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Thursday 2 June 2016 02:22:53 AM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश पर्यटन और पूंजी निवेश के मामले में वह मुकाम हांसिल नहीं कर पाया, जो छोटे-छोटे राज्यों ने हांसिल कर लिया। यह उत्तर प्रदेश का दुर्भाग्य है कि इन तीन दशक में सर्वाधिक समय तक शासन करने वाली समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने यूपी का विकास, सांप्रदायिक सद्भाव, सुशासन, सुरक्षा और राजनीति का वातावरण ही छिन्न-भिन्न कर दिया है। ये दोनों दल अपनी सरकारों में या तो धन संपदा लूटने में लगे रहे हैं या फिर अपने विरोधियों से हिसाब चुकता करने में लगे रहे। इन दोनों दलों के पास इसका संतोषजनक उत्तर नहीं है कि उन्होंने देश के इस विशाल राज्य में विकास के लिए कौन सा अनुकरणीय काम किया। केंद्र के पैसे से अपना प्रचार करने वाले मुलायम और मायावती को इसी कारण बार-बार सत्ता से हाथ धोना पड़ा है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की अखिलेश यादव की सरकार को पांच साल होने वाले हैं और इस सरकार ने प्रदेश को सांप्रदायिक दंगों, जातिवाद, भाई-भतीजावाद, भ्रष्टाचार, अराजकता के अलावा कुछ नहीं दिया, जिस कारण उत्तर प्रदेश बहुत पीछे जा रहा है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में विकास और पर्यटन की संभावनाएं तलाश करने आए राजनयिकों का उत्तर प्रदेश के इस भयानक सच से सामना हुआ है। फाइवस्टार विकास गोष्ठियों और कार्पोरेट जगत के लोगों के भ्रमण के आयोजनों के अलावा यहां कुछ नहीं हो सका है। पूंजी निवेश का जहां तक प्रश्न है तो मुलायम, मायावती और अखिलेश की सरकार ने इसके नाम पर राज्य के करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए हैं, लेकिन नतीजा सिफर निकला है। इन सरकारों ने कार्पोरेट को बड़े-बड़े सपने दिखाए, पर जब देश-विदेश के उद्यमियों को इनकी सच्चाईयों का पता चला तो फिर वे पलट कर यूपी नहीं आए। इन तीन दशक में इन सरकारों ने केवल केंद्र सरकार की योजनाओं के पैसों पर ही मौज उड़ाई है। क्या विचित्र स्थिति है कि उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले हैं और सपा सरकार की चलाचली की बेला में विकास की संभावनाएं खोजी जा रही हैं। साढ़े चार साल से यहां क्या हो रहा था? राजनयिक किस आधार पर विकास की बातें करने आए थे? कितने प्रोजेक्ट उनकी फाईलों में थे? कितने उद्यमियों ने यहां दिलचस्पी ली? उत्तर प्रदेश के इस वातावरण को कौन नहीं जानता है? राजनयिकों के दल को यहां क्या हांसिल हुआ, ये किसी को पता नहीं है।
फिक्की, पीएचडी चैंबर, एसोचैम, यूपी स्टेट काउंसिल और आईआईए जैसे उद्यमी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ लजीज व्यंजनों और गंगा-जमुनी तहज़ीब के कसीदे पढ़ने के अलावा राजनयिकों का लखनऊ का दौरा टांय-टांय फिस ही माना जा रहा है। उत्तर प्रदेश में पूंजी निवेश की संभावनाओं का जहां तक प्रश्न है तो यहां उन संसाधनों की कोई कमी नहीं है, जो उसके लिए जरूरी हैं। उत्तर प्रदेश सरकार केवल गोष्ठियों को ही पूंजी निवेश कहकर ही प्रचारित करती है। सरकार की अधिकतम घोषणाओं में 'किया जाएगा' का ही जिक्र है, मगर 'किया जा चुका है' का परिणाम जीरो दिखाई देता है। इस अवसर पर राजनयिकों ने कई विषयों को राज्य सरकार के सामने रखा, जिनमें उन्होंने वस्त्र उद्योग, हैंडीक्राफ्ट, चमड़े का सामान, वूड ज्वैलरी और लकड़ी के सामान, मसाले और परंपरागत लघु उद्योगों का जिक्र किया, जिनको बढ़ाने से न केवल राज्य में रोज़गार के अवसरों का सृजन हो सकता है, अपितु समृद्धि का स्तर भी सुधर सकता है, राज्य के औद्योगिक विकास विभाग की इन सबमें कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखी। उन्होंने पाया कि यहां सरकार की रियल स्टेट में ज्यादा दिलचस्पी है, जिससे कई स्तरों पर धन के स्रोत विकसित होते हैं। राजनयिकों का यह दौरा एक रस्म तक सीमित रहा।
राज्यपाल राम नाईक से 9 देशों के राजदूतावासों में नियुक्त भारतीय राजनयिकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने भेंट की। भेंट करने वालों में विनोद कुमार उज्बेकिस्तान, राजेश कुमार सचदेवा बुल्गारिया, अजय बिसारिया पोलैंड, सौरभ कुमार ईरान, इंद्रमणि पांडेय ओमान, सुदर्शिनी त्रिपाठी जार्डन, सुशील कुमार सिंघल अंगोला, नगमा मलिक दारूसस्लाम एवं मनीष चौहान ताइवान आदि के राजदूतावासों में तैनात भारतीय राजनयिक थे। यह प्रतिनिधिमंडल प्रदेश में विदेशी सहयोग के माध्यम से विकास की संभावनाओं पर विचार करने के लिए तीन दिवसीय दौर पर उत्तर प्रदेश आया है। इस अवसर पर राज्यपाल की प्रमुख सचिव जूथिका पाटणकर, अप्रवासी भारतीय मामले के प्रमुख सचिव संजीव सरन, सचिव राज्यपाल चंद्रप्रकाश एवं अप्रवासी भारतीय मामले की विशेष सचिव कंचन वर्मा सहित कई अधिकारी भी उपस्थित थे।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि विदेशों में उत्तर प्रदेश की छवि बनाने की जरूरत है, पर्यटन, चिकित्सा पर्यटन, उद्योग एवं शिक्षा के क्षेत्र में यहां असीम संभावनाएं है। उन्होंने कहा कि यह विचार करने की जरूरत है कि दूसरे देशों को अपने देश के विकास से कैसे जोड़ा जाए और ज्यादा से ज्यादा निवेश को किस तरह प्रदेश की ओर आकृष्ट किया जाए। उन्होंने कहा कि ब्रांडिंग से उत्तर प्रदेश को बहुत लाभ हो सकता है, आबादी के लिहाज से बड़ा राज्य होने के कारण उत्तर प्रदेश को बडे़ उपभोक्ता के रूप में देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के साथ-साथ लखनऊ की तस्वीर भी बदली है, देश की प्रगति के लिए उत्तर प्रदेश को आगे बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधिमंडल प्रदेश का दौरा करके अन्य क्षेत्रों में भी विकास की संभावनाएं तलाशे। राम नाईक ने कहा कि विदेशों में भारत के प्रति उत्सुकता है और उत्तर प्रदेश में ताजमहल एवं गंगा को देखने प्रतिवर्ष विदेशी पर्यटक आते हैं।
गौरतलब है कि भारत प्राचीनकाल से ही शिक्षा एवं आध्यात्म का केंद्र रहा है, वर्तमान में प्रदेश में इलाहाबाद विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, बीएचयू आदि में बड़ी संख्या में विदेशी छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं, उत्तर प्रदेश से प्रतिवर्ष आईटी स्नातक शिक्षित हो रहे हैं, जिनकी विदेशों में काफी मांग है। राम नाईक ने कहा कि कौशल विकास से हम विदेशों के लिए अच्छी श्रम शक्ति तैयार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि विदेशों में संस्कृत एवं हिंदी के प्रति बहुत उत्साह है और उत्तर प्रदेश हिंदी और संस्कृत को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि नई टेक्नोलॉजी के साथ प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में बहुत संभावनाएं है। राज्यपाल ने बताया कि अटल बिहारी बाजपेयी सरकार में जब वे पेट्रोलियम मंत्री थे तो उन्होंने रूस के साथ पेट्रोल के क्षेत्र में करार कर निवेश किया तथा बाद में सूडान में भी 3400 करोड़ का निवेश किया, जो देश के लिए बहुत लाभकारी रहा, ढाई वर्ष में ही पूरे निवेश के पैसे वापस आ गए और निवेश का लाभ हुआ।
राम नाईक ने कहा कि हमें समय के हिसाब से देश के लिए जो उचित हो, ऐसे व्यापार के बारे में विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यूपी में पर्यटन की जितनी संभावनाएं हैं, उतनी यूपी की पहचान नहीं है, क्योंकि विदेशी लोग ताज महल को जानते हैं, लेकिन यूपी को नहीं जानते। राज्यपाल ने राजनयिकों से कहा कि वे विदेशों में अपनी तीव्र प्रतिभा से देश की छवि को निखारें। उन्होंने कहा कि विदेशों से सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ाना चाहिए, विदेश में निवास करने वाले भारतीयों, अध्ययन हेतु गए विद्यार्थियों एवं व्यापारियों को वहां किसी प्रकार की कठिनाई न हो, इस दिशा में भी प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ट्रेड फेयर का आयोजन नियमित अंतराल में होते रहना चाहिएं, जिससे विदेशी उद्यमी अपना उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहित हों। राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को राजभवन की पुस्तक 'बर्ड्स आफ राजभवन' एवं 'राजभवन में राम नाईक' की प्रति भेंट स्वरूप दी।