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Monday 9 May 2016 02:26:38 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुदेव रबिंद्रनाथ टैगोर की 155वीं जयंती पर राष्ट्रपति भवन में गुरुदेव रबिंद्रनाथ टैगोर के छाया चित्र के समक्ष पुष्पाजंलि अर्पित की। इस अवसर पर राष्ट्रपति भवन के अधिकारी और कई कर्मचारी भी उपस्थित थे। राष्ट्रपति ने कहा कि गुरुदेव रबिंद्रनाथ टैगोर की जयंती हमारे लिए मानव प्रेम, नि:स्वार्थ सेवा और सीमाओं से मुक्त रहने के उनके विचार को स्मरण करने का एक अवसर है। उन्होंने कहा कि गुरुदेव ने हमें यह अहसास कराया है कि साहित्य, इतिहास और संस्कृतियां मानवता के समान आदर्शों को प्रस्तुत करती हैं, जो राष्ट्रीय सीमाओं से बढ़कर हैं, इस साझा भावना की टैगोर ने अपने साहित्य और संगीत में भी कामना की है।
राष्ट्रपति ने कहा कि गुरुदेव टैगोर प्रकृति के एक बड़े प्रशंसक थे और उनकी बहुत सी साहित्यिक कृतियों में प्राकृतिक विश्व की सरल सुंदरताओं को शामिल किया गया है। उनका मानना था कि धर्म को मंदिरों और पवित्र पुस्तकों के साथ-साथ प्रकृति के चमत्कारों और रहस्यों में खोजा जा सकता है। उन्होंने कहा कि गुरुदेव टैगोर एक दिव्य शक्ति संपन्न, समर्पित और प्रकृति के विशाल अंतर में सहभागी होने के साथ-साथ प्रसन्नता और ऊर्जा का आदर्श संयोजन हैं। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि टैगोर का जीवन और उनके कार्य हमारे राष्ट्र और दुनिया के लोगों के लिए निरंतर अपार प्रेरणा के स्रोत बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि टैगोर के शब्दों से ही प्रेरणा लेते हुए कह सकते हैं कि भारत की विचारधारा हमेशा से एकता के आदर्श की घोषणा करती रही है, एकता का यह आदर्श कभी भी किसी व्यक्ति, किसी प्रजाति अथवा किसी संस्कृति को अस्वीकार नहीं करता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुदेव रबिंद्रनाथ टैगोर की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, जिनका गहन चिंतन और लेखन हमें निरंतर प्रेरित करता आया है।