार करना, केंद्रीय संरक्षित स्मारकों और स्थलों के नियंत्रित क्षेत्र में आवासीय या व्यावसायिक इमारतों के निर्माण के लिए अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्रदान करने वाले सक्षम प्राधिकारी को सिफारिशें करना शामिल हैं।
एनएमए के वेबपोर्टल को अब दिल्ली और मुंबई के स्थानीय निकायों के ऑनलाइन पोर्टल यथा एनडीएमसी, वृहद मुंबई महानगर निगम और दिल्ली नगर निगम-एमसीडी (दक्षिणी दिल्ली नगर निगम, उत्तरी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम) के साथ जोड़ा गया है, ताकि निर्माण के लिए एक समान आवेदन फॉर्म पर एकल खिड़की मंजूरी प्रदान करने में सहायता की जा सके। आवेदक को एकल फॉर्म भरना होगा, जिसे स्थानीय निकाय द्वारा अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी करने वाली एजेंसियों को भेजा जाएगा।
एनएमए प्राचीन, स्मारक एवं पुरातत्विक स्थल और अवशेष अधिनियम में निर्धारित 90 दिन की समय सीमा को घटाते हुए छह कार्य दिवसों के भीतर अपने फैसले से स्थानीय निकाय को अवगत करा देगा। आवेदक को अपने आवेदन के संबंध में एनएमए नहीं जाना होगा, बल्कि वह अपने आवेदन की स्थिति के बारे में ऑनलाइन ही जान सकेगा। हालांकि 2000 वर्ग मीटर से ज्यादा बड़ी इमारत से संबंधित विशाल परियोजनाओं को एकल खिड़की मंजूरी प्रणाली के दायरे से बाहर रखा गया है। यह कदम इस बात को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है कि इसका असर स्मारक अथवा स्थल पर पड़ सकता है।