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Tuesday 24 May 2016 04:12:10 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में ‘इन-रेजिडेंस’ कार्यक्रम के दौरान राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 12 पुरस्कार विजेता स्कूल के शिक्षकों से मुलाकात की। यह स्कूल शिक्षकों के लिए पहला ‘इन रेजिडेंस’ कार्यक्रम था, इस तरह के कार्यक्रम लेखकों, कलाकारों, जमीनी स्तर के अन्वेषकों, एनआईटी छात्रों और प्रेरित करने वाले शिक्षकों के लिए आयोजित होते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि ‘इन रेजिडेंस’ कार्यक्रम में शामिल सभी प्रतिभागियों को उच्च लक्ष्य प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करने चाहिए, उनकी सीमा आकाश तक है। उन्होंने कहा कि किसी भी सभ्यता की प्रगति तब तक संभव नहीं है, जब तक शिक्षक समाज को अपना वह ज्ञान नहीं दे, जिसके आधार पर प्रगति होनी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि ‘गुरू शिष्य परंपरा’ हमारी शैक्षणिक सभ्यता का मूल रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षक राष्ट्र निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण कारक है। राष्ट्रपति ने कहा कि अपने सार्वजनिक जीवन के चार दशक राष्ट्रपति भवन की इमारत के आसपास बिताने के बावजूद वह राष्ट्रपति भवन की जिंदगी और प्रेसिडेंट स्टेट से अनजान थे, इसलिए उन्होंने यह फैसला किया कि इसे लोगों के लिए खोला जाना चाहिए। राष्ट्रपति की सचिव ओमिता पॉल ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षकों की भूमिका सर्वोपरि है, वे हर समय छात्रों को शैक्षिक वातावरण प्रदान करते हैं और उनके जीवन में उत्प्रेरक की तरह प्रभाव रखते हैं।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत आने वाले स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव ने कहा कि शिक्षक किसी भी शिक्षा प्रणाली का केंद्र होते हैं। उन्होंने शिक्षा से संबंधित तीन क्षेत्रों पर जोर दिया-उपलब्धता में सुधार, समानता और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार। ‘इन रेजिडेंस’ कार्यक्रम में शामिल प्रतिभागियों ने कहा कि वे इस कार्यक्रम का हिस्सा बनकर सम्मानित महसूस कर रहे हैं और उन्हें यह अवसर देने के लिए राष्ट्रपति के वे आभारी हैं। यह अवसर उन लोगों के साथ ही अन्य शिक्षकों को भी अपने पेशे में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करेगा।