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Wednesday 18 May 2016 01:11:18 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों में सूखे और पानी की कमी का जायजा लेने के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक की। बैठक में केंद्र सरकार और छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। राज्य के बकाए को समायोजित करने के बाद राष्ट्रीय आपदा राहत कोष के तहत राज्य को 835.695 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। यह धनराशि वर्ष 2015-16 के लिए राज्य आपदा राहत कोष के केंद्रीय हिस्से के रूप में राज्य को जारी किए गए 249.725 करोड़ रुपए के अतिरिक्त है। वर्ष 2016-17 के लिए राज्य आपदा राहत कोष की पहली किस्त के तौर पर 94.875 करोड़ रुपए की अतिरिक्त धनराशि भी जारी की गई है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को राज्य सरकार के जल संरक्षण के प्रयासों की जानकारी दी। इन उपायों में 8055 जल स्रोतों और तालाबों के पानी को शुद्ध करना, 44,181 नए सिंचाई तालाबों का निर्माण तथा भू-जल रीचार्ज करने के लिए 9851 संरचनाओं का निर्माण शामिल है। राज्य के सूखा राहत कार्यों में प्रत्येक गांव में पेय जल और खाद्यान की व्यवस्था शामिल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक पंचायत में एक क्विंटल चावल का भंडारण किया गया है, ताकि गांव में कोई भूखा न रहे। राज्य सिंचाई योजनाएं बनाने और वाटरशेड की निशानदेही करने के लिए दूरसंवेदी तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। मुख्यमंत्री ने 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया।
मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि स्थानीय निकायों को जो अतिरिक्त कोष उपलब्ध कराया गया है, उसकी वजह से पाइपों से जलापूर्ति योजना दोबारा शुरू की गई है, यह योजना कोष की कमी से लंबित थी, अब राज्य में पाइपों से जलापूर्ति की सभी योजनाएं चालू हो गई हैं। उन्होंने छोटे बांधों के निर्माण संबंधी राज्य की योजना और वनीकरण के प्रयासों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने 2022 तक कृषि आय को दोगुना करने के लिए राज्य की रणनीति का भी खुलासा किया। प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए छत्तीसगढ़ में किए जाने वाले कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि अन्य राज्य भी छत्तीसगढ़ के मॉडल का अध्ययन कर सकते हैं।