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Friday 29 April 2016 12:51:37 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1जी आईआरएनएसएस ले जा रहे पीएसएलवी-सी-33 के सफल प्रक्षेपण के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को बधाई दी है। आईआरएनएसएस-1जी भारतीय क्षेत्रीय दिशासूचक उपग्रह प्रणाली की श्रृंखला का सातवां और अंतिम दिशासूचक उपग्रह है। राष्ट्रपति ने इसरो के अध्यक्ष एएस किरण कुमार को भेजे संदेश में कहा है कि मैं भारतीय क्षेत्रीय दिशासूचक उपग्रह प्रणाली के दिशासूचक उपग्रह की श्रेणी का सातवां और अंतिम दिशासूचक पीएसएलवी सी-33 के सफल प्रक्षेपण के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की पूरी टीम को हार्दिक बधाई देता हूं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम में ऐतिहासिक पीएसएलवी-सी-33 का प्रक्षेपण महत्वपूर्ण है, अब भारत उन देशों के समूह में शामिल हो गया है, जिनकी अपनी क्षेत्रीय दिशासूचक उपग्रह प्रणाली है, इससे अंतरिक्ष प्रक्षेपण टैक्नोलॉजी में भारत की बढ़ती क्षमताओं का पता चलता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र इस उपलब्धि से गौरवांवित है और मैं कामना करता हूं कि इसरो अपने भविष्य के प्रयासों में भी ऐसी ही सफलता हासिल करता रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिशा सूचक उपग्रह आईआरएनएसएस-आईजी के प्रक्षेपण का साउथ ब्लॉक नई दिल्ली से अवलोकन किया। उपग्रह को ले जा रहे पीएसएलवी ने श्रीहरिकोटा से दोपहर बाद 12 बजकर 50 मिनट पर उड़ान भरी। इस सफल प्रक्षेपण के कुछ क्षण बाद प्रधानमंत्री ने श्रीहरिकोटा में मौजूद इसरो के वैज्ञानिकों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष विज्ञान में बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की है, जिसमें जनता की जिदंगी में बदलाव लाने की क्षमता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस सफल प्रक्षेपण के साथ हम अपनी प्रौद्योगिकी की शक्ति से अपने रास्ते स्वयं तय करेंगे, यह वैज्ञानिकों की ओर से जनता के लिए बहुत बड़ा उपहार है। उन्होंने कहा कि ये प्रयास न सिर्फ भारत के लिए मददगार साबित होंगे, बल्कि सार्क देशों की भी सहायता कर सकेंगे। प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि इस दिशा सूचक प्रणाली को एनएवीआईसी-नेवीगेशन विद इंडियन कान्स्टलेशन के नाम से जाना जाएगा। उन्होंने कहा कि यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेड फॉर इंडियंस’ का उदाहरण है। उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को सफल प्रक्षेपण पर बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह सात उपग्रह आईआरएनएसएस में 7वां और अंतिम उपग्रह है, यह त्रुटिहीन प्रक्षेपण एक बार फिर अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की क्षमताओं को प्रदर्शित करता है।