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Thursday 28 April 2016 05:20:10 AM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री मनोहर पार्रिकर और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय में स्वतंत्र प्रभार और संसदीय मामलों के राज्यमंत्री राजीव प्रताप रूड़ी ने भारतीय वायुसेना के कार्मिकों को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद कौशल और प्रशिक्षण देने की एक प्रमुख परियोजना के पूर्ण होने पर बधाई दी है। कौशल प्रमाणन के माध्यम से भारतीय वायुसेना के सेवानिवृत्त कर्मियों के लिए यह अपनी प्रकार का पहला प्लेसमैंट समारोह था। कौशल प्रमाणन और स्थापन समारोह का आयोजन भारतीय वायुसेना के ऑडिटोरियम में किया गया, जहां 56 सेवानिवृत्त आईएएफ कर्मियों को राष्ट्रीय कौशल योग्यता प्रारूप और प्लेसमेंट पत्रों की पुष्टि करते हुए कौशल प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।
कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के बीच जुलाई 2015 को विभिन्न कौशल विकास पहलों में भागीदारी के लिए हुए समझौते ज्ञापन पत्र के अंतर्गत ये प्रयास किए गए हैं। इस समझौते ज्ञापन पत्र के माध्यम से अधिकारी, जेसीओ, एनसीओ अथवा जवानों के अपेक्षाकृत कम आयु में सेवानिवृत्त करीब 60,000 सैन्य कर्मियों को अतिरिक्त कौशल प्रदान करना है। समारोह की अध्यक्षता रक्षामंत्री मनोहर पार्रिकर और कौशल विकास, उद्यमिता स्वतंत्र प्रभार और संसदीय मामले मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी ने की। इस अवसर पर कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के सचिव रोहित नंदन, एयरचीफ मार्शल अनूप राहा और एनएसडीसी सीईओ जयंत कृष्ण भी उपस्थित थे।
भारतीय वायुसेना को कार्यक्रम की सफलता पर शुभकामनाएं देते हुए मनोहर पार्रिकर ने कहा देश में कौशलयुक्त कार्यश्रम की काफी कमी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कौशल विकास और पहचान पर व्यापक रूप से ध्यान दिया है और हम एक साथ मिलकर यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके स्वप्न को साकार किया जाए। उन्होंने अपने सहयोगी राजीव प्रताप रूड़ी को भी उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि प्रत्येक वर्ष भारतीय वायुसेना के 32 से 47 वर्ष की आयु के बीच के 5000 वायुसेना कर्मी सेवानिवृत्त होते हैं, इन सेवानिवृत्त कर्मियों की सेवाओं का उपयोग करने पर विशेष ध्यान दिया गया है। देश में अनुभवी प्रशिक्षकों की इस कमी को पूरा करने के लिए यह तकनीकी रूप से सक्षम सेवानिवृत्त कर्मी अपने अनुशासन, नेतृत्व के गुण के साथ कार्मिक क्षेत्र के व्यापक स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्वयं ज्ञान और अनुभव पर बल देते हुए एक सैन्यकर्मी के लिए विचार व्यक्त किए है कि उसे किस प्रकार से अपनी क्षमता को राष्ट्र निर्माण में लगाना चाहिए।