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Monday 9 May 2016 05:32:02 AM
नई दिल्ली। महाराणा प्रताप के 475वें जन्म महोत्सव पर केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री डॉ महेश शर्मा ने आज नई दिल्ली में उनकी याद में 100 रुपए और 10 रुपए का सिक्का जारी किया। महान देशभक्त, वीर योद्धा, सफल संगठनकर्ता और शानदार रणनीतिकार महाराजा महाराणा प्रताप सिंह ने निर्भीक होकर मुगलों से लोहा लिया था औऱ मरते दम तक अपने देश और जनता की रक्षा की थी। महाराजा महाराणा प्रताप सिंह की निडरता के साथ दुश्मन का मुकाबला करने और देश एवं जनता के मान-सम्मान को दोबारा हासिल करने की कहानी आज भी वर्तमान पीढ़ी को मातृभूमि की खातिर चुनौतियों से लड़ने के लिए प्रेरित करती है। उनके लिए अनेक कवियों और लेखकों ने वीर रस की कविताएं और लेख लिखे हैं।
साल 2015-16 के दौरान महाराणा प्रताप के 475वें जन्म महोत्सव समारोह को केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और राजस्थान सरकार साथ मिलकर मना रहे हैं। 4 मार्च 2016 को राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर में नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एवं लाइब्रेरी की ओर से महाराजा महाराणा प्रताप पर सम्मेलन और विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया था। केंद्र और राजस्थान सरकार ने मिलकर महाराणा प्रताप की याद में उदयपुर के खेल गांव में एक बहुउद्देशीय इंडोर स्टेडियम बनाने का फैसला किया है। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय इस काम के लिए राजस्थान सरकार को 9 करोड़ 50 लाख रुपए देने पर सहमत हो गया है। महाराणा प्रताप की याद के लिए यह देश जो कर ले, वह भी थोड़ा होगा।
महाराणा प्रताप की वीरता और देश के प्रति निष्ठा का एक उदाहरण यहां बड़ा ही प्रासंगिक है। आप जानते हैं कि वियतनाम दुनिया का एक छोटा सा देश है, जिसने कई साल अमरीका जैसे साधन संपन्न और शक्तिशाली देश से युद्ध लड़ा एवं अमरीका को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया। दुनिया में अमरीका से युद्ध में वियतनाम की विजय की आज तक चर्चा है। अमरीका पर विजय के बाद वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष से जब पूछा गया कि उन्होंने यह युद्ध कैसे जीत लिया तो वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ने उत्तर दिया कि इसके पीछे भारत के एक महान योद्धा और राजा का चरित्र है, जिससे मुझे युद्ध रणनीति की प्रेरणा मिली, जिससे हमने अमरीका पर विजय हांसिल कर ली। उनसे आगे पूछा गया कि वो योद्धा और राजा कौन थे तो वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ने उनके सम्मान में खड़े होकर जवाब दिया कि वो भारत में मेवाड़ के महाराजा महाराणा प्रताप सिंह हैं।
वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ने महाराजा महाराणा प्रताप सिंह के बारे में कहा कि अगर ऐसे राजा हमारे देश में जन्म लिए होते तो हम पूरी दुनिया पर हमारा राज होता। वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ने यहां तक इच्छा व्यक्त की थी कि उनकी मृत्यु होने पर उनकी समाधि पर यह लिखा जाए कि यह मेवाड़ के महाराजा महाराणा प्रताप सिंह के एक शिष्य की समाधि है और ऐसा लिखा भी गया। बताया जाता है कि एक समय बाद वियतनाम के विदेश मंत्री का जब भारत आगमन हुआ तो उनके सरकारी कार्यक्रम में उन्हें गांधीजी की समाधि और लालकिला दिखाया जाना था, लेकिन उन्होंने प्राथमिकता के रूप में मेवाड़ में महाराजा महाराणा प्रताप सिंह की समाधि पर जाने की इच्छा व्यक्त की और वे मेवाड़ ले जाए गए। उन्होंने वहां जाकर महाराजा महाराणा प्रताप सिंह की समाधि की मिट्टी उठाई और कहा कि वह इसे अपने देश ले जाकर सब जगह बिखेरेंगे, ताकि वियतनाम के कोने-कोने में महाराजा महाराणा प्रताप सिंह जैसे वीर पैदा हों। तो ऐसे थे भारत के मेवाड़ के राजा और योद्धा महाराजा महाराणा प्रताप सिंह, जिनकी याद में भारत सरकार ने सिक्के जारी किए हैं।